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गुजरात : IPS संजीव भट्ट के खिलाफ शिकायत वापस लेने की बात कहने वाला 2 दिन बाद पलट गया

क्या था मामला जिसमें कोर्ट ने संजीव भट्ट को जेल भेज दिया?

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पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट (फ़ाइल फोटो: आजतक)
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अभय शर्मा
1 अप्रैल 2022 (Updated: 31 मार्च 2022, 05:27 AM IST) कॉमेंट्स
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संजीव भट्ट (sanjiv bhatt) गुजरात कैडर के पूर्व आईपीएस अधिकारी. काफी समय से जेल में हैं. उन पर आरोप है कि उन्होंने एक व्यक्ति को हिरासत में इतना पीटा कि कुछ रोज बाद उसकी मौत हो गई. शिकायत की महेश चित्रोदा ने. अब मंगलवार, 29 मार्च को महेश ने गुजरात हाईकोर्ट में अर्जी दी. अर्जी में लिखा था कि भट्ट के खिलाफ दायर किया गया केस वापिस लेना है. लेकिन, इसके 2 दिन बाद ही 31 मार्च को महेश अपनी बात से पलट गए. कहा कि वह अपनी शिकायत वापिस नहीं लेना चाहते हैं. शिकायतकर्ता ने क्या कहा? शिकायतकर्ता महेश चित्रोदा ने इस मामले में अदालत में एक एफिडेविट पेश किया है. जिसमें उन्होंने कहा,
'मैंने संजीव भट्ट के खिलाफ अपनी शिकायत को वापिस लेने के फैसले के बारे में जब अपने परिवार से बातचीत की, तब मुझे यह महसूस हुआ कि वापिस वापस लेने का मेरा निर्णय सही नहीं है. अब मैं शिकायत वापस लेने को लेकर अदालत से (ओरली) कही गई अपनी बात से पीछे हट रहा हूं.'
केस वापस लेने पर गुजरात सरकार का क्या रुख था? मंगलवार, 29 मार्च को महेश चित्रोदा ने जब अदालत से केस वापस लेने की बात कही तो गुजरात सरकार के अधिवक्ता मितेश अमीन भी अदालत में मौजूद थे. उन्होंने कहा,
'अगर 30 सालों के बाद अब निजी शिकायतकर्ता महेश चित्रोदा अपनी शिकायत वापिस लेना चाहते हैं, तो इसमें राज्य को कोई आपत्ति नहीं है.'
इसके बाद अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा,
इस केस में इतने सालों तक जो कुछ हुआ उससे बचा जा सकता था. इस अवधि के दौरान अदालत, अधिवक्ता और मामले के वादी अन्य कोई रचनात्मक कार्य कर सकते थे...यह इस मामले में उलटफेर है, इसलिए महेश चित्रोदा शिकायत वापस लेने के लिए एक हलफनामा दायर करें.
संजीव भट्ट के खिलाफ क्या मामला है? यह मामला साल 1990 का है. उस वक्त संजीव भट्ट जामनगर में एडिशनल सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस (ASP) के पद पर तैनात थे. बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी द्वारा निकाली गई रथयात्रा के वक्त जमजोधपुर में सांप्रदायिक दंगों के दौरान उन्होंने 150 लोगों को हिरासत में लिया. इनमें से एक शख्स प्रभुदास वैष्णानी की कथित टॉर्चर के कारण रिहा होने के कुछ दिन बाद अस्पताल में मौत हो गई. इसके बाद महेश चित्रोदा ने आठ पुलिसवालों पर कस्टडी में मौत को लेकर मामला दर्ज करवाया, जिसमें भट्ट भी शामिल थे. इस मामले में जून 2019 में पूर्व आईपीएस अफसर संजीव भट्ट और पुलिस कांस्टेबल प्रवीण सिंह जाला सहित कई पुलिसकर्मियों को जामनगर जिला अदालत ने दोषी करार दिया. कोर्ट ने प्रवीण सिंह जाला और भट्ट को आईपीसी की धारा 302 के तहत दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई. जबकि अन्य दोषियों को आईपीसी की धारा 323 और 506 के तहत दोषी करार दिया गया. संजीव भट्ट और प्रवीण सिंह जाला इसके बाद से ही जेल में हैं. इन दोनों ने ही इस मामले को फर्जी बताते हुए गुजरात हाईकोर्ट से अपनी सजा को निलंबित करने की अपील की है. मंगलवार, 29 मार्च को इस अपील पर सुनवाई के दौरान ही शिकायतकर्ता महेश चित्रोदा ने अपनी शिकायत वापस लेने की बात कही थी.

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