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'सैटेलाइट फोन एक्टिव', पहलगाम के मास्टरमाइंड मूसा की मौत तय हो गई

Operation Sindoor के समय जब भारत ने पाकिस्तान का Air Defence Syatem उड़ाया, उसी समय पाकिस्तान और वहां के आतंकियों को समझ आ गया कि चीनी सिस्टम्स किसी काम के नहीं हैं. लेकिन पहलगाम हमले को अंजाम देकर कश्मीर की पहाड़ियों में छिपे मूसा ने शायद इस पर अधिक गौर नहीं किया और Chinese Satellite Phone का इस्तेमाल किया.

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chinese satellite phone used by pahalgam mastermind hashim musa killed in operation mahadev
मूसा सैट फोन पर अपने हैंडलर्स के संपर्क में था
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मानस राज
29 जुलाई 2025 (Published: 12:14 PM IST) कॉमेंट्स
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पहलगाम हमले के मास्टरमाइंड और हमले की पूरी ऑन ग्राउंड प्लानिंग करने वाली आतंकी हाशिम मूसा को सुरक्षाबलों ने 28 जुलाई को एनकाउंटर में मार गिराया. ऑपरेशन महादेव के तहत बीते दो दिनों से सेना मूसा और उसके साथियों की तलाश कर रही थी. जिस जगह सेना ने उन्हें मारा, वो एक बहुत घना जंगल है. उस जगह पर स्थानीय लोग भी नहीं जाते. लिहाजा आतंकी यहां छुपे बैठे थे. तो जानते हैं कि सेना ने उन्हें इतने घने और दुर्गम पहाड़ियों पर जंगल में ढूंढा कैसे?

चाइनीज सैटेलाइट फोन से मिली लोकेशन

ऑपरेशन सिंदूर के समय जब भारत ने पाकिस्तान का एयर डिफेंस सिस्टम उड़ाया, उसी समय पाकिस्तान और वहां के आतंकियों को समझ आ गया कि चीनी सिस्टम्स किसी काम के नहीं हैं. लेकिन पहलगाम हमले को अंजाम देकर कश्मीर की पहाड़ियों में छिपे मूसा ने शायद इस पर अधिक गौर नहीं किया. पहलगाम हमले के बाद से ही सुरक्षा एजेंसियों ने पूरे एरिया को अपने रडार पर ले लिया. इसी दौरान उन्हें पता चला कि 11 जुलाई को बैसारन घाटी में एक सैटेलाइट फोन एक्टिव है. आमतौर पर आतंकी एक-दूसरे से बात करने और अपने हैंडलर्स से संपर्क करने के लिए सैटेलाइट फोन का ही इस्तेमाल करते हैं. इसके लिए पाकिस्तानी सेना उन्हें मदद और ट्रेनिंग मुहैया करवाती है.

कैसे काम करता है सैटेलाइट फोन?

सैटेलाइट फोन की कम्युनिकेशन हमारी-आपकी फोन कॉल्स की तरह नहीं होती. अगर किसी एरिया में कोई सैट फोन एक्टिव है तो उसका एक निश्चित चैनल होगा. सेना की सिग्नल्स और इंटेलिजेंस यूनिट्स लगातार ऐसी कॉल्स पर नजर रखती हैं. आम तौर पर हमारे पास जो मोबाइल फोन होता है, उसका इस्तेमाल हम आसपास लगे टावर्स के कारण कर पाते हैं. फोन में लगा किसी खास कंपनी का सिम उसके सबसे नजदीक के टावर से सिग्नल पकड़ता है. जब हम किसी दूसरे इलाके में जाते हैं तो वह मोबाइल फोन वहां के टावर से सिग्नल लेता है. कभी-कभी पहाड़ों में या किसी सुदूर इलाकों में जाने पर फोन का सिग्नल गायब हो जाता है या कमजोर हो जाता है. यानी आपका फोन उन टावर्स से काफी दूर चला जाता है.

सैटेलाइट फोन क्या होता है जिसमें टावर नेटवर्क की जरूरत ही नहीं? - The  Lallantop
सैटेलाइट फोन

सैटेलाइट फोन के साथ ये समस्या नहीं है. क्योंकि ये फोन जमीन पर लगे टावर से सिग्नल नहीं लेते हैं. ऐसे फोन को अंतरिक्ष में भेजे गए सैटेलाइट से सिग्नल मिलता है. ये सैटेलाइट धरती की कक्षा में चक्कर लगा रहे होते हैं. ये जमीन पर लगे रिसीवर को रेडियो सिग्नल भेजते हैं. रिसीवर सेंटर सैटेलाइट फोन को सिग्नल ट्रांसमिट करता है, जिसके बाद बात करना संभव हो पाता है. इसे आम बोलचाल में 'सैट फोन' भी कहा जाता है. पहले सैटेलाइट फोन में सिर्फ कॉलिंग और मैसेज की सुविधा होती थी. लेकिन अब नए सैट फोन इंटरनेट सुविधाओं के साथ भी आ रहे हैं.

सैट फोन का इस्तेमाल किसी भी हिस्से में किया जा सकता है. हालांकि इसका इस्तेमाल इतना भी आसान नहीं है. अगर हम दूसरे छोर पर किसी से बात करते हैं तो वह कुछ समय भी ले सकता है. क्योंकि जिन सैटेलाइट्स से ये सिग्नल रिसीव करते हैं वे धरती की सतह से हजारों किलोमीटर दूर होते हैं. लेकिन जहां मोबाइल नेटवर्क उपलब्ध नहीं होते हैं वहां यही फोन काम आते हैं.

एक उदाहरण से समझते हैं. सियाचीन या इस तरह की दूसरी दुर्गम जगहों पर, जहां नेटवर्क की समस्या होती है या फिर जहां कॉल ट्रेस किए जाने का खतरा होता है, वहां सैटेलाइट फोन का इस्तेमाल होता है. सैटेलाइट फोन को ट्रेस नहीं किया जा सकता है. डिफेंस में सैटेलाइट फोन का इस्तेमाल आम है. इसके अलावा आपदा ग्रस्त क्षेत्रों में नेटवर्क खराब होने पर भी इस तरह के फोन का इस्तेमाल किया जाता है.

hashim musa
पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड मूसा
हाशिम मूसा सैट फोन से क्या कर रहा था?

मूसा ने जब से पहलगाम हमले को अंजाम दिया, उसके बाद से ही वो छिप कर रह रहा था. ऐसे में उसने अपने कमांडर से बात करने के लिए सैट फोन का इस्तेमाल किया, और एजेंसियां लगातार उसके नेटवर्क को ट्रैक करती रहीं. बीते दो हफ्तों से सेना को ये जानकारी मिल रही थी कि एक सैट फोन डाचीगम में एक्टिव है. लेकिन सिग्नल कभी मिलते, कभी नहीं. लेकिन 26 जुलाई से ये फोन लगातार एक्टिव था. लिहाजा सेना ने इलाके को ट्रेस किया और लिडवास पर जीरो डाउन किया. इंडियन आर्मी की राष्ट्रीय राइफल्स, 4 पैरा के अलावा सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने सर्च शुरू किया. जैसे ही उन्हें तम्बू में आराम करते आतंकी दिखे, सेना ने फायर खोल तीनों आतंकियों मूसा, यासिर और हमजा को मार गिराया.

वीडियो: दी लल्लनटॉप शो: ऑपरेशन महादेव में 3 आतंकी ढेर, सेना ने क्या बताया?

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