देश में H3N2 इन्फ्लूएंजा वायरस से पहली दो मौतें, सरकार के सूत्रों ने डराने वाली जानकारी दी
कई मेडिकल जानकारों का मानना था कि वायरस बहुत ज्यादा गंभीर नहीं है.

इन्फ्लूएंजा वायरस H3N2 अब लोगों की जान ले रहा है. हरियाणा और कर्नाटक में इस विषाणु से एक-एक व्यक्ति के मारे जाने की खबर है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से आई मीडिया रिपोर्टों में ये जानकारी दी गई है. वहीं इंडिया टुडे/आजतक के मुताबिक मंत्रालय के सूत्रों ने कहा है कि अब तक 6 लोग H3N2 वायरस से मारे गए हैं. इन लोगों की उम्र और स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी फिलहाल उपलब्ध नहीं है.
आधिकारिक रूप से अब तक देश में इन्फ्लूएंजा H3N2 वायरस के 90 से ज्यादा केस दर्ज किए गए हैं. वहीं H1N1 के 8 केस सामने आए हैं. बताया जा रहा है कि ये H3N2, इन्फ्लूएंजा वायरस के बाकी वेरिएंट्स के मुकाबले ज्यादा खतरनाक है. मेडिकल जानकार इस वायरस के ज्यादातर लोगों के लिए गंभीर नहीं होने की बात कर रहे थे. उनका कहना था कि बुजुर्गों और कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों को इससे ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है. सामान्य स्वास्थ्य और युवाओं के लिए ये जानलेवा नहीं है. अब इससे कुछ लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, ऐसे में ये जानना जरूरी हो गया है कि मृतकों का स्वास्थ्य कैसा था और उनकी आयु क्या थी.
कुछ दिन पहले AIIMS के पूर्व निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने इस वायरस को लेकर लोगों को चेताया था. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने भी इस सीजन में बुखार, सर्दी, खांसी और जुकाम के बढ़ते मामलों के लिए इन्फ्लूएंजा A वायरस के सब-टाइप H3N2 को जिम्मेदार ठहराया था. साथ ही लोगों के लिए गाइडलाइंस जारी की थीं.
क्या लक्षण हैं और कैसे फैलता है H3N2?सीजनल इन्फ्लूएंजा एक एक्यूट रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन है. मतलब ये सांस से जुड़ा संक्रमण है, जो तरह-तरह के इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण होता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक सीजनल इन्फ्लूएंजा वायरस के चार टाइप पहचाने गए हैं- A, B, C, D. इनमें A और B टाइप से सीजनल फ्लू फैलता है. टाइप C के ज्यादा केस सामने नहीं आते और ये हल्के इन्फेक्शन करने वाला माना जाता है. वहीं टाइप D सिर्फ मवेशियों में फैलता है, इंसानों में इसका कोई केस अब तक सामने नहीं आया है. इन्फ्लूएंजा टाइप A के दो सब-टाइप होते हैं- H3N2 और H1N1.
बुखार, ठंड लगना, खांसी, मिचली, उल्टी, गले में दिक्कत, बदन दर्द, दस्त, नाक बहना और छींक आना. सीजनल फ्लू में आप में ये लक्षण सामने आ सकते हैं.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के मुताबिक फ्लू की वजह से आया बुखार तीन दिनों के बाद ठीक हो जाता है. वहीं खांसी तीन हफ्तों तक बनी रह सकती है. फ्लू के लक्षणों से आमतौर पर लोगों को एक हफ्ते अंदर राहत मिल जाती है. हालांकि, इस समय ज्यादातर लोग लंबे समय तक रहने वाले सीजनल फ्लू की शिकायत कर रहे हैं.
कैसे बचा जाए?इन्फ्लूएंजा से बचाव और इसे नियंत्रित करने के लिए कोरोना काल वाले नियम ही अपनाने की जरूरत है. ICMR की ओर से भी इसके लिए गाइडलाइन्स जारी की गई हैं-
- साबुन और पानी से अपने हाथ धोएं.
- अगर फ्लू के कोई लक्षण हैं, तो मास्क पहनें और भीड़ में ना जाएं.
- खांसते और छींकते समय अपने नाक और मुंह को कवर करें.
- फ्लू के लक्षण हैं, तो खाने में पर्याप्त मात्रा में तरल चीजें लें.
- बुखार और बदन में दर्द के लिए पैरासिटामोल की गोली लें.
- खुद से बिना डॉक्टर की सलाह के कोई एंटीबायोटिक या कोई और दवा ना लें.
वीडियो: Covid जैसा ही है H3N2 इन्फ्लुएंजा, इससे कौन सी वैक्सीन बचाएगी, AIIMS के पूर्व डायरेक्टर ने बताया है?