ओल्ड राजेंद्र नगर हादसे की जांच CBI के हाथ, HC ने ऐसा ताना मारा दिल्ली पुलिस 'पानी-पानी' हो गई
आज सुनवाई के दौरान कोर्ट ने SUV ड्राइवर की गिरफ्तारी के लिए दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई. दिल्ली पुलिस पर तंज कसते हुए कोर्ट ने कहा कि शुक्र है कि आपने बेसमेंट में घुसने के लिए बारिश के पानी का चालान नहीं काटा.
दिल्ली के Rau's IAS स्टडी सर्कल की बेसमेंट लाइब्रेरी में तीन छात्रों की मौत की जांच अब CBI करेगी. 2 अगस्त को दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले को दिल्ली पुलिस से CBI को सौंपने का आदेश दिया. 27 जुलाई को कोचिंग के बेसमेंट में बनी लाइब्रेरी में बारिश के पानी घुस जाने से तीन छात्र घुटकर मर गए थे. कोर्ट ने "घटना की गंभीरता" का हवाला देते हुए कहा कि इसमें सरकारी अधिकारियों का भ्रष्टाचार भी शामिल हो सकता है.
हाई कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम (MCD) के कमिश्नर को निर्देश दिया कि इलाके (जहां घटना हुई) में नालों को ठीक किया जाए और अगर इसकी क्षमता बढ़ाने की जरूरत है तो ये भी जल्द से जल्द हो. इसके अलावा कोर्ट ने ओल्ड राजेंद्र नगर इलाके में अतिक्रमण और अवैध ढांचों को हटाने का आदेश दिया है.
इंडिया टुडे से जुड़ीं सृष्टि ओझा की रिपोर्ट के मुताबिक, एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच ने ये फैसला दिया. बेंच ने कहा,
"घटना की गंभीरता को देखते हुए और ये सुनिश्चित करने के लिए कि जांच को लेकर लोगों के मन में कोई संदेह ना हो, कोर्ट घटना की जांच CBI को ट्रांसफर कर रहा है."
इसके अलावा, कोर्ट ने सेंट्रल विजिलांस कमीशन (CVC) को भी निर्देश दिया कि वो सीबीआई जांच की निगरानी के लिए एक अधिकारी नियुक्त करे.
रिपोर्ट के मुताबिक, सुनवाई के दौरान बेंच ने SUV ड्राइवर की गिरफ्तारी के लिए दिल्ली पुलिस को भी फटकार लगाई. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस पर तंज कसते हुए कहा,
"शुक्र है कि आपने बेसमेंट में घुसने के लिए बारिश के पानी का चालान नहीं काटा, जिस तरीके से आपने वहां से गुजर रहे SUV ड्राइवर को गिरफ्तार कर लिया."
27 जुलाई को जिस दिन Rau's IAS की लाइब्रेरी में तीन छात्रों की मौत हुई थी, उसी दिन वहां से मनोज कथूरिया अपनी गाड़ी लेकर गुजर रहे थे. दिल्ली पुलिस ने उन्हें इसलिए गिरफ्तार कर लिया, क्योंकि उनके वहां से गुजरने के बाद Rau's IAS के बेसमेंट में पानी भरा था.
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इस पर पहले भी दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की खिंचाई की थी. 31 जुलाई को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली पुलिस उस व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई कर रही है जो वहां से कार लेकर गुजरा था, लेकिन वो नगर निगम के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रही है. हाई कोर्ट ने सवाल उठाया था कि दिल्ली पुलिस कर क्या रही है, क्या उसका संतुलन बिगड़ गया है.
1 अगस्त को, दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने मनोज कथूरिया को जमानत दे दी थी.
कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से और क्या कहा?# पुलिस की इज्जत बढ़ती है जब कसूरवार पकड़ें जाएं और बेगुनाह छूटें. इसके उलट की गई कार्रवाई दुखदायी होती है.
# तनाव में जांच करने की बात है तो हमें इसे हैंडल करना होगा. हमारे अनुभव यहीं से आते हैं. हम तनाव में नहीं आ सकते हैं. यदि ऐसा हुआ तो हम गलत फैसले लेंगे.
# क्या इस केस के जांच अधिकारी ने देखा कि उस बिल्डिंग की नालियां काम नहीं कर रही थीं? क्या उन्होंने देखा कि बिल्डिंग बनाने वाला आर्किटेक्ट कौन है? क्या उसने पूछताछ की?
# मौत का कारण था डूबना. बच्चे कैसे डूबे? आपने अभी तक जांच की, और आज 2 अगस्त है. आप ये बताइए कि बच्चे बेसमेंट से बाहर क्यों नहीं आ पाए?
# आप नोटिस भेजने के बजाय MCD के ऑफिस जाकर फाइल सीज कर सकते थे. आप पुलिस फोर्स हैं या क्या हैं? माफ करिएगा लेकिन आपके पास अनुभव है, लेकिन आपने कुछ नहीं किया.
# आप ये बताइए कि MCD के किन अधिकारियों से आपने पूछताछ की? कितने अधिकारियों के आपने बयान दर्ज किए.
# आप मुझे उस MCD अधिकारी का नाम बताइए जिसे आपने कॉल किया. बस एक अधिकारी का नाम...सच तो ये है कि आपने अधिकारी क्या, किसी को भी कॉल नहीं किया.
# कोर्ट जांच नहीं कर सकती. कोर्ट आपसे सवाल पूछ रही है. और ये जानकर ही अचंभा होता है कि MCD अधिकारियों के बयान ही नहीं दर्ज किये गए.
इसके अलावा, हाई कोर्ट ने आज नगर निगम को भी निशाने पर लिया और कहा कि MCD अधिकारियों को कोई चिंता नहीं है और ये सामान्य हो चुका है.
कोर्ट ने नगर निगम को क्या-क्या सुनाया?# कुछ संस्थान कानून के भी ऊपर चले गए हैं. जनवरी के महीने में हमने MCD को आदेश दिया था कि वो अगर अपने कर्मचारियों को सैलरी नहीं देंगे, तो उन्हें हम बंद कर देंगे. और ये मुद्दा 2017 का है. सोचिए कि हम बीते 7 सालों से आपको कंट्रोल करने की कोशिश कर रहे हैं.
# पहले भी कई मुकदमों में स्वतः संज्ञान के तहत आदेश दिए गए, लेकिन उनका पालन नहीं किया गया. इनका पूरा केस ही यही है कि एक ऑर्डर है, जिसका पालन नहीं किया जा रहा है. आपके विभाग में कानून का कोई सम्मान ही नहीं है. और अब बात बहुत आगे चली गई है.
# निगरानी करने वाले आपके सुपरवाइजर कुछ नहीं कर रहे हैं. वो अपने ऑफिस से भी नहीं निकल रहे हैं. उस आदमी के खिलाफ आपने क्या एक्शन लिया? अगर किसी नाली का हिस्सा रिपेयर नहीं किया गया है, तो किसी को तो कुछ करना चाहिए था.
# सबको पता था कि इस बार गर्मी कितनी ज्यादा पड़ी थी. इस मानसून में भारी बारिश होगी, ये जानने के लिए आपको वैज्ञानिक होने की जरूरत नहीं थी.
# आप ओल्ड राजेंद्र नगर की बिल्डिंग को देखिए. पानी बेसमेंट में जाता था. तो प्लान अप्रूव करते समय किसी को तो देखना चाहिए था? जल निकासी की शर्त क्यों नहीं लगाई गई? प्लान अप्रूव करने वाले व्यक्ति से पूछताछ की गई?
# आपके बिल्डिंग को सील करने की हालत ये है कि आज आप एक बिल्डिंग को सील करते हैं, निशान लगाते हैं, रस्सी बांधकर कहते हैं कि सील हो गई. सच तो ये है कि उस बिल्डिंग के अंदर बाहर कोई भी आ-जा सकता है. और निर्माण कर सकता है. आज एक बिल्डिंग को अवैध निर्माण के तहत सील किया जाता है, तो उस बिल्डिंग का साइज़ बढ़ जाता है.
# हम आदेश पारित करते रहते हैं, लेकिन वो आपके बहरे कानों पर गिरता है.
# मार्च के महीने से हम चीख रहे हैं कि दिल्ली की नालियों को ठीक करिए. सबको पता था कि ये होना था. लेकिन अब चीजें बहुत खराब हो गई हैं.
# पानी आपके घर तक पहुंचेगा, पानी मेरे घर पहुंचेगा. कभी मेरे घर के पास त्रासदी होगी, कभी आपके घर के पास. और ये होगी ही. हमें तैयार रहना होगा. पानी को रास्ता न मिले, तो कहीं नहीं जाएगा.
# किसी अधिकारी को तो जिम्मेदार बनाना होगा. MCD अधिकारियों की जिम्मेदारी थी कि नालियां ठीक रहें. ये कोई स्विमिंग पूल नहीं है. इनको ये समझना होगा कि अनदेखी आपराधिक प्रवृत्ति की है.
# दिल्ली के समूचे तंत्र को फिर से देखने की जरूरत है. भले ही इन्फ्रास्ट्रक्चर का हो, या प्रशासन का.
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