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'मेरी सैलरी नहीं बढ़ा रहे', 15 साल से सिक लीव लिए एंप्लॉई की शिकायत सुन सब हिले!

IBM कंपनी की शिकायत लेकर कोर्ट पहुंचे तो क्या हुआ?

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IBM employee on sick leave for 15 years sues company for not raising salary
15 साल सिक लीव लेने वाले इंप्लॉय ने की कंपनी की शिकायत (फोटो- पेक्सेल)
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ज्योति जोशी
16 मई 2023 (Updated: 16 मई 2023, 04:29 PM IST) कॉमेंट्स
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IBM कंपनी में काम करने वाला एक शख्स साल 2008 से सिक लीव पर है. अब उसने कंपनी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है. आरोप है कि कंपनी बाकी कर्मचारियों की तरह उसकी सैलरी नहीं बढ़ा रही और उसके साथ भेदभाव कर रही है (IBM Employee Sues Company). इयान क्लिफोर्ड UK की इस कंपनी के साथ बतौर सीनियर IT कार्यकर्ता जुड़े हुए हैं.

टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, क्लिफोर्ड सितंबर 2008 में तबीयत खराब होने पर सिक लीव पर गए थे. उन्हें मेंटल हेल्थ से जुड़ी दिक्कतें और ल्यूकेमिया बीमारी हो गई थी. 2013 में उन्हें कंपनी की डिसेबिलिटी योजना में डाल दिया गया. योजना कहती है कि जो भी कर्मचारी बीमारी के चलते काम करने में असमर्थ है उसे कंपनी से निकाला नहीं जाएगा. वो कंपनी का कर्मचारी ही रहेगा. उसके ठीक होने, रिटायर होने या मौत होने तक कंपनी उसे सैलरी का 75 फीसदी पैसा देती रहेगी. कर्मचारी पर काम करने का भी कोई प्रेशर नहीं होगा.

2013 में उनकी सैलरी थी 72,037 पाउंड (करीब 74 लाख रुपये). 75 फीसदी के हिसाब से क्लिफोर्ड की सालाना सैलरी बनी 54,000 पाउंड यानी लगभग 55,30,556 रुपये. मतलब रिटायरमेंट तक या कहें 65 साल की उम्र तक इतने पैसे की गारंटी तय हुई.

इयान क्लिफोर्ड (सोर्स- लिंक्डिन)

अब क्लिफोर्ड ने तर्क दिया है कि इतना पैसा काफी नहीं है, क्योंकि समय के साथ महंगाई बढ़ रही है. वो 2022 में केस को कोर्ट में लेकर गए. क्लिफोर्ड ने दावा किया कि काम करने में असमर्थ होने की वजह से उन्हें भेदभाव का शिकार होना पड़ा. 15 साल से काम बंद रहने के दौरान उनका वेतन नहीं बढ़ाया गया. उन्होंने कंपनी की डिसेबिलिटी योजना पर भी सवाल उठाए.

कोर्ट ने क्या कहा?

कोर्ट ने क्लिफोर्ड ने दावों को खारिज कर दिया. कहा गया कि कंपनी की डिसेबिलिटी योजना के तहत क्लिफोर्ड को पर्याप्त लाभ दिया गया है. जज हाउसगो ने कहा कि एक्टिव कर्मचारी को सैलरी हाइक मिलती है और निष्क्रिय कर्मचारियों को नहीं. ये एक अंतर है, लेकिन ये इस वजह से नहीं है कि कर्मचारी डिसेबल है. जज ने कहा, भेदभाव वाला दावा गलत है क्योंकि योजना का फायदा सिर्फ डिसेबल को ही मिल सकता है. ये मामला भेदभाव का नहीं है बल्कि कंपनी की योजना से जुड़ा है. भले ही महंगाई के साथ सैलरी कम लगने लगी हो लेकिन तब भी वो काफी बड़ा फायदा है. बता दें, इस साल जनवरी में ही कंपनी ने हजारों कर्मचारियों की छंटनी की थी. 

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