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दिल्ली के LG विनय सक्सेना के खिलाफ मारपीट का मुकदमा चलेगा

LG ने पद पर रहने के दौरान मुकदमे पर रोक लगाने की मांग की थी जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया.

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criminal case against Delhi LG Vinai Saxena
दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना पर चलेगा आपराधिक मामला. (फोटो- ट्विटर)
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साकेत आनंद
9 मई 2023 (Updated: 9 मई 2023, 11:56 PM IST) कॉमेंट्स
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दिल्ली के उपराज्यपाल (LG) विनय सक्सेना के खिलाफ मारपीट का मुकदमा चलेगा. मामला 21 साल पुराना है. विनय सक्सेना पर सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर के साथ मारपीट करने का आरोप है. गुजरात की एक अदालत ने 8 मई को LG की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ चल रहे मुकदमे पर रोक लगाने की मांग की थी. कोर्ट का विस्तृत आदेश अभी सामने नहीं आया है. इस मामले में LG के अलावा गुजरात के एलिसब्रिज से बीजेपी विधायक अमित शाह, वेजलपुर से बीजेपी विधायक अमित ठाकेर और कांग्रेस नेता रोहित पटेल भी आरोपी हैं.

LG विनय सक्सेना ने इसी साल एक मार्च को अहमदाबाद मजिस्ट्रेट कोर्ट में आवेदन दिया था. उन्होंने मांग की थी कि जब तक वो दिल्ली के उपराज्यपाल पद पर हैं, तब तक उनके खिलाफ मुकदमे पर रोक लगाई जाए. आवेदन में उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 361 (2) का हवाला दिया था, जिसके तहत राष्ट्रपति और किसी राज्य के राज्यपाल के खिलाफ उनके कार्यकाल के दौरान किसी भी कोर्ट में आपराधिक मुकदमा नहीं चलाने का प्रावधान है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, विनय सक्सेना ने कोर्ट में दलील दी थी कि राज्यपाल केंद्र सरकार द्वारा चुने जाते हैं और राष्ट्रपति उनकी नियुक्ति करते हैं. जबकि उपराज्यपाल को राष्ट्रपति खुद चुनते और नियुक्त करते हैं. विनय सक्सेना ने कोर्ट में यह भी कहा कि दिल्ली के LG का ओहदा राज्यपाल की तुलना में ज्यादा है. उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल की शक्तियां सिर्फ एक प्रशासक की तरह नहीं हैं. सक्सेना ने आगे ये भी दलील दी थी कि जिस तरह राज्यपाल विधानसभा को संबोधित करते हैं, राष्ट्रपति संसद को संबोधित करते हैं, उसी तरह दिल्ली के LG दिल्ली विधानसभा को संबोधित करते हैं.

मेधा पाटकर ने किया विरोध

दिल्ली LG की इन दलीलों का मेधा पाटकर ने विरोध किया था. उन्होंने 9 मार्च को कोर्ट से कहा था कि वीके सक्सेना क्रिमिनल ट्रायल से नहीं बच सकते क्योंकि उनका दर्जा राज्य के राज्यपाल के बराबर का नहीं है.

वीके सक्सेना और बाकी लोगों पर गैरकानूनी तरीके से जमा होने, दंगा करने, जानबूझकर नुकसान पहुंचाने, गलत तरीके से रोकथाम करना, आपराधिक धमकी जैसे आरोप लगे थे.

कथित हमले की यह घटना 7 अप्रैल 2002 की है. तब मेधा पाटकर साबरमती के गांधी आश्रम में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की एक मीटिंग में हिस्सा लेने गई थीं. यह मीटिंग गुजरात में हुए सांप्रदायिक दंगों के बाद शांति की अपील के लिए बुलाई गई थी.

मारपीट की शिकायत के बाद साबरमती थाने में एक FIR दर्ज की गई थी. ये आपराधिक मुकदमा अहमदाबाद मजिस्ट्रेट कोर्ट के सामने 2005 में आया था.

वीडियो: मास्टर क्लास: केजरीवाल और उप राज्यपाल विनय सक्सेना सुप्रीम कोर्ट में कौन सी लड़ाई लड़ रहे?

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