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चीता प्रोजेक्ट के 2 विदेशी एक्सपर्ट ने SC को लिखे लेटर से नाम वापस लिया, बड़ा आरोप भी लगाया

चार में से दो विदेशी एक्सपर्ट्स विंसेंट वान डे मर्वे और डॉक्टर एंडी फ्रेजर ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि लेटर भेजने से पहले उनसे कोई सहमति नहीं ली गई और वो ऐसे किसी लेटर के समर्थन में नहीं हैं.

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20 South African cheetah were brought India under cheetah project.
चीता प्रोजेक्ट के तहत दक्षिण अफ्रीका से 20 चीते भारत लाए गए थे. (तस्वीर साभार- India Today)
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उपासना
3 अगस्त 2023 (Updated: 3 अगस्त 2023, 03:38 PM IST) कॉमेंट्स
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कूनो नेशनल पार्क में चीतों की मौत के मुद्दे पर चार विदेशी एक्सपर्ट्स ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. उन्होंने कोर्ट को आरोपों भरा एक लेटर भेजा था. लेटर में चीता प्रोजेक्ट में कुप्रबंधन समेत कूनो स्टाफ की तरफ से लापरवाही जैसे कई सनसनीखेज आरोप लगाए गए थे. लेकिन अब खबर है कि इनमें से दो एक्सपर्ट्स ने अपना नाम इस लेटर से अलग कर लिया है. दोनों के मुताबिक, उन्होंने इस लेटर पर कभी अपनी सहमति नहीं दी थी.

जिन चार विदेशी चीता एक्सपर्ट्स के नाम से सुप्रीम कोर्ट को लेटर भेजा गया था, वे चारों चीता प्रोजेक्ट की स्टीयरिंग कमेटी में कंसल्टिंग पैनलिस्ट हैं. इनमें से विदेशी एक्सपर्ट्स विंसेंट वान डे मर्वे और डॉक्टर एंडी फ्रेजर ने चिट्ठी के जरिये सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि लेटर भेजने से पहले उनसे कोई सहमति नहीं ली गई. वो ऐसे किसी लेटर के समर्थन में नहीं हैं.

दोनों एक्सपर्ट ने ये लेटर मेल के जरिए 20 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट की कमेटी को भेजा था. ये लेटर इंडिया टुडे ने भी देखा है. इसमें दोनों ने कहा है,

“हाल में कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में हमें अपना नाम देखकर हैरानी हुई है. इन रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि चीता प्रोजेक्ट की स्टीयरिंग कमेटी के चार विदेशी चीता एक्सपर्ट्स ने चीता प्रोजेक्ट में कुप्रबंधन पर चिंता जताई है. हम सुप्रीम कोर्ट को बताना चाहते हैं कि डॉक्टर एंडी फ्रेजर और मैं इस लेटर के समर्थन में नहीं थे. हम आग्रह करते हैं कि ये लेटर सुप्रीम कोर्ट और प्रेस किसी के साथ शेयर ना किया जाए और इसे वापस लिया जाए. अगर लेटर वापस लेना मुमकिन नहीं है तो हमारा नाम इस लेटर से हटा दिया जाए.”

बता दें कि चीता प्रोजेक्ट के तहत दक्षिण अफ्रीका से 20 चीते भारत लाए गए थे. इनमें से 9 चीतों की बीते 5 महीनों के अंदर मौत हो गई है. इन मौतों पर दोनों एक्सपर्ट्स ने कहा है, 

"हमें इसका दुख है, ये काफी दुर्भाग्यपूर्ण है. हमें लगता है कि लेटर बेवजह मीडिया में फैलेगा और इसका कई मायनों में नेगेटिव असर पड़ेगा. मीडिया में नेगेटिव खबरें भारत में चीतों को दोबारा बसाने की कोशिशों पर पानी फेर देंगी. कूनो स्टाफ का उत्साह भी कमजोर होगा. प्रोजेक्ट पर जो लोग काम कर रहे हैं उन पर भी दबाव बढ़ेगा… हमारी राय है कि कूनो पार्क के स्टाफ को मसले से निपटने के लिए थोड़ा समय देना चाहिए. इसलिए हम निवेदन करते हैं कि लेटर किसी के साथ शेयर ना किया जाए और उसे वापस ले लिया जाए."

इधर जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण मंत्रालय ने भी दोनों एक्सपर्ट्स का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि जिस लेटर में चीता प्रोजेक्ट में लापरवाही का आरोप लगाया गया है उसके दो एक्सपर्ट्स ने अपना नाम लेटर से वापस ले लिया है. दोनों ने अपना नाम इस्तेमाल करने पर नाखुशी भी जताई है. इतना ही नहीं, शिकायत वाले लेटर में भले ही चार लोगों का नाम लिखा गया है, मगर साइन सिर्फ एक एक्सपर्ट का है. अब देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट इन सभी पक्षों के बयानों को ध्यान में रखते हुए क्या कदम उठाता है.

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