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कोलकाता ट्रेनी डॉक्टर केस: CBI ने कोर्ट में RG Kar हॉस्पिटल के पूर्व प्रिंसिपल का चिट्ठा खोल दिया!

CBI कोलकाता के RG Kar Medical College and Hospital में कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच भी कर रही है. इस मामले में जांच एजेंसी ने 2 सितंबर को कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष और तीन अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया है.

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former principal of RG Kar Medical College and Hospital Sandip Ghosh
3 सितंबर को CBI ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष को कोर्ट में पेश किया. (फोटो: PTI)
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सुरभि गुप्ता
7 सितंबर 2024 (Updated: 7 सितंबर 2024, 09:41 PM IST) कॉमेंट्स
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कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष पर अवैध नियुक्ति करने और गलत तरीके से कॉन्ट्रैक्ट देने का आरोप है. सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन यानी CBI को इससे जुड़े कई डॉक्यूमेंट्स मिले हैं. CBI कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में ट्रेनी डॉक्टर रेप-मर्डर और वहां कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच कर रही है. 

'वित्तीय अनियमितताओं' को लेकर CBI ने 2 सितंबर को RG Kar मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष को गिरफ्तार किया. संदीप घोष के साथ ही बिप्लब सिंहा, सुमन हाजरा और अफसर अली नाम के तीन व्यक्तियों को भी गिरफ्तार किया गया. अगले दिन 3 सितंबर को गिरफ्तार किए गए इन आरोपियों को CBI ने अलीपुर की स्पेशल कोर्ट में पेश किया. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक CBI ने कोर्ट में संदीप घोष पर साल 2022 और 2023 में 84 अवैध नियुक्तियां करने और फंड की हेराफेरी का आरोप लगाया है.

CBI ने कोर्ट में कहा,

"ऐसा संदेह है कि डॉ. संदीप घोष ने पारदर्शी तरीका अपनाए बिना सीधे अपनी पसंद के हाउस स्टाफर्स की नियुक्ति की. इन विसंगतियों का एकमात्र उद्देश्य अपनी पसंद के उम्मीदवारों को चुनना लगता है. साल 2022 और 2023 में हाउस स्टाफर्स के सेलेक्शन को लेकर डॉक्यूमेंट में प्रस्ताव और मार्क्स का कैलकुलेशन शामिल नहीं है. उनमें केवल 84 उम्मीदवारों के चयन के फाइनल मार्क्स और अंतिम आदेश शामिल हैं. जबकि इन चयन प्रक्रियाओं के लिए समितियां बनाई गई थीं, लेकिन मार्क-शीट और दूसरे डॉक्यूमेंट्स में समिति के सदस्यों के हस्ताक्षर गायब हैं."

वित्तीय अनियमितताओं पर CBI ने कहा कि जांच के दौरान ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें टेंडर प्रबंधन के जरिए मिलीभगत कर पैसों की हेरा-फेरी का संकेत मिलता है. इंडिया टुडे के राजेश साहा की रिपोर्ट के मुताबिक CBI ने पाया है कि डॉ. घोष द्वारा टेंडर्स देने की प्रक्रिया पारदर्शी नहीं थी. रिपोर्ट के मुताबिक CBI ने डॉ. संदीप घोष के घर पर छापेमारी के दौरान संस्थान में वेंडर्स को कॉन्ट्रैक्ट देने से जुड़े कई आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त किए हैं.

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बताया गया कि आरजी कर मेडिकल कॉलेज से कॉन्ट्रैक्ट पाने वाले दो वेंडर्स बिप्लब सिन्हा और सुमन हाजरा की पहले से ही संदीप घोष से जान-पहचान थी. संदीप घोष 2016-18 के बीच मुर्शिदाबाद मेडिकल कॉलेज में अपनी तैनाती के समय से बिप्लब सिंहा और सुमन हाजरा को जानते थे. आरजी कर मेडिकल कॉलेज का प्रिंसिपल बनाए जाने के बाद, वो दोनों वेंडर्स को कोलकाता ले आए. दोनों वेंडर्स आरजी कर मेडिकल कॉलेज में मैटेरियल सप्लाई करने लगे.

CBI को पता चला है कि गिरफ्तार किए गए एक आरोपी बिप्लब सिंह के कई फर्म हैं. जैसे, मां तारा ट्रेडर्स, बाबा लोकनाथ और तियाशा एंटरप्राइजेज. ये फर्म उसके, उसके दोस्तों, परिवार और कर्मचारियों के नाम से थे. इन फर्मों के जरिए वो टेंडर की प्रक्रिया में शामिल होता. आखिर में अपनी किसी एक फर्म के नाम पर टेंडर हासिल कर लेता था. 

गिरफ्तार किए गए एक अन्य आरोपी सुमन हाजरा के स्वामित्व वाली हाजरा मेडिकल को भी कथित तौर पर इसी तरह आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल से कई ठेके दिए गए थे. इतना ही नहीं, एक सूत्र ने बताया कि हाजरा मेडिकल को मेडिकल सप्लाई के अलावा सोफा और रेफ्रिजरेटर के लिए भी ठेके मिले थे. अब तक कि जांच में पाया गया है कि डॉ. संदीप घोष के साथ सांठ-गांठ में शामिल होने के बाद सुमन हाजरा का कारोबार 2021-22 से तीन गुना बढ़ गया.

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