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बीच में ही RBI छोड़ने वाले उर्जित पटेल लौट आए हैं, सरकार को बताएंगे कि कैसी आर्थिक नीतियां बनाई जाएं

उर्जित के कार्यकाल में ही नोटबंदी हुई थी, बाद में उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.

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उर्जित पटेल आरबीआई के पूर्व गवर्नर रह चुके हैं.
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20 जून 2020 (Updated: 20 जून 2020, 07:54 AM IST) कॉमेंट्स
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उर्जित पटेल. रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर. अब एक बार फिर से खबरों में है. 19 जून को उन्हें नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी (NIPFP) का चेयरमैन नियुक्त किया गया. NIPFP आर्थिक क्षेत्र में भारत का प्रमुख थिंक टैंक है. यानी आर्थिक नीतियों पर काम करता है. उर्जित पटेल यहां पर विजय केलकर की जगह लेंगे. केलकर करीब छह साल तक NIPFP के चेयरमैन रहे. साल 2018 में बीच में ही छोड़ दिया था RBI गवर्नर पद उर्जित पटेल 22 जून को पद संभाल सकते हैं. उनका कार्यकाल चार साल का होगा. उन्होंने 18 महीने पहले साल 2018 में आरबीआई गवर्नर का पद छोड़ दिया था. उनके ही कार्यकाल में ही नोटबंदी का फैसला हुआ था. देश की अर्थव्यवस्था का इस समय कोरोना वायरस के चलते बुरा हाल है. ऐसे में माना जा रहा है कि केंद्र सरकार उर्जित पटेल के अनुभव का इस्तेमाल करना चाहती है. पटेल पहले सरकार के साथ काम कर चुके हैं ऐसे में उन्हें सरकार के काम करने के तरीके की जानकारी भी है. क्या है NIPFP NIPFP एक स्वायत्त संस्था है. इसका गठन वित्त मंत्रालय, योजना आयोग और कई राज्यों सरकारों ने मिलकर किया था. यह आर्थिक मामलों में केंद्र और राज्य सरकारों को सलाह देती है. लोगों से जुड़ी नीतियां बनाने में इसकी अहम भूमिका रहती है. यह सरकारी दखल से अलग रहती है. इसका काम भी स्वतंत्र होता है. NIPFP की गवर्निंग काउंसिल में राजस्व सचिव, आर्थिक मामलों के सचिव और मुख्य आर्थिक सलाहकार शामिल होते हैं. इनके अलावा नीति आयोग, आरबीआई और तीन राज्य सरकारों के प्रतिनिधि भी होते हैं. नए चेयरमैन की नियुक्ति के लिए 18 जून को गवर्निंग काउंसिल की बैठक हुई थी. इस दौरान विजय केलकर ने ही उर्जित पटेल का नाम आगे किया था. कभी सरकार के खास थे उर्जित उर्जित पटेल 5 सितंबर 2016 को 24वें आरबीआई गवर्नर बने थे. उन्होंने रघुराम राजन की जगह ली थी. मोदी सरकार ने राजन को दूसरा कार्यकाल देने से मना कर दिया था. ऐसे में पटेल को चुना गया था. वे राजन के डिप्टी रहे थे. उन्हें सरकार की गु़ड बुक में माना जाता था. उर्जित पटेल के पद संभालने के कुछ महीनों में ही सरकार ने नोटबंदी का ऐलान कर दिया था. सरकार के इस फैसले की आगे जाकर खूब आलोचना हुई थी. उस समय उर्जित पटेल और आरबीआई ने एक तरह से सरकार के लिए ढाल का काम किया था. बाद में सरकार और आरबीआई के बीच कई नीतियों पर मतभेद हुए. धीरे-धीरे सरकार और आरबीआई के बीच टकराव बढ़ने लगा. ऐसे में 10 दिसंबर 2018 को उर्जित पटेल ने अचानक से निजी कारण बताते हुए गवर्नर का पद छोड़ दिया. उस समय उनके कार्यकाल में 10 महीने का वक्त बचा था. आरबीआई से जुड़ने से पहले ली थी भारत की नागरिकता उर्जित पटेल का परिवार कई सालों पहले भारत से केन्या जाकर बस गया था. उर्जित के पास भी भी केन्या की नागरिकता थी. साल 2013 में उन्हें आरबीआई का डिप्टी गवर्नर बनाया गया. पद संभालने से कुछ समय पहले ही उन्होंने भारत की नागरिकता ली थी. उर्जित ने लंदन स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और येल यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है. उर्जित पटेल के जाने के बाद शक्तिकांत दास को गवर्नर बनाया गया था.
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