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  • GVK Group chairman GVK Reddy and his son GV Sanjay Reddy booked by CBI for alleged irregularities in running mumbai airport

देश के बड़े एयरपोर्ट को चलाने वाली कंपनी को CBI ने किस ‘घपले’ में घेर लिया?

सवाल 705 करोड़ रुपये का है.

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जीवीके रेड्डी (राइट) की कंपनी AAI के साथ मिलकर मुंबई एयरपोर्ट का रखरखाव देखती है.
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लालिमा
2 जुलाई 2020 (Updated: 1 जुलाई 2020, 04:12 AM IST) कॉमेंट्स
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सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) ने GVK ग्रुप के खिलाफ केस दर्ज किया है. ये कंपनी मुंबई एयरपोर्ट के संचालन और रखरखाव का काम करती है. CBI ने कंपनी के चेयरमैन गणपति वेंकट कृष्णा रेड्डी (GVK रेड्डी) और उनके बेटे जी.वी. संजय रेड्डी के खिलाफ केस दर्ज किया है. इन दोनों के अलावा मुंबई एयरपोर्ट के रखरखाव में शामिल कुछ और लोगों के नाम भी FIR में हैं. सभी के ऊपर मुंबई इंटरनैशनल एयरपोर्ट के विकास की आड़ में 705 करोड़ रुपए गबन करने का आरोप लगा है.

'दी इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के मुताबिक, मुंबई इंटरनैशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (MIAL) एक जॉइंट वेंचर है. इस वेंचर में GVK ग्रुप, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) और कुछ विदेशी संस्थाएं शामिल हैं. पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPE) मॉडल के तहत AAI ने MIAL नाम से जॉइंट वेंचर बनाया था.

CBI ने FIR में क्या-क्या लिखा?

CBI का कहना है कि MIAL में शामिल GVK ग्रुप के प्रमोटर्स ने जाली कॉन्ट्रैक्ट्स बनाकर MIAL के खर्चे को बढ़ाकर दिखाया. इस तरह करीब 705 करोड़ रुपए का गबन किया.

FIR के मुताबिक, MIAL ने 2017-18 में कथित तौर पर नौ कंपनियों के साथ 310 करोड़ की कीमत वाले कुछ फेक कॉन्ट्रैक्ट्स किए थे, जो कि रियल एस्टेट डेवलपमेंट जुड़े हुए थे, लेकिन असल में इन कॉन्ट्रैक्ट्स पर कभी अमल किया ही नहीं गया.

CBI का कहना है कि GVK ग्रुप के प्रमोटर्स ने MIAL के 395 करोड़ के सरप्लस यानी बचत का इस्तेमाल अपने ग्रुप की कंपनियों की फंडिंग में किया है. ऐसा साल 2012 से किया जा रहा था. इसके अलावा MIAL के खर्चे को बढ़ाकर GVK ग्रुप ने कम से कम 100 करोड़ रुपए का गबन किया है.

एयरपोर्ट के प्रीमियम रिटेल एरिया, यानी बड़े-बड़े ब्रांड को शोरूम के लिए जो एरिया दिया जाता है, उसे लेकर भी GVK ग्रुप पर गड़बड़ी करने का आरोप लगा है. CBI का कहना है कि मुंबई एयरपोर्ट के प्रीमियम रिटेल एरिया को GVK ग्रुप ने अपने परिवार और रिश्तेदारों की कंपनियों को दे दिया था. वो भी बहुत ही कम रेट पर, जिससे MIAL के रेवेन्यू में कमी आई थी.

ये सबकुछ CBI ने अपनी FIR में लिखा है. मोटामोटी ये आरोप लगे हैं कि कई सारे तरीकों से, कई सारी गड़बड़ियां करके GVK ग्रुप ने MIAL के कामकाज से पैसे बनाए. 'द हिंदू' की रिपोर्ट के मुताबिक, AAI के भी कुछ अज्ञात अधिकारी CBI की नज़र में हैं, क्योंकि कथित तौर पर ये सारी गड़बड़ियां उनकी नाक के नीचे ही हुईं.


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