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JNU के लापता स्टूडेंट नजीब ने ABVP के विक्रांत को मारा था थप्पड़ : नई चिट्ठी

सभी के साइन हैं. बस नजीब के नहीं. चिट्ठी कितनी सच्ची?

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केतन बुकरैत
21 अक्तूबर 2016 (Updated: 20 अक्तूबर 2016, 03:33 AM IST) कॉमेंट्स
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जेएनयू में एमएससी स्टूडेंट नजीब अहमद अभी तक मिले नहीं हैं. किसी को भी नहीं मालूम है. लगभग 6 दिन हो गए हैं. कोई खोज खबर नहीं. 50,000 का ईनाम भी है. जो भी उसकी सूचना देवे, पैसा ले जावे. अब हुआ ये है कि जानने को मिला है कि नजीब का गायब होने से कुछ ही वक़्त पहले उसके कॉलेज के साथियों के साथ लड़ाई-झगड़ा हुआ था. मेन आदमी था विक्रांत कुमार. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् का कंटेस्टेंट. हॉस्टल में कैम्पेन कर रहा था. वहीं नजीब और विक्रांत के बीच झगड़ा हो गया. इसी झगड़े में कहा जा रहा है कि नजीब की पिटाई कर दी गयी थी. इसके ठीक बाद नजीब अपना सारा सामान छोड़ हॉस्टल से निकल लिया. और अभी तक नहीं लौटा है. पूरा मामला अब पॉलिटिकल बन गया है. मामला इधर से उधर घूम रहा है. लेफ़्ट वाले राइट वाले पे दोष डाल रहे हैं. राइट वाले, लेफ़्ट वालों पर. राइट कौन है और रॉंग कौन, मालूम ही नहीं चल पा रहा है. लेफ़्ट वाले कह रहे हैं कि जिन लड़कों ने नजीब के साथ मारपीट की, उन्हें हॉस्टल से दूर रखा जाए. साथ ही सीसीटीवी की कमी को भी पूरा किया जाए. उनका कहना है कि सीसीटीवी होने से नजीब के मूवमेंट के बारे में मालूम चलता. एबीवीपी के पास एक लेटर है. उनका कहना है कि वो लेटर उन्हें एडमिनिस्ट्रेशन ने दिया है. इस लेटर में वार्डन और स्टूडेंट्स के बीच में एक अर्जेंट मीटिंग के बारे में लिखा है. इसमें लिखा है कि नजीब ने विक्रांत कुमार को थप्पड़ मार दिया. वो भी बिना विक्रांत के उकसाए. और बाद में उसने विक्रांत को थप्पड़ मारने की बात सीनियर वार्डन, मेस वार्डन, जेएनयू स्टूडेंट यूनियन प्रेसिडेंट मोहित पांडे, उसके रूममेट क़ासिम के सामने कुबूल भी कर ली. लेटर में मोहित पांडे के भी साइन हैं. लेकिन मज़े की बात ये है कि इस पूरे मामले में नजीब के कोई भी साइन नहीं हैं. letter 1 एक लेटर और है. इसमें लिखा है कि नजीब मेंटली ठीक नहीं है. और उसके साथ रहना खतरे से खाली नहीं है. इस लेटर को लिखने वाला है क़ासिम जो नजीब का रूममेट है. इस लेटर को लिखा है माही-मांडवी हॉस्टल के सीनियर वार्डन के नाम. letter 2 jnu ये दोनों लेटर मीडिया में स्टूडेंट्स लेकर आये हैं. कॉलेज प्रशासन ने कोई भी लेटर नहीं दिया है. इससे लेटर्स की सच्चाई पर भी शक ज़ाहिर किया जा रहा है. और इसी लिए इन लेटर्स की सच्चाई पर कोई कमेन्ट भी नहीं किया जा सकता. उसके लिए इंतज़ार है तो बस नजीब के वापस आने का. जितनी जल्दी आयें, उतना बेहतर. वरना क्या है कि कोई और मुद्दा आ गया तो सब बैकग्राउंड में चला जाएगा. नजीब की मां ने भी कहा है कि अगर वो दोषी है तो उसे कॉलेज से निकाल दो, लेकिन उसे वापस ज़रूर ले आओ.

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