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दिल्ली दंगों के आरोपी को तिहाड़ से गेस्ट हाउस में शिफ्ट क्यों कर दिया गया है?

आसिफ इक़बाल तन्हा पर जामिया में हिंसा का भी आरोप है.

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जामिया के छात्र आसिफ इक़बाल तन्हा पर दिल्ली दंगों की साजिश का आरोप है. (फोटो - इंडिया टुडे)
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मयंक
4 दिसंबर 2020 (Updated: 4 दिसंबर 2020, 06:53 PM IST) कॉमेंट्स
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दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली दंगों के आरोप में जेल में बंद जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्र आसिफ इक़बाल तन्हा को किसी गेस्ट हाउस में शिफ्ट करने का निर्देश दिया. दरअसल, शुक्रवार 4 दिसंबर से आसिफ की परीक्षाएं शुरू हुई हैं. जेल प्रशासन को ऐसा निर्देश इसलिए दिया गया ताकि आसिफ को पढ़ाई करने और परीक्षाएं देने में कोई दिक्कत न हो. हाई  कोर्ट के जस्टिस मनोज कुमार ओहरी की बेंच ने तिहाड़ जेल के सुपरिंटेंडेंट को दिए आदेश में ये भी कहा कि आसिफ इक़बाल को अपने साथ पढ़ाई की चीज़ें ले जाने की भी अनुमति दी जाए. उसे अगर इससे संबंधित दूसरी चीजों की ज़रूरत हो, तो वो भी उपलब्ध कराई जाएं. दिल्ली पुलिस ने कोर्ट को बताया कि उसे लाजपत नगर के गेस्ट हाउस ले जाया जा सकता है. हाई कोर्ट ने कहा कि आसिफ को 4, 5 और 7 दिसंबर को जामिया मिल्लिया इस्लामिया स्थित उसके एग्जाम सेंटर ले जाया जाए. जब परीक्षाएं ख़त्म हो जाएं तो उसे वापस जेल लेकर आया जाए. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि गेस्ट हाउस स्टे के दौरान दिन में एक बार उसे अपने वकील से फ़ोन पर बात करने की इजाज़त दी जाए.

फ़ारसी की पढ़ाई कर रहा है आसिफ

आसिफ इक़बाल तन्हा इस बार अपने बीए पर्शियन ऑनर्स की कंपार्टमेंटल परीक्षाएं देगा. आसिफ को फरवरी में हुए दिल्ली दंगों की साजिश करने के आरोप में मई को गिरफ्तार किया गया था. 24 वर्षीय इस छात्र को उमर ख़ालिद, शरजील इमाम, सफूरा ज़रगर और मीरान हैदर का साथी बताया गया था. शाहीन बाग़ के रहने वाले आसिफ पर पिछले साल 15 दिसंबर में जामिया में हिंसा भड़काने का भी आरोप है. पिछले साल 15 दिसंबर को प्रदर्शनकारियों ने 4 पब्लिक बसों और 2 पुलिस की गाड़ियों में आग लगा दी थी. इसके बाद 16 दिसंबर, 2019 को आसिफ इक़बाल के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने केस रजिस्टर किया था. बता दें, इसी साल फरवरी में दिल्ली के उत्तर-पूर्वी इलाकों में सांप्रदायिक दंगे हुए थे. कुछ आरोपियों की इस सिलसिले में गिरफ्तारी हुई थी. कुछ के खिलाफ सख्त कानून  UAPA लगाया गया. इस गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम यानी UAPA के तहत किसी पर केस चलाने के लिए सरकार की मंज़ूरी लेना जरूरी होता है. कई महीने विचार के बाद दिल्ली सरकार ने करीब एक हफ्ते पहले ही UAPA के तहत मुकदमा चलाने की मंज़ूरी दी है.

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