The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • News
  • In Odisha Puri Jagannath Mandir rats giving sleepless nights to authorities and servitors

जगन्नाथ मंदिर बंद होते ही दौड़ते हैं चूहे, अबतक क्या-क्या कुतर डाला?

मंदिर में चूहों को मारा भी नहीं जा सकता.

Advertisement
Jagannath Temple Puri
जगन्नाथ मंदिर (फोटो सोर्स-PTI, आज तक)
pic
शिवेंद्र गौरव
23 मार्च 2023 (Updated: 23 मार्च 2023, 03:12 PM IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

पुरी के जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Temple Puri) के प्रशासन से जुड़े लोगों की नींद हराम है. उसकी वजह है चूहे. ये चूहे मंदिर में भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के वस्त्र काट चुके हैं. मंदिर के लोगों को डर है कि ये चूहे अब कहीं देवी-देवताओं की लकड़ी की मूर्तियों को ना कुतर डालें. समस्या इसलिए बड़ी है क्योंकि मंदिर के नियमों के मुताबिक इन चूहों को मारा भी नहीं जा सकता है.  

हिंदू पंचांग का चैत्र महीना चल रहा है. इस महीने पुरी के जगन्नाथ मंदिर में एक अनुष्ठान होता है. जिसे खसपदा अनुष्ठान कहते हैं. अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक बीते सोमवार, 20 मार्च को मंदिर में खसपदा की तैयारी चल रही थी. अनुष्ठान करने जा रहे मंदिर के सेवकों ने देखा कि चूहों ने देवी-देवताओं के कपड़े कुतर दिए हैं. चूहों ने पवित्र वेदी पर चढ़ाया जाने वाले प्रसाद भी खा लिया था. मंदिर का गर्भगृह भी चूहों के मल-मूत्र से भरा हुआ था.

मंदिर के एक वरिष्ठ सेवक, बिनायक दसमोहापात्रा ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा,

"देवताओं के श्रीअंग (पवित्र लकड़ी से बनी मूर्ति) को कोई नुकसान नहीं हुआ है. लेकिन चूहों ने देवताओं की पोशाक, और वहां चढ़ाए गए फूल, तुलसी के पत्ते वगैरह को नुकसान पहुंचाया है."

उन्होंने बताया कि रात में मंदिर के बंद हो जाने के बाद, चूहों का आतंक बढ़ जाता है. ये पवित्र वेदी के आस-पास छिपते, भागते, हंगामा करते रहते हैं.

सोमवार के अनुष्ठान में मौजूद मंदिर के दूसरे सेवादार रामचंद्र दसमोहापात्रा कहते हैं कि चूहों का ये खतरा रोका जाए, इसके लिए मंदिर प्रशासन से तत्काल कुछ उपाय करने को कहा गया है. 

सेवादारों की चिंता पर श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (SJTA) ने आश्वासन दिया है कि वे जरूरी कदम उठा रहे हैं. एक अधिकारी कहते हैं,

“देवताओं की मूर्तियों पर नियमित रूप से चंदन और कपूर से पॉलिश की जा रही है.”

जगन्नाथ मंदिर में हर साल 9 दिनों तक देवी-देवताओं की एक सालाना रथ यात्रा होती है. जगन्नाथ मंदिर के पास ही गुंडिचा मंदिर है. मान्यता है कि ये भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर है. इसलिए हर साल भगवान जगन्नाथ अपने भाई बहनों के साथ वहां जाते हैं. जगन्नाथ मंदिर के एक और सेवादार दिबिषदा बी गर्नायक कहते हैं कि मंदिर के प्रशासन और सेंट्रल बॉडी को मिलकर कुछ कोशिश करनी चाहिए थी, ताकि यात्रा से पहले मंदिर को चूहों के आतंक से मुक्त कराया जा सके. अब इस मामले में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को हस्तक्षेप करना चाहिए. 

दिबिषदा कहते हैं,

"अगर चूहों से छुटकारा पाने के लिए कुछ करना है तो यात्रा के समय जब सालाना रख्ररखाव के काम होते हैं, उसी समय किया जा सकता है."

दरअसल, हर सुबह मंदिर के देवताओं को तैयार किया जाता है. सेवादार कहते हैं कि गर्भगृह में चूहों और कॉकरोच वगैरह के चलते उन्हें अनुष्ठान करने में दिक्कत होती है. और ये दिक्कत सालों से चली आ रही है. और कोविड के दौरान 2 साल मंदिर बंद रहा तो चूहों की आबादी और बढ़ गई.

साथ ही, इन चूहों को मारा भी नहीं जा सकता. जगन्नाथ मंदिर के रिकॉर्ड ऑफ़ राइट्स (RoR) में मंदिर में होने वाले सारे अनुष्ठान, लोगों के काम और जिम्मेदारियों को बताया गया है. इसमें ये भी बताया गया है कि चूहे, बंदर या कबूतरों की दिक्कतों से कैसे निपटना है. जिसके मुताबिक चूहों को मारा नहीं जा सकता. ऐसे में चूहों को जाल में बंद कर मंदिर के परिसर के बाहर छोड़ दिया जाता है.

हालांकि मंदिर में एक भक्त ने एकव मशीन दान की थी. जिसकी आवाज से चूहे भाग जाते थे. लेकिन सेवादारों का कहना था कि इससे देवताओं की नींद में खलल पड़ता है, जिसके बाद मशीन को हटा दिया गया.

वीडियो: कोरोना संकट में भी नहीं रुकने वाली जगन्नाथ पुरी रथयात्रा की कहानी हमसे जान लीजिए

Advertisement

Advertisement

()