अपने देश जाते-जाते चाइनीज़ अधिकारी ने भारत से जो कहा, वो अख़बार की हेडलाइन बन जाए!
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मंगलवार, 25 अक्टूबर को भारत में मौजूद चीनी दूत सुन वेइदॉन्ग का तीन साल का कार्यकाल पूरा हो गया है (Chinese Envoy Sun Weidong on India). जाते जाते सुन वेइदॉन्ग ने भारत को चीन के आंतरिक मामलों में किसी तरह का दखल नहीं देने की नसीहत दी है. अपने विदाई संबोधन में सुन ने कहा चीन और भारत के बीच कुछ मतभेद जरूर हैं लेकिन दोनों देशों को बातचीत के जरिए इन्हें सुलझाना चाहिए.
इंडिया टुडे के मुताबिक मंगलवार को अपनी विदाई के दौरान सुन ने कहा,
"चीन और भारत महत्वपूर्ण पड़ोसी हैं ... दोनों के बीच कुछ मतभेद होना स्वाभाविक है. मुख्य बात यह है कि मतभेदों को कैसे संभालना है. हमें पता होना चाहिए कि दोनों देशों के साझा हित मतभेदों से बड़े हैं. दोनों देशों को एक-दूसरे की राजनीतिक प्रणालियों का सम्मान करने और एक-दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप बंद करने की जरूरत है"
दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण संबंधों का जिक्र करते हुए राजदूत ने कहा कि भारत और चीन को एक बात पर सहमत होना चाहिए. उन्होंने कहा,
“दोनों पक्षों के संयुक्त प्रयासों से हम चीन-भारत संबंधों को सही रास्ते पर वापस ला सकते हैं. चीन और भारत हजारों सालों से पड़ोसी रहे हैं और भविष्य में भी पड़ोसी बने रहेंगे. अगर भारत चीन के रिश्ते पर भू-राजनीति के पश्चिमी सिद्धांत को लागू किया जाता है तो हम एक-दूसरे को खतरे और प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखेंगे.”
सुन ने बयान के दौरान रवींद्रनाथ टैगोर का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा
“प्रसिद्ध भारतीय कवि रवींद्रनाथ टैगोर ने कहा है कि हम पूर्वी न तो पश्चिम के दिमाग और न ही पश्चिम के स्वभाव को उधार ले सकते हैं. हमें जन्म लेने के अपने अधिकार की खोज करने की जरूरत हैं और मैं उनसे पूरी तरह सहमत हूं.”
वीजा पॉलिसी पर बात करते हुए सुन ने कहा,
"चीन ने भारतीय नागरिकों के लिए वीजा आवेदन प्रक्रिया को शुरू कर दिया है. इसके साथ ही पढ़ाई, व्यापार, काम या परिवार के काम के लिए चीन आने वाले लोगों को भी वीजा दिया जा रहा है. अब तक भारतीय छात्रों को 1,800 से अधिक वीजा जारी किए गए हैं और हमें उम्मीद है कि हमारे लोगों के बीच यात्राओं का ज्यादा से ज्यादा आदान-प्रदान होगा.
बता दें सुन ने जुलाई 2019 में भारत में चीनी राजदूत के रूप में कार्यभार संभाला था. अपने कार्यकाल में उन्होंने लंबे समय तक LAC पर भारत-चीन गतिरोध देखा है. सुन ने अपने इस कार्यकाल को यादगार बताया है.
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