कहीं मरवा दिया, कहीं 800 करोड़ रुपये खर्च किए... अन्य देश कुत्तों की समस्या से कैसे निपट रहे?
Supreme Court के आदेश के बाद भारत में एक बहस छिड़ गई कि आखिर आवारा कुत्तों की समस्या से निपटने के लिए सबसे बढ़िया तरीका क्या हो सकता है? ऐसे में यह जानना भी जरूरी हो जाता है कि दुनिया के अलग-अलग देश कुत्तों के हमलों और आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या से कैसे निपटते हैं.

आवारा कुत्तों पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेश के बाद देश भर में बवाल मचा हुआ है. 11 अगस्त को शीर्ष कोर्ट ने आदेश दिया था कि दिल्ली-NCR के सभी आवारा कुत्तों को पकड़कर शेल्टर होम्स में शिफ्ट किया जाए. जिसके बाद भारत में एक गरमा-गरम बहस छिड़ गई कि आखिर आवारा कुत्तों की समस्या से निपटने के लिए सबसे बढ़िया तरीका क्या हो सकता है? ऐसे में यह जानना भी जरूरी हो जाता है कि दुनिया के अलग-अलग देश आवारा कुत्तों के हमलों और आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या से कैसे निपटते हैं.
नीदरलैंडइंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, यूरोप के इस देश ने एक व्यापक वेलफेयर-फर्स्ट नीति अपनाई. जिसमें लोगों को शेल्टर होम्स से कुत्तों को गोद लेने के लिए प्रोत्साहित किया गया और पेट स्टोर से कुत्तों की खरीदारी पर भारी टैक्स लगाया गया. सरकार द्वारा CNVR (Collect, Neuter, Vaccinate, Return) कार्यक्रम शुरू किया. जिसमें आवारा जानवरों के लिए मुफ्त नसबंदी और टीकाकरण किया जाता है. सख्त एंटी-क्रूएल्टी कानून और भारी जुर्माना लागू किया गया और आवारा जानवरों को गोद लेने के लिए बड़े स्तर पर जागरूकता अभियान चलाए गए.

आंकड़ों के मुताबिक, मोरक्को में हर साल लगभग एक लाख लोगों को कुत्ते काटते हैं. यहां सरकार ने 2019 में ट्रैप-न्यूटर-वैक्सीनेट-रिलीज़ (TNVR) कार्यक्रम शुरू किया. जिसमें आवारा कुत्तों को पकड़ना, उनकी नसबंदी करना और उन्हें रेबीज का टीका लगाना शामिल है. इसके बाद उन्हें आईडी टैग के साथ उनके इलाके में वापस छोड़ दिया जाता है, ताकी लोगों को पता चल सकें कि वे इन कुत्तों से सुरक्षित हैं.

मोरक्को की मीडिया के मुताबिक, मोरक्को के गृहमंत्री ने आवारा कुत्तों की बढ़ती आबादी से निपटने के लिए 100 मिलियन डॉलर (लगभग 800 करोड़ भारतीय रुपये) की सहायता का एलान किया. जिसके तहत 130 सामुदायिक स्वच्छता कार्यालय खोले जाएंगे, जिनमें 60 डॉक्टर, 260 नर्स, 260 हेल्थ टेक्नीशियन और 130 वेटरिनेरियन नियुक्त किए गए, ताकि 1244 नगरपालिकाओं में शेल्टर मैनेज किए जा सकें.
हालांकि, देश को एक्टिविस्ट्स और एनिमल राइट्स ग्रुप्स की आलोचना और आरोपों का सामना करना पड़ा है. जिन्होंने आरोप लगाया कि सरकार 2030 फीफा विश्व कप की सह-मेजबानी से पहले गुप्त रूप से कुत्तों को मार रही है.
कंबोडियाकंबोडिया में, एक बड़े पैमाने पर डॉग वैक्सीनेशन कैंपेन चलाया गया. जहां महज दो हफ्ते के भीतर 2.2 लाख कुत्तों को रेबीज़ का टीका लगाया गया. इस वैक्सीनेशन कैंपेन का मकसद रेबीज़ को फैलने से रोकना था.

भूटान ने 2022 में NADPAM और RCP प्रोग्राम चलाया. जिसके तहत आवारा कुत्तों की आबादी को कंट्रोल करने के लिए नसबंदी की गई है. विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, भूटान आवारा कुत्तों की 100 प्रतिशत नसबंदी करने वाला पहला देश बन गया है.

यह प्रोग्राम मार्च 2022 में शुरू किया गया और 3.55 मिलियन डॉलर की लागत से अक्टूबर 2023 में पूरा हुआ. तीन चरणों में आयोजित इस पहल में देश भर के कुल 61,680 कुत्तों की नसबंदी की गई, जिनमें से 91% खुलेआम घूमने वाले कुत्ते थे.
तुर्की और पाकिस्तानतुर्की ने लाखों आवारा कुत्तों को हटाने के लिए कानून बनाया है. जिसके तहत कुत्तों को हटाने, शेल्टर में रखने, टीकाकरण, नसबंदी और गोद लेने का प्रावधान है. इसके अलावा केवल बीमार या खतरनाक जानवरों को मारने की ही अनुमति है. पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में कुत्तों के हमलों में बढ़ोतरी की वजह से अधिकारियों ने मार्च 2025 तक दो सप्ताह के अंदर 1,000 आवारा कुत्तों को मारने का फैसला लिया.
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बताते चलें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, रेबीज़ के कारण हर साल 150 से ज़्यादा देशों में लगभग 59,000 लोगों की मौत होती है. भारत में, यह बीमारी हर साल 18,000 से 20,000 लोगों की जान लेती है. और इन दुखद मामलों में से लगभग 30-60% मामले 15 साल से कम उम्र के बच्चों के होते हैं. रेबीज से होने वाली ज्यादातर मौतें (99 प्रतिशत से अधिक) कुत्तों के काटने की वजह से होती हैं.
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