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बिल्डिंग सर्टिफिकेट के लिए 5 साल पहले अप्लाई किया, वो तो मिला नहीं, अब 3.81 करोड़ का जुर्माना लग गया

78 साल के अनिल मेहान चंडीगढ़ के सेक्टर 38 में रहते हैं. उनके आर्किटेक्ट ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि वे सालों से ऑक्यूपेशनल सर्टिफिकेट (OC) के लिए जूझ रहे हैं. और अब उन पर यही नहीं होने के कारण 3.81 करोड़ रुपये जुर्माने का नोटिस भेजा गया है.

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चंडीगढ़ एस्टेट ऑफिस. (फाइल फोटो)
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साकेत आनंद
22 जनवरी 2025 (Updated: 22 जनवरी 2025, 11:44 PM IST) कॉमेंट्स
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चंडीगढ़ के एक 78 साल के व्यक्ति पर सरकार ने 3 करोड़ 81 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. ये जुर्माना ऑक्यूपेशनल सर्टिफिकेट (OC) नहीं होने के कारण लगा है. हालांकि, रिपोर्ट बताती है कि इस सर्टिफिकेट के लिए उन्होंने पांच साल पहले ही आवेदन दिया था. मामला सामने आने के बाद चंडीगढ़ के डिप्टी कमिश्नर ने कहा कि वे इसकी जांच करवाएंगे.

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में हीना रोहतकी ने मामले पर रिपोर्ट की है. इसके मुताबिक, अनिल मेहान चंडीगढ़ के सेक्टर 38 में रहते हैं. वे विकलांग भी हैं. पिछले कुछ सालों में एस्टेट ऑफिस (संपदा कार्यालय) से ऑक्यूपेशनल सर्टिफिकेट लेने के लिए दफ्तर का चक्कर लगा रहे हैं.

ऑक्यूपेशनल सर्टिफिकेट किसी बिल्डिंग का फिटनेस सर्टिफिकेट होता है. यानी इसके मिलने पर किसी बिल्डिंग को रहने के हिसाब से फिट माना जाता है. यह सर्टिफिकेट एस्टेट ऑफिस ही जारी करता है.

अनिल मेहान के आर्किटेक्ट पल्लव मुखर्जी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि वे सालों से ओसी के लिए जूझ रहे हैं. और अब उन पर यही नहीं होने के कारण 3.81 करोड़ रुपये जुर्माने का नोटिस भेजा गया है. उन्होंने बताया कि मेहान ने अलग-अलग प्रशासनिक स्तर पर आवेदन किए हैं, लेकिन एस्टेट ऑफिस, चंडीगढ़ के अधिकारी उनके OC के आवेदन पर सालों से जवाब नहीं दे रहे हैं.

मुखर्जी कहते हैं, 

"सालों से उन्होंने (अधिकारियों) टाल-मटोल करके ऑक्यूपेशनल सर्टिफिकेट जारी नहीं किया. अधिकारियों ने छोटी-मोटी और बेतुकी आपत्तियां जताई हैं. जैसे बिल्डिंग से सोलर हीटिंग सिस्टम नहीं जुड़ा है और 'बारिश की पानी रोके जाने वाले टैंक में मलबा'. वे अच्छे से जानते हैं कि ये आपत्तियां सही नहीं हैं."

उन्होंने आगे बताया कि इस प्लॉट को एस्टेट ऑफिस की नीलामी में खरीदा गया था. इसके बाद उन्होंने बिल्डिंग का प्लान जमा किया. उसमें भी देरी की गई. वे दावा करते हैं कि डिजाइन या दूसरी चीजों में कुछ भी गलत नहीं था, सिर्फ देरी करने के लिए आपत्तियां जताई गईं.

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मुखर्जी ने आरोप लगाया कि महीनों की देरी और "गैरजरूरी उत्पीड़न" के बाद उन्हें बिल्डिंग के लिए मंजूरी पत्र मिल पाया. लेकिन इसके बावजूद ऑक्यूपेशनल सर्टिफिकेट नहीं मिला.

इन आरोपों पर चंडीगढ़ के डिप्टी कमिश्नर निशांत यादव ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि वे इस मामले की जल्द जांच करवाएंगे.

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