12 जनवरी 2016 (Updated: 12 जनवरी 2016, 07:36 AM IST) कॉमेंट्स
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महाराष्ट्र के शिंगणापुर शनि मंदिर के 400 पुराने इतिहास में ऐसे ऐसा पहली बार हुआ कि एक औरत मंदिर के ट्रस्ट की अध्यक्ष चुनी गई है. कौन इस बात को काबिल-ए-तारीफ नहीं मानेगा. हमने भी माना. अब एक महिला अध्यक्ष से जनता क्या उम्मीद कर सकती है? ये कि कमसकम वो औरतों के हक में काम करेगी. पर यहां तो मामला उल्टा निकला.
मंदिर के रूल के मुताबिक महिलाएं शनि भगवान को तेल नहीं चढ़ा सकतीं. और अध्यक्ष अनिता शेटे का ने कहा है कि वो महिलाओं को मंदिर के चबूतरे पर आकर तेल चढ़ाने की परमिशन नहीं देंगी. ' यहां की परंपरा 400 साल पुरानी है. हम उसे कायम रखना चाहते हैं. मंदिर की पवित्रता के लिए गांव के ज्यादातर लोगों की भी यही मान्यता है.' अनिता का कहना है कि अपनी तीन साल की बेटी को भी कभी तेल नहीं चढ़ाने देंगी.
क्यों चढ़ाते हैं शनि को तेल?
शनिदेव को अपनी ताकत का घमंड हो गया था. जा कर चैलेंज कर दिया हनुमान को लड़ाई के लिए. हनुमान ने पहले मना किया. पर जब शनि भगवान ने जिद नहीं छोड़ी तो हनुमान रेडी हो गए. और हरा दिया शनि को बुरी तरह. शनि भगवान रोते हुए माफी मांगने लगे. तब हनुमान ने प्यार से उनकी चोटों पर तेल लगाया. और वरदान दिया कि धरती के लोग उन्हें तेल चढ़ा कर उनकी कृपा पाएंगे.
औरतें क्यों नहीं चढ़ा सकतीं तेल?
मानते हैं कि शनि का प्रकोप केवल मर्दों पे रहता है. इसलिए शनि को खुश करने की ड्यूटी केवल मर्दों की होती है. शनि को थोड़ा सा खराब वाला भगवान मानते हैं. कहते हैं कि औरत अगर उन्हें तेल चढ़ा दे तो शनि कि निगाह उन पर पड़ सकती है. और अगर प्रेगनेंट हो तब बच्चे के लिए भी खराब होता है शनि की निगाह पड़ना. पर धीरे-धीरे ये लिंग भेद का तरीका बन गया. औरतों के शनि मंदिर में जाने पर रोक लगा दी गई.
पहले भी कट चुका है बवाल
29 नवंबर को एक औरत ने शिंगणापुर मंदिर के चबूतरे पर चढ़कर शनि देव को तेल चढ़ाया था. और उसके बाद मंदिर के ट्रस्ट ने पूरे मंदिर को दूध से धुलवाया था. मानो औरत के छूने से भगवान गंदे हो गए थे. इस घटना का फेमिनिस्ट संगठनों ने खूब विरोध किया था.
अनिता ने मीडिया से कहा है कि अगर महिला संगठन की औरतें तेल चढ़ाने आईं तो उनका विरोध ट्रस्ट की महिलाएं करेंगी. और परंपरा के नाम पर उन्हें रोकेंगीं.
(दोनों तस्वीरें shanidev.com से)