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तैनाती को चुनौती मिली तो दिल्ली के कमिश्नर राकेश अस्थाना ने कोर्ट में क्या आरोप लगा दिए?

केंद्र सरकार ने अस्थाना की नियुक्ति को नियमों के अनुरूप बताया है.

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राकेश अस्थाना होंगे दिल्ली के नए पुलिस कमिश्नर. (तस्वीर- पीटीआई)
राकेश अस्थाना को दिल्ली का पुलिस प्रमुख बनाए पर केंद्र सरकार ने भी हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है. (फोटो-PTI)
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डेविड
17 सितंबर 2021 (Updated: 17 सितंबर 2021, 06:45 AM IST) कॉमेंट्स
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राकेश अस्थाना. गुजरात कैडर के IPS अधिकारी हैं. 27 जुलाई, 2021 को उन्हें दिल्ली का पुलिस कमिश्नर नियुक्त किया गया. वह 31 जुलाई को रिटायर होने वाले थे. लेकिन उससे पहले ही केंद्र सरकार ने उन्हें एक साल का एक्सटेंशन देते हुए पुलिस कमिश्नर बना दिया. गृह मंत्रालय के इस फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी गई. कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा. केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट में हलफनामा दिया. उसके बाद राकेश अस्थाना की ओर से भी कोर्ट में एफिडेविट दाखिल किया गया. इसमें याचिकाकर्ताओं पर ही सवाल उठाए गए हैं. अस्थाना ने एफिडेविट में क्या आरोप लगाए? केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि राकेश अस्थाना की तैनाती नियमों का पालन करते हुए की गई है. जिस प्रक्रिया से अस्थाना की बतौर पुलिस प्रमुख नियुक्ति हुई, उसी तरह से पहले 8 पुलिस प्रमुखों की तैनाती हो चुकी है. आजतक की अनीषा माथुर की रिपोर्ट के मुताबिक, अस्थाना ने अपने एफिडेविट में आरोप लगाया कि दोनों याचिकाकर्ता (सदरे आलम और सेंटर फॉर पब्लिक इंट्रेस्ट लिटिगेशन) ने निजी बदला लेने की नीयत से ये याचिका दाखिल की है. उन्होंने आरोप लगाया कि
यह जनहित का मामला नहीं है बल्कि अदालत के मंच का दुरुपयोग करने की कोशिश है. ये लोग पहले भी मेरे करियर को पटरी से उतारने के प्रयास कर चुके हैं.
राकेश अस्थाना ने सेंटर फॉर पब्लिक इंट्रेस्ट लिटिगेशन के अलावा कॉमन कॉज पर भी निशाना साधा. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि इन दोनों को जो एक-दो लोग चलाते हैं, वो पहले भी मेरे खिलाफ इसी तरह के प्रयास कर चुके हैं. सीबीआई निदेशक के रूप में नियुक्ति और उसके बाद भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए 2017-18 में चार याचिकाएं दायर की गई थीं. याचिका में क्या कहा गया है? राकेश अस्थाना की नियुक्ति के खिलाफ सदरे आलम नाम के व्यक्ति और NGO सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन ने याचिका दायर की है. याचिका में दलील दी गई है कि अस्थाना की नियुक्ति प्रकाश सिंह मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित निर्देशों का स्पष्ट और खुला उल्लंघन है. अस्थाना का न्यूनतम छह महीने का कार्यकाल नहीं बचा था, जैसा कि कोर्ट ने नियम बनाया है. दिल्ली पुलिस आयुक्त के रूप में उनकी नियुक्ति के लिए संघ लोक सेवा आयोग की कोई समिति भी नहीं बनाई गई. ऐसे में अस्थाना की नियुक्ति को रद्द किया जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने 25 अगस्त को हाईकोर्ट से कहा था कि वह भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारी अस्थाना की दिल्ली पुलिस कमिश्रनर के रूप में नियुक्ति के खिलाफ लंबित याचिका पर दो सप्ताह के भीतर फैसला करे. यह मामला गुरुवार, 16 सितंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध था, लेकिन संबंधित पीठ के उपलब्ध न होने से इस मामले की सुनवाई 20 सितंबर को होगी.

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