The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • News
  • Dattatreya Hosabale: RSS leader who builds organization in South India

RSS में नंबर दो बने दत्तात्रेय होसबोले, जिन्होंने दक्षिण भारत में संघ को मजबूत किया

संघ के नए सरकार्यवाह बने हैं होसबोले.

Advertisement
Img The Lallantop
RSS ने दत्तात्रेय को अपना नंबर 2 चुन लिया है. फोटो साभार- ट्विटर.
pic
Varun Kumar
20 मार्च 2021 (Updated: 20 मार्च 2021, 10:25 AM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
RSS यानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ. बेंगलुरू में RSS की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में दत्तात्रेय होसबोले को सरकार्यवाह पद की जिम्मेदारी सौंपी गई है. साल 2009 से ये जिम्मेदारी सुरेश भैयाजी जोशी के पास थी. जोशी के स्वास्थ्य और बढ़ती उम्र के कारण माना जा रहा था कि इस बार बदलाव तय है. दत्तात्रेय होसबोले को अगले 3 सालों के लिए ये जिम्मेदारी सौंपी गई है. सरकार्यवाह का पद क्या होता है? सर संघचालक का पद RSS का सबसे बड़ा पद होता है. ये पद फिलहाल मोहन भागवत के पास है. RSS में दूसरा सबसे बड़ा पद होता है सरकार्यवाह का. सर संघचालक, संघ के रोजाना के कामकाज को नहीं देखते, बल्कि वह एक मार्गदर्शक की भूमिका में होते हैं. ऐसे में सरकार्यवाह ही संगठन का काम संभालते हैं. आप उन्हें एक तरह से CEO मान सकते हैं. https://twitter.com/RSSorg/status/1373164875438977024 दत्तात्रेय होसबोले सरकार्यवाह से पहले सह सरकार्यवाह थे. 2018 में जब सरकार्यवाह का चुनाव किया जाना था, भैयाजी जोशी ने खुद को इस दायित्व से मुक्त किए जाने का आग्रह किया था. तब भी दत्तात्रेय होसबोले का नाम इस पद के लिए चर्चा में था, लेकिन उस वक्त लोकसभा चुनाव नजदीक थे तो भैयाजी जोशी को एक बार फिर इस पद को संभालने के लिए कहा गया. अब साल 2021 में होसबोले को ये जिम्मेदारी मिल गई है. उनके खाते में 2024 का लोकसभा चुनाव आना तय माना जा रहा है. कौन हैं दत्तात्रेय होसबोले RSS और BJP को लंबे वक्त से कवर कर रहे वरिष्ठ पत्रकार राकेश आर्या लल्लनटॉप से बातचीत में कहते हैं,
"दत्तात्रेय होसबोले को प्रो मोदी माना जाता है. वह दक्षिण भारत में संघ का बड़ा चेहरा हैं. पिछली बार ही उन्हें ये पद मिलना था, लेकिन पिछली बार ऐसा हो नहीं पाया. होसबोले काफी पढ़े लिखे हैं और कई भाषाएं भी जानते हैं. संघ में उनकी काफी इंपोर्टेंस रही है."
1955 में कर्नाटक के शिमोगा में होसबोले का जन्म हुआ था. 13 साल की उम्र में ही RSS से जुड़ गए थे. मातृभाषा कन्नड़ के अतिरिक्त अंग्रेज़ी, हिंदी, संस्कृत, तमिळ, मराठी, आदि अनेक भारतीय एवं विदेशी भाषाओं के विद्वान हैं. अंग्रेजी से पोस्टग्रेजुएशन किया है. 1972 में ABVP से जुड़ गए. जेपी आन्दोलन में भी रहे. मीसा के तहत जेल भी हुई. ABVP के राष्ट्रीय संगठन मंत्री भी रहे हैं. सुदूर दक्षिण और पूर्वोत्तर भारत में ABVP को आगे बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभाई. रूस, इंग्लैंड, फ्रांस और अमेरिका जैसे देशों की भी यात्राएं की हैं. साल 2004 में RSS के अखिल भारतीय सह-बौद्धिक प्रमुख बनाए गए. साल 2008 में सह सरकार्यवाह बने. और अब साल 2021 में सरकार्यवाह बन गए हैं. वरिष्ठ पत्रकार समीर चौगांवकर ने लंबे वक्त RSS को कवर किया है. लल्लनटॉप से बातचीत में वे बताते हैं,
"केरल में कोई सोच नहीं सकता था कि शाखाएं लगाई जा सकती हैं. लेफ्ट के लोग क्योंकि मारपीट करते थे. लेकिन होसबोले ने केरल समेत पूरे दक्षिण भारत में संघ को पहचान दिलाई. RSS उत्तर भारत में मजबूत संगठन रहा है लेकिन होसबोले के कारण दक्षिण भारत में संगठन मजबूत बना. एक बात ये भी कि अभी तक ऐसा कहा जाता रहा कि महाष्ट्रियन को ही बड़ा पद मिलेगा, लेकिन अब दत्तात्रेय होसबोले को जिम्मेदारी मिली है जो कर्नाटक से हैं."
वे कहते हैं कि एक थ्योरी ये भी रही है कि जो संघ में नंबर दो होता है वही बाद में नंबर एक बनता है. तीन साल पहले जो राजनीतिक स्थितियां थीं, उनमें संघ कोई पत्ता नहीं खोलना चाहता था. पहले माना ये भी जाता था कि संघ के साथ बौद्धिक लोग नहीं जुड़ते, लेकिन होसबोले ने ऐसे लोगों को संघ के साथ जोड़ा. कैसे होता है चुनाव? अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में सरकार्यवाह अपने कामों की जानकारी देते हैं और ये भी बताते हैं कि उनका कार्यकाल खत्म हो गया है, लिहाजा दूसरा सरकार्यवाह चुना जाना चाहिए. इसके बाद एक चुनाव अधिकारी नियुक्त किया जाता है. फिर नए सरकार्यवाह के नाम का प्रस्ताव रखा जाता है जिसे आमतौर पर सर्वसम्मति के साथ स्वीकार कर लिया जाता है. इस निर्वाचन की घोषणा की जाती है और फिर नए सरकार्यवाह के पास पदभार आ जाता है. आपको बता दें कि हर तीन साल में सरकार्यवाह पद के लिए चुनाव होता है. अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की दो दिवसीय बैठक में होसबोले के नाम पर मुहर लगी. 19 मार्च को ये बैठक शुरू हुई थी और दूसरे दिन सरकार्यवाह को चुना गया. पिछले साल कोरोना के कारण प्रतिनिधि सभा की बैठक नहीं हो पाई थी. बेंगलुरू में बैठक होने के पीछे भी कोरोना ही कारण रहा. दरअसल पहले ये बैठक नागपुर में होनी थी, लेकिन बढ़ते कोरोना केसों को देखते हुए बेंगलुरू को चुना गया.

Advertisement