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पंजा, कमल, हाथी, तीर-धनुष, साइकिल... राजनीतिक पार्टियों को कैसे मिलता है चुनाव चिह्न?

चुनाव आयोग ने शिवसेना के दोनों गुटों को तीर-धनुष चिह्न पर चुनाव लड़ने से रोक दिया है.

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Election Symbol Allotment
चुनाव आयोग आवंटित करता है सिंबल (फाइल फोटो)
10 अक्तूबर 2022 (Updated: 10 अक्तूबर 2022, 15:59 IST)
Updated: 10 अक्तूबर 2022 15:59 IST
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चुनाव आयोग ने शनिवार, 8 अक्टूबर को महाराष्ट्र में शिवसेना (Shivsena) के चुनाव चिन्ह 'धनुष और बाण' को फ्रीज कर दिया. आयोग ने कहा कि जब तक वे इस निर्णय पर नहीं पहुंच जाते हैं कि 'असली शिवसेना' कौन है, तब तक शिंदे और उद्धव गुट में से कोई भी चुनावी गतिविधियों में 'धनुष और बाण' का इस्तेमाल न करे. उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे कैंप को 10 अक्टूबर तक अपनी पार्टी के निशान के बारे में बताने को कहा गया है. दोनों ही खेमों से उनकी पार्टी के लिए तीन-तीन नाम का प्रस्ताव मांगा गया है.

निर्वाचन आयोग को चुनाव चिन्ह देने का अधिकार

चुनाव चिन्ह (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968 भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) को राजनीतिक दलों को मान्यता देने और चुनाव चिन्ह देने का अधिकार देता है. हर राष्ट्रीय दल को पूरे देश और राज्य स्तर की पार्टी को पूरे राज्य में इस्तेमाल के लिए एक प्रतीक चिन्ह दिया जाता है, जो उस पार्टी का इलेक्शन सिंबल या चुनाव चिन्ह बनता है.

चुनाव चिन्ह दो तरह के होते हैं- आरक्षित यानी रिजर्व चुनाव चिन्ह और फ्री यानी मुक्त चुनाव चिन्ह. 

आरक्षित चुनाव चिन्ह वह प्रतीक होते हैं, जो किसी राष्ट्रीय राजनीतिक दल या राज्य स्तर की पार्टी (State Party) के लिए आरक्षित होते हैं. जैसे निर्वाचन आयोग ने कांग्रेस, BJP, TMC, NCP, बहुजन समाज पार्टी, कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया, CPI (एम) जैसे राष्ट्रीय दलों को जो चुनाव चिन्ह आवंटित किए हैं, वो रिजर्व (आरक्षित) कैटेगरी में आते हैं. देशभर में उन चुनाव चिन्हों पर संबंधित पार्टी का एकाधिकार रहता है. 

आरक्षित प्रतीक से अलग निर्वाचन आयोग ने फ्री चिन्हों की लिस्ट बना रखी है. ये किसी भी पार्टी को अलॉट नहीं किए गए होते हैं. किसी भी नए दल या फिर निर्दलीय उम्मीदवार को इन सिंबल में से चुनाव चिन्ह दिया जा सकता है. निर्वाचन आयोग की फ्री सिंबल वाली लिस्ट में सितंबर, 2021 तक 197 मुक्त (फ्री) चुनाव चिह्न हैं.

हालांकि, कोई दल अगर अपना चुनाव चिन्ह खुद निर्वाचन आयोग को देता है और अगर वो चिन्ह किसी और पार्टी का चुनाव चिन्ह नहीं है तो वो सिंबल भी उस पार्टी को अलॉट किया जा सकता है.

पशु-पक्षी की तस्वीर को चुनाव चिन्ह बनाने पर रोक

आजतक के संजय शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक एक राज्य में रजिस्टर्ड क्षेत्रीय दल का उम्मीदवार उसी राज्य में पार्टी के चुनाव चिन्ह का इस्तेमाल कर सकता है. अगर वह क्षेत्रीय पार्टी किसी दूसरे राज्य में अपने उम्मीदवार उतारती है और उस राज्य में वही चुनाव चिन्ह किसी और दल को पहले से ही आवंटित है, तो दूसरे राज्य की क्षेत्रीय पार्टी को दूसरा चिन्ह दिया जाएगा.

वहीं अब किसी भी राजनीतिक दल को पशु-पक्षियों की फोटो वाला चुनाव चिन्ह नहीं दिया जा सकता है. चुनाव आयोग ने एनिमल राइट्स एक्टिविस्ट्स के विरोध के बाद पशु-पक्षियों की फोटो वाला चुनाव चिन्ह देना बंद कर दिया है. एनिमल राइट्स एक्टिविस्ट्स ने इसका विरोध इसलिए किया था क्योंकि पहले पार्टियों को जिस जानवर का सिंबल दिया जाता था, वो रैलियों में उन जानवरों की परेड करवाने लग जाती थीं. ये जानवरों के प्रति क्रूरता थी. अब निर्जीव चीज ही चुनाव चिन्ह के तौर पर दी जाती है.

वीडियो- चुनाव आयोग ने उद्धव ठाकरे, एकनाथ शिंदे को शिवसेना के चुनाव चिन्ह का इस्तेमाल करने से रोका

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