'कपड़े उतारो वर्ना...', मणिपुर में नग्न कर घुमाई गई महिलाओं में से एक ने आपबीती बताई
'गैंगरेप' के आरोप पर इस पीड़िता ने बड़ी जानकारी दी है.
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मणिपुर हिंसा से जुड़ी एक घटना के वीडियो ने सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक गलियारों तक हंगामा मचा दिया है. इस वीडियो भीड़ में घिरी दो महिलाएं दिख रही हैं. उनके शरीर पर कपड़े नहीं हैं. भीड़ में शामिल पुरुष उनके साथ अमानवीय व्यवहार करते दिख रहे हैं. कई मीडिया रिपोर्ट्स और मणिपुर के एक संगठन के मुताबिक घटना बीती 4 मई की है. इन दोनों महिलाओं को नग्न कर उनकी परेड कराई गई थी और कथित रूप से उनका बलात्कार किया गया था.
इंडिया टुडे नॉर्थ ईस्ट पर छपी खबर के मुताबिक महिलाओं को धान के खेतों में ले जाकर उनका गैंगरेप किया गया था. उन्हीं में से एक पीड़िता ने अपनी आपबीती बताई है.
द स्क्रोल में अनुराभ सैकिया की रिपोर्ट में सर्वाइवर महिला बताती है कि उस दिन ‘मैतई’ समुदाय के लोगों भीड़ पड़ोस के एक गांव में घरों को जला रही थी. तब उनका परिवार एक कच्ची सड़क से भाग निकला था. लेकिन भीड़ ने उन्हें पकड़ लिया. इस महिला ने बताया कि उनके पड़ोसी और उसके बेटे को थोड़ी दूर ले जाकर मार दिया गया. इसके बाद भीड़ ने महिलाओं का उत्पीड़न करना शुरू किया और उन्हें कपड़े उतारते को कहा. पीड़ित महिला ने कहा,
"हमने विरोध किया, पर हमें जान से मारने की धमकी दी गई."
40 साल से ज्यादा उम्र की इस महिला ने जान बचाने के लिए अपने सारे कपड़े उतार दिए. इस दौरान भीड़ में शामिल पुरुष उन्हें लगातार थप्पड़, घूंसे मार रहे थे. इस महिला ने बताया कि उनकी पड़ोसी लड़की के साथ क्या हो रहा था, इसकी जानकारी उन्हें नहीं है. पीड़िता ने पड़ोसी लड़की की उम्र 21 साल बताई है.
स्क्रोल के मुताबिक महिला ने आगे बताया कि उन्हें भीड़ एक खेत में ले गई और वहां जमीन पर लेट जाने को कहा. महिला कहती है,
‘मुझे तीन लोगों ने घेरे लिया. एक ने दूसरे से कहा, ’इसका रेप करते हैं.' लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया.'
इतने जघन्य अनुभव से गुजरने के बाद खुद को जिंदा पाकर महिला खुद को 'खुशनसीब' मानती है, ये कहते हुए कि उसका रेप नहीं हुआ.
इस घटना का वीडियो बुधवार 19 जुलाई को वायरल हुआ. इसके सामने आने के बाद मणिपुर के एक संगठन इंडिजीनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (ITLF) ने प्रेस रिलीज जारी कर इसकी निंदा की. ITLF के मुताबिक मणिपुर में जातीय संघर्ष के बीच दो कुकी-ज़ो आदिवासी महिलाओं का 'गैंगरेप' किया गया. ITLF की प्रेस रिलीज में दावा किया गया है कि घटना 4 मई की है. पीड़ित महिला ने भी 4 मई को इस घटना के होने की पुष्टि की है.
जानकारी के मुताबिक इस मामले में पुलिस से शिकायत की गई है. इसमें गांव के मुखिया ने इस घटना का पूरा ब्योरा दिया है. इसके मुताबिक 4 मई की दोपहर 3 बजे के आसपास लगभग 900-1000 लोगों की भीड़ उनके गांव ‘बी. फीनोम’ आई. मुखिया ने बताया कि ये संभवतः मैतेई संगठनों के लोग थे. उनके पास भारी मात्रा में ऑटोमैटिक हथियार थे. उन लोगों ने गांव के घरों में तोड़फोड़ और लूटपाट के बाद आग लगा दी थी.
ITLF प्रेस रिलीज में कहा गया है,
“इन निर्दोष महिलाओं द्वारा झेली गई भयावह यातना अपराधियों के उस वीडियो को शेयर करने से बढ़ गई है, जिससे सोशल मीडिया पर पीड़ितों की पहचान जाहिर हो रही है.”
ITLF ने मांग की है कि केंद्र और राज्य सरकारें, राष्ट्रीय महिला आयोग और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग इसका खुद संज्ञान लें और पीड़ितों को इंसाफ देने के लिए हर जरूरी कदम उठाएं. इस पूरे मामले में कांगपोकपी ज़िले के साइकुल पुलिस स्टेशन ने 21 जून को FIR दर्ज की थी.
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