पैंगोंग लेक पर चीन पुल बना रहा है, एकदम सामने से फ़ोटो भी आ गई!
नई सैटेलाइट तस्वीरों में साफ दिख रहा है कि चीन LAC के पास क्या बना रहा है.
चीन (China) के पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग लेक (Pangong Lake) पर दो अलग-अलग पुल बनाने के दावे पर सवाल उठे हैं. इंडिया टुडे को इस इलाके की कुछ नई सैटेलाइट तस्वीरें (Satellite Images) मिली हैं. इनमें पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control- LAC) के पास एक लंबा पट्टीदार निर्माणाधीन स्ट्रक्चर दिखाई दे रहा है. कहा गया है कि ये पुल भारी सैन्य वाहन और इक्विपमेंट ले जाने में सक्षम होगा. रिपोर्ट के मुताबिक इस समय पुल की चौड़ाई 30 मीटर है. लेकिन इसके अलावा कोई और निर्माण तस्वीरों में दिखाई नहीं दे रहा है.
चीन के पुल की तस्वीर में क्या दिखा?इंडिया टुडे से जुड़े अंकित कुमार की रिपोर्ट के मुताबिक ये तस्वीरें अमेरिका की स्पेस टेकनॉलजी फर्म Planet Labs PBC ने मुहैया कराई हैं. बताया गया है कि ब्रिज पूरा बनने के बाद चीन की सेना (People’s Liberation Army- PLA) पैंगोंग झील के पूरे उत्तरी और दक्षिणी तटों पर भारी हथियारों, बड़े सैन्य वाहनों और मिलिट्री इक्विपमेंट को लाने-ले जाने में सक्षम होगी.
एक तस्वीर 13 मई 2022 को ली गई है, जबकि दूसरी तस्वीर 15 अगस्त 2022 को. दोनों तस्वीरों को देखें तो पुल के निर्माण में प्रगति साफ दिखाई पड़ती है.
रिपोर्ट के मुताबिक, अभी पैंगोंग लेक की नॉर्थ साइड की तरफ बने खुरनाक फोर्ट से साउथ बैंक के स्टैंडऑफ एरिया तक आने में सैनिकों को 12 घंटे लगते हैं. लेकिन इस पुल के बनने के बाद ये समय नाटकीय रूप से कम होकर केवल 4 घंटे रह जाएगा. हालांकि इन तस्वीरों से ये साफ नहीं हो पाया है कि पुल के बनने के बाद लड़ाकू बोट्स के गुजरने और पैट्रोलिंग के लिए स्पेस बचेगा या नहीं.
रिपोर्ट कहती है कि चीन की तरफ से आने वाली सड़कों का एक नेटवर्क इस पुल से कनेक्ट हो सकता है. इससे चीन को तिब्बत के रुतोग एरिया में बने अपने बड़े अड्डे और दूरदराज के इलाकों तक पहुंचने में आसानी हो जाएगी. सैटेलाइट तस्वीरों से ये अंदाजा लगता है कि पिछले साल नॉर्थ और साउथ बैंक के कुछ इलाकों से सेना को वापस बुलाने के बाद रुतोग में निर्माण कार्य में तेजी आई है. इसमें ये पुल भी शामिल है.
रिपोर्ट के मुताबिक चीन की जानी-मानी रिसर्च ऑर्गनाइजेशन CSIS के एक स्टडी ग्रुप China Power का बयान इस पुल के निर्माण की पुष्टि करता है. इसमें कहा गया है,
भारत का स्टैंड"चीन-भारत का विवाद बढ़ने की सूरत में इस पुल पर सबसे पहले हमला किया जा सकता है. हालांकि शांति के समय में ये पुल इस इलाके में PLA की मूवमेंट को बहुत ज्यादा बढ़ा देगा."
भारत पहले भी LAC के पास चीनी कन्स्ट्रक्शन को अवैध बताता रहा है और इस तरह की गतिविधियों पर नजर रखने की बात करता रहा है. इस संबंध में विदेश मंत्रालय ने अपने एक बयान में कहा था कि इस पुल का निर्माण उन इलाकों में किया जा रहा है, जहां चीन ने पिछले 60 सालों से अवैध कब्जा कर रखा है. सरकार ने ये भी याद दिलाया था कि भारत ने कभी भी इस अवैध कब्जे को स्वीकार नहीं किया है.
इसके अलावा मंत्रालय ने बताया कि सरकार ने सीमा पर इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास का काम तेजी से बढ़ाया है, खासतौर पर 2014 के बाद से. इनमें सड़कों और पुलों का निर्माण भी शामिल है.
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