सरकारी नौकरी के लिए विकलांगता साबित करना अब बहुत मुश्किल होने वाला है
संशोधित नियमों के तहत अगर मेडिकल अथॉरिटी किसी एप्लिकेशन पर दो साल के अंदर फैसला नहीं ले पाती है, तो वो एप्लिकेशन लैप्स कर जाएगी.

फर्जी सर्टिफिकेट मामले में UPSC ने पूजा खेडकर (Puja Khedkar) पर कार्रवाई करते हुए को नौकरी से बर्खास्त कर दिया था. मामला सामने आने के बाद अब केंद्र सरकार ने नियमों को और कड़ा करने का फैसला किया है. सरकार ने 2016 के राइट्स फॉर फिज़िकली डिसेबल्ड (RPwD) एक्ट में कई संशोधन किए हैं.
RPwD एक्ट 2016 के संशोधित नियम सोशल जस्टिस एंड एंपावरमेंट मंत्रालय ने भारत के गैजेट में प्रकाशित किए. ये जनता से आपत्तियों और सुझावों के लिए सार्वजनिक किए गए हैं. नए नियमों के तहत पहचान प्रमाण को अनिवार्य किया गया है. साथ ही मेडिकल का प्रोसेस भी लंबा किया गया है. द हिंदू में छपी अभिनय लक्ष्मण की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल सरकार ने दिव्यांगजनों को लाभ प्राप्त करने के लिए यूनीक डिसेबिलिटी आडेंटिटी कार्ड (UDID) कार्ड अनिवार्य किया था. साथ ही सरकार ने इन कार्डों के लिए आधार को अनिवार्य बना दिया था.
रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान नियमों में विकलांगता प्रमाण-पत्र के लिए कैंडिडेट्स को केवल निवास का प्रमाण और हाल की तस्वीरें जमा करनी होती थीं. सरकार द्वारा प्रस्तावित संशोधनों में कई और दस्तावेज अनिवार्य किए गए हैं. जिसके तहत तस्वीरें छह महीने से अधिक पुरानी नहीं होनी चाहिए, तथा पहचान के प्रमाण और आधार संख्या (या एनरोलमेंट नंबर) की आवश्यकता को भी अब इसमें जोड़ दिया गया है.
सरकार ने विकलांगता प्रमाण-पत्र और UDID कार्ड बनवाने के प्रोसेस को स्टैंडर्डाइज करने का फैसला किया है. संशोधनों के मुताबिक सरकार ने प्रस्ताव दिया है कि विकलांगता के लिए एप्लीकेशन केवल “मेडिकल अथॉरिटी या कोई नोटिफाइड कम्पीटेंट मेडिकल अथॉरिटी” से ही प्राप्त किए जा सकते हैं. न कि “मेडिकल अथॉरिटी या कोई नोटिफाइड कम्पीटेंट मेडिकल अथॉरिटी” द्वारा.
इन सब के अलावा सरकार ने RPwD एक्ट 2016 के नियम 18(2) में भी बदलाव किया है. पहले इसके तहत मेडिकल अथॉरिटी को एक महीने के भीतर एप्लिकेशन का निपटारा करना होता था. इन नियम में अब बदलाव करके इसे तीन महीने कर दिया गया है. नए नियम के मुताबिक अगर कोई विकलांगता सामने आती है तो मेडिकल अथॉरिटी को सर्टिफिकेट और UDID कार्ड तीन महीने के अंदर जारी करना होगा.
अलग-अलग रंग के कार्डसरकार ने अलग-अलग रंगों के UDID कार्ड जारी करने का प्रस्ताव भी दिया है. इसके तहत 40 फीसदी से कम विकलांगता वाले लोगों को व्हाइट कार्ड जारी किया जाएगा. अगर विकलांगता 40 से 80 फीसदी के बीच होती है तो पीले रंग का कार्ड दिया जाएगा. नीले रंग का कार्ड उन्हें दिया जाएगा जिनकी विकलांगता 80 फीसदी से ज्यादा है.
संशोधित नियमों के तहत नियम 18 में एक नया नियम जोड़ा गया है. इसके तहत अगर मेडिकल अथॉरिटी किसी एप्लिकेशन पर दो साल के अंदर फैसला नहीं ले पाती है, तो वो एप्लिकेशन लैप्स कर जाएगी. एप्लीकेंट को दोबारा अपनी एल्पिकेशन एक्टिव करने के लिए फिर से अप्लाई करना होगा.
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