The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • News
  • Chutar Singh Encounter by Jaisalmer Police

राजस्थान: चुतर सिंह एनकाउंटर ने बंद करवा दिया है इंटरनेट

जैसलमेर-बाड़मेर के 21 साल के चुतर को हिस्ट्रीशीटर बताकर मारने पर पुलिस के खिलाफ लोग सड़कों पर है.

Advertisement
Img The Lallantop
फोटो - thelallantop
pic
सुमेर रेतीला
1 जुलाई 2016 (Updated: 1 जुलाई 2016, 06:54 PM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
25 जून की रात जैसलमेर के पास रामगढ रोड़ पर पुलिस एनकाउंटर में 21 साल के एक युवक की मौत हो गई थी. बाड़मेर-जैसलमेर में इस घटना के बाद लोगों में गुस्सा है. राजस्थान के अन्य इलाकों में भी पुलिस की निंदा हो रही है. जैसलमेर एसपी को सस्पेंड करने और इस मामले की सीबीआई से जांच करवाने की मांग की जा रही थी. शहर में 48 घंटों के लिए इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं.
जैसलमेर एसपी राजीव पचार ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था, "आरोपी एक हिस्ट्रीशीटर था. उसके खिलाफ 17 केस दर्ज हैं. वो जैसलमेर और बाड़मेर में कोबरा गैंग का मेंबर भी था. उसने पुलिस हिरासत से दो बार अभियुक्तों को भगाने में मदद की थी. चुतर सिंह पवन ऊर्जा चक्कियों के तार चुराने के मामले में शामिल था. करीबी इलाकों में कथित तौर पर उसने गैर-कानूनी तरीके से जमीन हथियाने का काम भी शुरू किया था.
पुलिस ने एनकाउंटर को लेकर कहा है, "शनिवार की रात चुतर सिंह व उसके साथी शहर से दो झोंपड़ियों में आग लगाकर भाग रहे थे. पुलिस ने पकड़ने का प्रयास किया तो उन्होंने एक पुलिस वाले का अपहरण कर लिया. पीछा करते हुए पुलिस ने गाड़ी रोकने के लिए टायर पर गोली चलाई. लेकिन गोली बोनट से निकलकर चुतर सिंह को लग गई."
इस फिल्मी थ्योरी पर लोग यकीन करने को तैयार नहीं हैं. स्थानीय नेताओं के दबाव के बाद उनसे बात करके पुलिस ने दफा 302 में मर्डर केस दर्ज किया है. गोली चलाने वाले कॉन्स्टेबल को सस्पेंड किया गया है. मामला जांच के लिए सीआईडी को दिया गया था.
शुक्रवार को ताजा गतिविधि ये रही कि इस मामले में सीबीआई जांच के आदेश दे दिए गए हैं. सरकार ने एसपी राजीव पचार का तबादला हनुमानगढ़ कर दिया है. माना जा रहा है कि राजस्थान सरकार ने ये फैसला जोधपुर सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत,  विधायक मानवेंद्र सिंह और पूर्व मंत्री देवी सिंह भाटी की ओर से बढ़ते दबाव के चलते लिया.

इस घटना को लेकर नाराज लोग फर्जी एनकाउंटर करने व झूठी कहानी बुनने का आरोप लगा रहे है. चुतर सिंह के साथ दो और लोग थे उस गाड़ी में. वो भी घायल हैं. उनका कहना है कि पुलिस वाले आपस में कह रहे थे कि इन दोनों को भी गोली मार दो. लेकिन वो किसी तरह अंधेरे में छिपकर बच गए.
इन दोनों का कहना है कि पुलिस से उनकी कोई मुठभेड़ नहीं हुई. वो रास्ते में दारू के ठेके पर पानी लेने के लिए रुके थे. चुतर सिंह पानी की बोतल लेकर गाड़ी में बैठा. तभी पुलिस की गाड़ी आई. और एकदम से गोलियां चलानी शुरू कर दी.
विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों ने एसपी की थ्योरी पर कहा है, ऐसा कैसे हो सकता है कि आप टायर पर गोलियां चलाएं फिर वो बोनट पर लगकर गाड़ी के अंदर बैठे आदमी को जा लगे? 20 साल के बच्चे को पुलिस ने साजिश के तहत मारा है. ये बिलकुल झूठ है कि उसके खिलाफ कहीं भी हिस्ट्रीशीट खुली हुई थी. और जिनके खिलाफी हिस्ट्रीशीट खुली भी हो क्या उसे फर्जी एनकाउंटर करके मारा जाएगा? न्यायपालिका की भूमिका यूं खत्म कर दी जाएगी?
इस मामले ने जाति का रंग भी ले लिया है. सोशल मीडिया पर विशेष लोग चुतर सिंह को शहीद कह रहे हैं. उसके नाम से फेसबुक पेज बनने लगे हैं. पूरे राजस्थान के राजपूतों से एकजुट होने का आह्वान किया जा रहा है. इसमें मामले में एक संघर्ष समिति भी बनी थी जो शनिवार को महापड़ाव और बंद की घोषणा करके बैठी थी. लेकिन सीबीआई जांच और एसपी के तबादले की घोषणा के बाद इन्हें स्थगित कर दिया गया. अब श्रद्धांजलि सभा बुलाए जाने की बात है.
Courtesy: Facebook
Courtesy: Facebook

राज्य सरकार को भी घेरा जा रहा है. इससे पहले राजस्थान के भोपालगढ में पुलिस कस्टडी में एक युवक की मौत हो गई थी. पिछले दो दिनों में राजस्थान की कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन हुए हैं.
एनकाउंटर में मारे गए चुतर के खिलाफ ज्यादातर विंड मिल से तार चुराने के आरोप हैं. जैसलमेर-बाड़मेर के बहुत सारे छोटी उम्र के लड़के इस तरह की चोरियों में शामिल हैं. पढ़ाई का माहौल यहां कम ही है. ग्रामीण युवा पहले खेती, पशुपालन और मजदूरी में लगे रहते थे. यहां पवन ऊर्जा चक्कियां लगीं तो खूब पैसा आया. महंगी तारें लोगों ने चुराकर बेचनी शुरू कर दीं. चमक-धमक, लग्जरी गाड़ियां और बदलती लाइफ स्टाइल का चस्का यूं लगा कि हर गांव से दो-चार चोर निकलने लगे.
जैसलमेर राजस्थान के सबसे शांत इलाकों में आता है. कहा जाता था यहां किसी को थप्पड़ भी मारो तो गूंज पड़ोसी जिलों में सुनाई देती है. इस एनकाउंटर से जैसलमेर-बाड़मेर में जातिवाद का रंग स्याह हो सकता है. क्योंकि यहां पर दो मुख्य जातियों राजपुतों व जाटों के बीच पहले से ही कम बनती है. इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर एक-दूसरे के लिए जो भाषा यूज़ हो रही है वो ठीक नहीं है.
कोई अनहोनी न हो और ये घटना कोई राजनीतिक रंग न लें इसके लिए जरूरी है कि चीजों को समझा जाए. सोशल मीडिया पर चल रही भ्रामक तस्वीरों के जाल में फंसने के बजाय यह सोचा जाए कि ये घटना क्यों हुई? तथ्य क्या थे? पुलिस बर्बरता और फर्जी एनकाउंटर हुआ है तो दोषियों को सजा मिले. लेकिन सोशल मीडिया पर लोगों के बहकावे में कोई न आए.

Advertisement