देश के पूर्व अटॉर्नी जनरल सोली सोराबजी नहीं रहे, कोरोना वायरस से थे संक्रमित
91 साल के थे सोराबजी, संविधान के बड़े जानकार थे.

"हमने भारत की कानून व्यवस्था का एक आइकन खो दिया. वो उन चुनिंदा लोगों में से थे जिन्होंने संवैधानिक कानून और न्याय व्यवस्था के एवॉल्यूशन पर प्रभाव डाला."
प्रधानमंत्री ने लिखा,In the passing of Soli Sorabji, we lost an icon of India's legal system. He was among the select few who deeply influenced evolution of constitutional law & justice system. Awarded with Padma Vibhushan, he was among most eminent jurists. My condolences to his family & associates.
— President of India (@rashtrapatibhvn) April 30, 2021
"सोली सोराबजी एक बेहतरीन अधिवक्ता और बुद्धिजीवी थे. कानून के जरिए गरीबों और ज़रूरतमंदों की मदद करने में वो सबसे आगे रहते थे. उन्हें भारत के एटॉर्नी जनरल के तौर पर उनके काम के लिए याद किया जाएगा. उनका जाना दुखद है."
सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण ने लिखा,Shri Soli Sorabjee was an outstanding lawyer and intellectual. Through law, he was at the forefront of helping the poor and downtrodden. He will be remembered for his noteworthy tenures India’s Attorney General. Saddened by his demise. Condolences to his family and admirers.
— Narendra Modi (@narendramodi) April 30, 2021
"सोली सोराबजी, हमारे दौर के लीगल जायंट नहीं रहे. वह एक अच्छे दोस्त थे. ये तस्वीर चार महीने पहले की है, जब मैं और मेरे पिता उनसे मिलने गए थे."
सोली सोराबजी ने मुंबई के सेंट ज़ेवियर्स कॉलेज और गवर्मेंट लॉ कॉलेज से पढ़ाई की थी. साल 1953 में उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की थी. साल 1971 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट का वरिष्ठ सलाहकार नियुक्त किया गया था. 1977 से 1980 तक वह देश के सॉलिसिटर जनरल रहे. इसके बाद 1989 से 1990 तक और 1998 से 2004 तक सोराबजी भारत के अटॉर्नी जनरल रहे. सोली जहांगीर सोराबजी को भारतीय संविधान का विशेषज्ञ माना जाता था. उनका नाम देश के बड़े मानवाधिकार वकीलों में शामिल था. साल 1997 में संयुक्त राष्ट्र ने उन्हें विशेष दूत के तौर पर नाइजीरिया भेजा था. साल 1998 से साल 2004 के बीच वह मानवाधिकारों की रक्षा और इसे बढ़ावा देने के लिए बनी यूएन सब कमीशन के चेयरमैन बने. साल 2006 में ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच बाईलैटरल लीगल रिलेशंस की सर्विस के लिए उन्हें ऑर्डर ऑफ ऑस्ट्रेलिया का ऑनरेरी मेंबर चुना गया था. साल 2000-2006 के बीच हेग में स्थित परमानेंट कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन के सदस्य के तौर पर भी उन्होंने काम किया. आजतक की एक खबर के मुताबिक वे केशवानंद भारती, मेनका गांधी, एसआर बोम्मई, आईआर कोएल्हो आदि मामलों की सुनवाई में शामिल रहे. वह बीपी सिंघल के केस के लिए सुनवाई में भी पेश हुए जिसकी सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि बिना किसी ठोस वजह से राज्यों के गवर्नर को हटाया नहीं जा सकता.Soli Sorabjee, a legal giant of our time passed away today, after some days in hospital due to Covid. He was a good friend & very affectionate. The photo is of when my father & I visited him 4 months back pic.twitter.com/3ErZYXUits
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) April 30, 2021