ट्रंप ने काश पटेल को बनाया FBI का डायरेक्टर, भारतीय मूल के पटेल के बारे में ये बातें आपको पता नहीं होंगी!
Kash Patel FBI Director: Donald Trump का कहना है कि काश एक शानदार वकील, इन्वेस्टिगेटर और ‘अमेरिका फर्स्ट’ फाइटर हैं.
अमेरिका के नए चुने गए राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने काश पटेल (Kash Patel) को FBI डायरेक्टर के रूप में नॉमिनेट किया है. डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने 1 दिसंबर की सुबह भारतीय मूल के पटेल को FBI डॉयरेक्ट बनाए जाने की घोषणा की है. उन्होंने बताया कि काश एक शानदार वकील, इन्वेस्टिगेटर और ‘अमेरिका फर्स्ट’ फाइटर हैं, जिन्होंने अपना करियर भ्रष्टाचार को उजागर करने, न्याय और अमेरिकी लोगों की रक्षा करने में बिताया है.
ट्रंप का मानना है कि मौजूदा सरकार के तहत चल रही कानून व्यवस्था को पूरी तरह से बदलने की जरूरत है. इसी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने पटेल का नाम आगे बढ़ाया है. वहीं, आलोचकों का कहना है कि ट्रंप सरकारी एजेंसियों का इस्तेमाल अपने विरोधियों के खिलाफ कर सकते हैं. ट्रंप ने अपने स्वामित्व वाले सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ट्रुथ सोशल पर पोस्ट किया,
मुझे ये घोषणा करते हुए गर्व हो रहा है कि कश्यप ‘काश’ पटेल FBI के अगले डायरेक्टर के रूप में काम करेंगे. काश ने सत्य, जवाबदेही और संविधान के पक्षधर के रूप में खड़े होकर रूस की धोखाधड़ी को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. काश ने मेरे पहले कार्यकाल के दौरान अविश्वसनीय काम किया, जहां उन्होंने रक्षा विभाग में चीफ़ ऑफ़ स्टाफ़, राष्ट्रीय खुफिया विभाग के डिप्टी डायरेक्टर और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (NSC) में आतंकवाद विरोधी सीनियर डायरेक्टर के रूप में काम किया.
ट्रंप का कहना है कि FBI अब अमेरिका में बढ़ते अपराधों और प्रवासी क्रिमिनल गैंग्स को ख़त्म करेगी और सीमा पार मानव और ड्रग की तस्करी के बुरे संकट को रोकेगी. काश पटेल क्रिस्टोफर रे की जगह लेंगे, जिन्हें 2017 में ट्रंप ने ही नियुक्त किया था. हालांकि, बाद में रे ने कई सार्वजनिक मंचों पर ट्रंप की आलोचना भी की.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़, वर्तमान FBI डायरेक्टर क्रिस्टोफर रे ने संकेत दिया है कि वो अपना शेष कार्यकाल पूरा करना चाहते हैं. क्योंकि ट्रंप के साथ उनके संबंध "तनावपूर्ण" बताए जाते हैं. बताते चलें, FBI डायरेक्टर का कार्यकाल 10 साल का होता है और उनकी नियुक्ति के लिए सेनेट की मंजूरी की ज़रूरत होती है.
‘लिटिल इंडिया’ में जन्मकाश पटेल रिपब्लिकन हाउस के पूर्व कर्मचारी हैं. ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान उन्होंने रक्षा और खुफिया विभागों में हाई रैंक के स्टाफ की भूमिकाएं निभाई थीं. पटेल को रिपब्लिकन उम्मीदवार के लिए समर्थन जुटाने वाले कैंपेन में देखा गया है. उन्होंने कार्यवाहक रक्षा सचिव क्रिस्टोफर मिलर के पूर्व ‘चीफ ऑफ स्टाफ’ के रूप में भी काम किया है.
न्यूयॉर्क में जन्मे कश्यप ‘काश’ पटेल की जड़ें गुजरात के वड़ोदरा से हैं. हालांकि, उनके माता-पिता पूर्वी अफ्रीका से हैं. मां तंजानिया से और पिता युगांडा से. वो 1970 में कनाडा से अमेरिका गए. पटेल ने PTI को दिए एक इंटरव्यू में कहा था, ‘हम गुजराती हैं.’ 70 के दशक के अंत में परिवार न्यूयॉर्क के क्वींस में चला गया. जिसे अक्सर लिटिल इंडिया कहा जाता है. यहीं पर पटेल का जन्म हुआ और वे बड़े हुए.
पटेल के माता-पिता अब रिटायर हो चुके हैं और अपना समय अमेरिका और गुजरात दोनों जगहों में बिताते हैं. न्यूयॉर्क में स्कूली शिक्षा, रिचमंड और वर्जीनिया में कॉलेज हुआ. फिर न्यूयॉर्क के लॉ स्कूल में आगे की पढ़ाई की. वहां से पटेल फ्लोरिडा चले गए, जहां वो चार साल तक राज्य के सरकारी वकील और फिर चार साल तक संघीय सरकारी वकील रहे.
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अल-कायदा और ISIS जैसे ग्रुप्स की जांचबाद में पटेल जस्टिस डिमार्टमेंट में शामिल हुए. वहां उन्होंने आतंकवाद से जुड़े मामलों की जांच की. इसमें अल-कायदा और ISIS जैसे आतंकवादी समूहों से जुड़े लोगों की जांच भी शामिल है. जस्टिस डिपार्टमेंट में उन्होंने ‘जॉइंट स्पेशल ऑपरेशन्स कमांड’ (JSOC) के ‘संपर्क अधिकारी’ के रूप में भी काम किया. बाद में उन्हें राष्ट्रीय खुफिया विभाग के ‘कार्यवाहक निदेशक’ का ‘प्रधान उप-निदेशक’ बनाया गया.
वहां उन्होंने 17 खुफिया सामुदायिक एजेंसियों की देखरेख की और राष्ट्रपति को हर दिन इन मामलों की जानकारी (डेली ब्रीफ) पहुंचाई. फरवरी 2020 में, पटेल कार्यवाहक निदेशक रिचर्ड ग्रेनेल के प्रमुख डिप्टी के रूप में राष्ट्रीय खुफिया निदेशक (ODNI) के ऑफ़िस चले गए. बाद में वो कार्यवाहक रक्षा सचिव क्रिस्टोफर मिलर के चीफ ऑफ स्टाफ बन गए.
ट्रंप के पहले कार्यकाल के अंत में CIA या FBI के उप निदेशक की भूमिका के लिए पटेल के नाम पर विचार किया गया था. लेकिन CIA निदेशक जीना हास्पेल और अटॉर्नी जनरल बिल बार ने इसका विरोध किया. उन्होंने तर्क दिया कि पटेल के पास ज़रूरी अनुभव की कमी है. सरकार छोड़ने के बाद से ही पटेल ट्रंप के एजेंडे को बढ़ावा देने में सक्रिय रहे हैं.
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