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आधा रह गया है पुरुषों का स्पर्म काउंट, क्यों हो रही है गिरावट?

अगर ये गिरावट होती रही, तो इसके क्या नुकसान होंगे?

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worldwide decline in sperm counts
ये स्टडी 'ह्यूमन रिप्रोडक्शन अपडेट' जर्नल में पब्लिश की गई है. (सांकेतिक तस्वीर: आजतक)
18 नवंबर 2022 (Updated: 19 नवंबर 2022, 13:53 IST)
Updated: 19 नवंबर 2022 13:53 IST
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भारत सहित दुनिया भर के पुरुषों का स्पर्म काउंट (Sperm Count) घट रहा है. ये बात एक नई स्टडी में सामने आई है. स्पर्म काउंट का मतलब प्रति मिलीलीटर सीमन यानी वीर्य में स्पर्म यानी शुक्राणुओं की संख्या. मतलब ये है कि पुरुषों के प्रति मिलीलीटर सीमन में स्पर्म की संख्या कम हो रही है. पिछले 46 सालों में पुरुषों के स्पर्म काउंट में 50 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई है. स्टडी के मुताबिक पिछले 22 वर्षों में स्पर्म काउंट की गिरावट में और भी तेजी आई है.

स्टडी में और क्या पता चला?

दुनिया भर के कई देशों से मिले डेटा पर की गई स्टडी के मुताबिक, 1973 में स्पर्म काउंट 101 मिलियन/मिलीलीटर दर्ज किया गया. वहीं 2018 में स्पर्म काउंट घटकर 49 मिलियन/ मिलीलीटर पाया गया. ये स्टडी वैज्ञानिकों की एक इंटरनेशनल टीम ने की है. इससे पहले साल 2017 में इस तरह की स्टडी उत्तरी अमेरिका, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया पर आई थी. उसमें भी ऐसे ही आंकड़े पाए गए थे.

इसी स्टडी को आगे बढ़ाते हुए इसमें दक्षिण अमेरिका, एशिया और अफ्रीका के देशों को शामिल किया गया. साथ ही इसमें 2011 से 2018  तक का डेटा भी जोड़ा गया है. इसे ह्यूमन रिप्रोडक्शन अपडेट (Human Reproduction Update) जर्नल में पब्लिश किया गया है. इसमें 53 देशों के 57 हजार से अधिक पुरुषों के सीमन के सैंपल के आधार पर 223 स्टडीज की गईं और फिर एक कॉमन रिजल्ट निकाला गया.

स्टडी में देखा गया है दुनिया भर के पुरुषों में साल 2000 के बाद टोटल स्पर्म काउंट और स्पर्म कॉन्सन्ट्रेशन की गिरावट में तेजी आई है. 1973 से 2018 के आंकड़ों से पता चलता है कि स्पर्म काउंट में साल 2000 तक हर साल औसतन 1.2 फीसदी की गिरावट आई. वहीं, इस गिरावट में साल 2000 के बाद हर साल 2.6 प्रतिशत से अधिक की तेजी देखी गई.

decline in sperm counts
(क्रेडिट: Human Reproduction Update जर्नल में आई स्टडी)
क्यों घट रहा है पुरुषों का स्पर्म काउंट?

इस स्टडी में स्पर्म काउंट में गिरावट के कारणों का पता नहीं लगाया गया है. हालांकि, इस स्टडी को लीड करने वाले हिब्रू यूनिवर्सिटी ऑफ यरुशलम के प्रोफेसर हेगाई लेविन के मुताबिक ये लाइफस्टाइल और पर्यावरण में मौजूद केमिकल का प्रभाव हो सकता है.

पुणे के बाणेर में स्थित मणिपाल हॉस्पिटल में कंसल्टेंट यूरोलॉजिस्ट डॉ. आनंद धारस्कर भी लाइफस्टाइल पर जोर देते हैं. उन्होंने बताया,

स्पर्म काउंट किसी बीमारी या जेनेटिक फैक्टर के कारण कम हो सकता है. लेकिन इसमें लाइफस्टाइल का ज्यादा योगदान होता है. ज्यादा वजन, तंबाकू और एल्कोहल का सेवन, स्मोकिंग जैसी टॉक्सिक चीजें स्पर्म काउंट को प्रभावित कर सकती हैं.

भले ही इस स्टडी में ये साफ न हो कि स्पर्म काउंट में हो रही गिरावट की असल में क्या वजह है, लेकिन एक्सपर्ट्स एक हेल्दी लाइफस्टाइल फॉलो करना अहम बताते हैं.

स्पर्म काउंट घटने से क्या असर हो सकता है?

स्पर्ट काउंट में एक सीमा से ज्यादा की गिरावट प्रजनन क्षमता को प्रभावित करती है. डॉ आनंद धारस्कर कहते हैं कि स्पर्म काउंट में गिरावट से प्रेग्नेंसी में देर हो सकती है. कपल्स को कंसीव करने में कठिनाई हो सकती है. और इस कारण स्ट्रेस हो सकता है.

मेयो क्लीनिक के मुताबिक, जब प्रति मिलीलीटर सीमन में 15 मिलियन से कम स्पर्म होता है, तो इसे लो स्पर्म काउंट कहा जाता है. लो स्पर्म काउंट के कारण गर्भधारण में कठिनाई आ सकती है. हालांकि, इस कंडिशन में भी प्रेग्नेंसी संभव होती है.

वीडियो- सेहत: हाइपोस्पर्मिया वो कंडिशन जिसमें पुरुषों के शुक्राणु पर पड़ता है असर

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