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खालिस्तान पर 'बिगड़े' भारत-कनाडा के रिश्ते, विदेशी मीडिया ने क्या-क्या लिख दिया?

क्या इस विवाद के बाद भारत और कनाडा के बीच रिश्ते और बिगड़ जाएंगे?

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INDIA Canada controversy over sikh leader death
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फोटो- रॉयटर्स)
19 सितंबर 2023 (Updated: 19 सितंबर 2023, 13:52 IST)
Updated: 19 सितंबर 2023 13:52 IST
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कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के एक आरोप के बाद भारत और कनाडा (India-Canada) के बीच तल्खी बढ़ गई है. और इस तल्खी की चर्चा दुनिया भर में हो रही है. दरअसल, ट्रूडो ने कनाडाई संसद में आरोप लगाया कि खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार का हाथ हो सकता है. भारतीय राजनयिक पवन कुमार राय को निष्कासित कर दिया. फिर भारत ने इन आरोपों को 'बेतुका' बताते हुए खारिज किया. भारत ने भी कनाडा के राजनयिक को निष्कासित कर दिया और 5 दिन के भीतर देश छोड़ने के लिए कह दिया. दोनों देशों के बीच आई इस दरार को दुनिया भर की मीडिया प्रमुखता से कवर कर रही है. अधिकतर मीडिया संस्थान इस झगड़े को अपनी वेबसाइट पर टॉप खबरों में रख रही है.

अमेरिकी अखबार 'द न्यूयॉर्क टाइम्स' ने अपनी खबर में खालिस्तानी हरदीप सिंह निज्जर को सिख समुदाय का नेता लिखा है. अखबार ने लिखा है- हाउस ऑफ कॉमन्स में बोलते हुए प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा कि 'भारत सरकार के एजेंट्स' ने ब्रिटिश कोलंबिया में सिख समुदाय के नेता की हत्या की थी. ट्रूडो ने ये भी कहा कि उन्होंने इस मुद्दे को G20 समिट की मीटिंग के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने उठाया था. उन्होंने कहा कि ये आरोप कनाडा सरकार की इंटेलीजेंस के आधार पर है.

न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है कि इस तरह के आरोप से दोनों देशों के बीच रिश्ते और ज्यादा बिगड़ सकते हैं. इसी महीने कनाडा ने भारत के साथ व्यापार समझौते पर बातचीत को रोक दिया था. अब ऐसा लगता है कि वो इन्हीं आरोपों के कारण हुआ है. अखबार ने ये भी लिखा कि G20 के दौरान नरेंद्र मोदी ने जस्टिन ट्रूडो को उस लिस्ट से बाहर रखा था, जिनके साथ द्विपक्षीय बैठक हुई.

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एक और अमेरिकी अखबार 'द वॉशिंगटन पोस्ट' ने इस खबर को प्रमुखता से छापा है. लिखा है कि जस्टिन ट्रूडो ने भारत सरकार से निज्जर की हत्या की तह तक जाने के लिए मदद की मांग की है. कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जोली ने रिपोर्टर्स को बताया कि उन्होंने एक भारतीय राजनयिक निष्कासित करने का आदेश दिया है, जिसे उन्होंने कनाडा भारतीय इंटेलीजेंस का 'प्रमुख' बताया. जोली ने कहा कि ट्रूडो ने इस मुद्दे को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के सामने भी उठाया था. और ये मुद्दा संयुक्त राष्ट्र महासभा में इस हफ्ते चर्चा का विषय होगा.

वॉशिंगटन पोस्ट ने इस विवाद के बीच कुछ सिख संगठनों का बयान भी छापा है. कनाडा में वर्ल्ड सिख ऑर्गेनाइजेशन के अध्यक्ष तेजिंदर सिंह सिद्धू ने एक बयान में कहा कि आज प्रधानमंत्री ने जो कहा है कि वो कनाडा के सिख दशकों से कह रहे हैं कि- भारत कनाडा में सिखों को टारगेट कर रहा है.

भारत कनाडा का 10वां सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है (फोटो- रॉयटर्स)

निज्जर का वकील सिख फॉर जस्टिस का संस्थापक गुरपतवंत सिहं पन्नू है. पन्नू को जुलाई 2020 में भारत सरकार ने UAPA के तहत आतंकवादी घोषित कर दिया था. उसके खिलाफ भारत में राजद्रोह सहित कई मामलों में केस दर्ज हैं. पन्नू ने वॉशिंगटन पोस्ट को बताया कि निज्जर को कनाडा में खालिस्तान (भारत में अलग सिख राज्य की मांग) जनमत संग्रह के आयोजन के लिए टारगेट किया गया. पन्नू ने ट्रूडो से अपील की है कि वे कनाडा में भारतीय उच्चायुक्त को भी निष्कासित किया जाए.

ब्रिटिश अखबार द गार्डियन ने भारत और कनाडा के बीच बढ़ते तनाव को रिपोर्ट करने के अलावा एक्सप्लेन भी किया है. और इस घटना से भारत-कनाडा के रिश्तों पर होने वाले असर के बारे में भी लिखा है. अखबार लिखता है कि इस साल 18 जून को ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में एक गुरुदारे के बाहर हरदीप सिंह निज्जर की हत्या कर दी गई थी. निज्जर ने भारत के पंजाब से अलग कर एक स्वतंत्र सिख राष्ट्र 'खालिस्तान' की मांग के लिए कैंपेन किया था. भारतीय अधिकारियों के लिए वो वॉन्टेड था और जुलाई 2020 में उसे 'आतंकी' घोषित किया गया था. अखबार ने वर्ल्ड सिख ऑर्गेनाइजेशन के हवाले से लिखा है कि कनाडा की खुफिया एजेंसी ने उसके खिलाफ धमकियों को लेकर उसे चेतावनी दी थी. उसे चेताया गया था कि उसको टारगेट कर मारा जा सकता है.

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गार्डियन ने 1980 के दशक में चले खालिस्तान आंदोलन के इतिहास का भी जिक्र किया है. साथ ही लिखा है कि इस आंदोलन की आवाज अब मुख्य रूप से विदेशों में रह रहे पंजाबियों के बीच ही है. पंजाब के बाद कनाडा में सिखों की सबसे ज्यादा आबादी है. करीब 7 लाख 70 हजार. भारत ने कनाडा में सिख उग्रवादियों की गतिविधियों को लेकर कनाडार सरकार से कई बार शिकायत की थी. अखबार लिखता है कि भारत कनाडा का 10वां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है. दोनों देशों के बीच एक दशक से चल रहे व्यापार समझौते पर इस साल के अंत तक मुहर लग सकती थी, लेकिन अब इस पर बातचीत रुक गई है.

जर्मन मीडिया डॉयचे वेल (DW) ने जस्टिन ट्रूडो के भारत पर आरोपों के बाद अमेरिका और भारत का बयान भी छापा है. वॉइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता एड्रिन वॉटसन ने एक बयान जारी कर कहा कि अमेरिका कनाडा के आरोपों को लेकर चिंतित है. बयान में कहा गया कि अमेरिका कनाडा के साथ लगातार संपर्क में है. यह महत्वपूर्ण है कि कनाडा की जांच आगे बढ़े और अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाया जाए.

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो (फोटो- रॉयटर्स)

कनाडाई अखबार 'द ग्लोब एंड मेल' ने लिखा है कि कनाडाई सरकार ने भारत के साथ राजनयिक रिश्तों के बिगड़ने की बात को खारिज किया है. हालांकि कनाडा की संप्रभुता के उल्लंघन पर जवाब देने पर विचार किया जाएगा. कनाडा सरकार के एक सूत्र ने अखबार को बताया कि उम्मीद है कि भारत भी कनाडा के राजनयिक को बदले में निष्कासित करे. बाद में ऐसा हुआ भी.

द ग्लोब ने ये भी लिखा है कि निज्जर की हत्या के कारण कनाडा और भारत के रिश्तों में पहले से कड़वाहट आ गई थी. ये मसला G20 समिट के इतर ट्रूडो और मोदी के बीच बैठक के दौरान उठाया गया था. बाद में भारतीय प्रधानमंत्री कार्यालय ने सार्वजनिक तरीके से कनाडा में कथित रूप से भारत विरोधी गतिविधियों की आलोचना की थी. उधर, ट्रूडो ने भी रिपोर्ट्स को बताया था कि उन्होंने कनाडा की राजनीति में विदेशी हस्तक्षेप का मुद्दा उठाया था.

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भारत और कनाडा के बीच रिश्ते पिछले कुछ समय से लगातार बिगड़ रहे हैं. G-20 समिट से ठीक पहले कनाडा ने भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते के लिए बातचीत रोक दी. इसके बाद दोनों देश के बीच तनाव लगातार बढ़े. G-20 समिट के दौरान भी जस्टिन ट्रूडो के सामने कनाडा में खालिस्तान समर्थकों का मुद्दा उठाया गया था. इस समिट के बाद कनाडा की मीडिया और वहां के विपक्षी नेताओं का ये भी कहना था कि G20 समिट में भारत और अन्य देशों ने जस्टिन ट्रूडो को नज़रअंदाज किया.

ट्रूडो की भारत यात्रा पर कनाडा के अखबार द टोरंटो सन ने अपने एक लेख में लिखा था कि प्रधानमंत्री बनने के बाद साल 2018 में ट्रूडो की पहली भारत यात्रा पूरी तरह से एक डिज़ास्टर थी, जिसमें एक दोषी करार दिए आतंकवादी को अपने साथ डिनर के लिए आमंत्रित करना भी शामिल था. इस बार ट्रूडो G20 में गए और भारत के साथ संबंधों को और भी खराब कर दिया, साथ ही कनाडा को प्रमुख सहयोगियों से भी दूर कर दिया.

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