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गुजरात के शिक्षा मंत्री बोले, 'पढ़ाई पसंद नहीं तो दूसरे राज्यों में चले जाओ', विपक्ष हुआ हमलावर

पिछले कई दिनों से गुजरात के शिक्षा मंत्री जीतू वघानी का बयान काफी चर्चा में है. दर्सल जीतू वघानी राजकोट में एक सरकारी स्कूल का उद्घाटन करने पहुंचे. वहां उन्होंने कहा कि जिन लोगों को गुजरात की पढ़ाई पसंद नहीं आती है, वे शौक से किसी दूसरे राज्य में जाकर पढ़ सकते हैं. उनके इस बयान पर विपक्ष सवाल उठा रहा है. विपक्ष का कहना है कि वघानी ने ऐसा कहकर गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों का अपमान किया है.

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Jitu Vaghani, Education minister of Gujarat
गुजरात के शिक्षा मंत्री जीतू वघानी (फोटो: आजतक)
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जागृतिक जग्गू
8 अप्रैल 2022 (Updated: 15 जून 2022, 06:51 PM IST) कॉमेंट्स
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पिछले कुछ दिनों से गुजरात (Gujarat)के शिक्षा मंत्री जीतू वघानी (Jitu Vaghani) का एक बयान काफी चर्चा में है. बुधवार, को राजकोट (Rajkot) में एक सरकारी स्कूल के उद्घाटन के दौरान जीतू वघानी ने कहा, कि जिनको गुजरात की पढ़ाई पसंद नहीं है वे कहीं और जा सकते हैं. उनके इस बयान पर विपक्ष सवाल उठा रहा है. वहीं भाजपा का कहना है कि विपक्ष जानबुझकर जीतू वघानी के बयान का गलत मतलब निकाल रहा है.

वघानी ने क्या कहा था?

इंडिया टुडे के सौरभ वक्तानिया की रिपोर्ट के मुताबिक, बुधवार 6 अप्रैल को जीतू वघानी राजकोट में एक सरकारी स्कूल का उद्घाटन करने पहुंचे. उद्घाटन के बाद शिक्षा मंत्री ने भाषण देना शुरू किया, शुरुआत में तो सब सही रहा लेकिन अचानक वघानी ने प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाने वालों को निशाना बनाते हुए कहा,

"जो लोग यहां पढ़ चुके हैं, यहां कारोबार करते हैं, लेकिन अब उन्हें कहीं और की पढ़ाई पसंद आ रही है. उन्हें जिस राज्य की पढ़ाई पसंद आ रही है, उस राज्य में चले जाना चाहिए. अगर गुजरात की शिक्षा फेल हो गई है, तो आप यहां क्यों हैं."

अपने भाषण में वघानी ने आगे कहा कि गुजरात में 40 हजार सरकारी स्कूल हैं, जिनमें से 20 हजार को 'सेंटर ऑफ एक्सिलेंस' के रूप में विकसित किया जा रहा है. इन 20 हजार स्कूलों में स्मार्ट क्लास और कंप्युटर लैब होंगी. राज्य सरकार का टारगेट है कि एक साल में 1 करोड़ बच्चों को शिक्षा दी जाए.

दरअसल पिछले कुछ दिनों से गुजरात सरकार और आम आदमी पार्टी के बीच जंग छिड़ी हुई है. इस पूरे विवाद की शुरुआत गुजरात बीजेपी के एक ट्वीट से हुई जिसमें बीजेपी ने दिल्ली सरकार की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए. इसके बाद दिल्ली के उप-,मुख्यमंत्री मनीष सीसोदिया ने जवाब देते हुए कहा कि गुजरात सरकार का कोई भी मंत्री और अधिकारी किसी भी वक्त दिल्ली के सरकारी स्कूलों में निरक्षण के लिए आ सकते हैं. इसके बाद से 'आप' ने भी गुजरात की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाने शुरू कर दिए.

'संभाल नहीं सकते तो पड़ छोड़ दें वघानी': कांग्रेस

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक शिक्षा मंत्री के इस बयान को गुजरात कांग्रेस ने 'गैर जिम्मेदाराना' बताया है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मनीष दोषी ने कहा,

"इससे पहले भी जीतू वघानी खुले में बच्चों के पढ़ने पर एक बयान दे चुके हैं, जिसपर हाईकोर्ट ने उन्हें फटकारा था. इस बार भी उन्होंने ऐसा ही कहा है. अगर वो शिक्षा मंत्रालय को संभालने के काबिल नहीं हैं तो अपना पद छोड़ सकते हैं."

वहीं आप नेता इसुदान गढ़वी का कहना है कि जीतू वघानी का ये बयान बेहद दुखदायी है. ये गरीब और मध्यम वर्ग के बच्चों और उनके माता-पिता का अपमान है. हम इसकी निंदा करते हैं. जीतू वघानी को तुरंत माफी मांगनी चाहिए.

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