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जिस कांड ने टाटा और अंबानी को हिला दिया था, उसमें क्लीन चिट निकल आई

क्या है नीरा राडिया टेलीफोन टैपिंग केस, जिसने देश की राजनीति में तूफान ला दिया था?

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रतन टाटा और नीरा राडिया | फाइल फोटो: इंडिया टुडे
21 सितंबर 2022 (Updated: 21 सितंबर 2022, 15:03 IST)
Updated: 21 सितंबर 2022 15:03 IST
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केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने कॉरपोरेट लॉबिस्ट नीरा राडिया (Niira Radia) को क्लीन चिट दे दी है. बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, एजेंसी ने राडिया को 8000 टेप से जुड़े मामले में ये क्लीन चिट दी है. नीरा राडिया की बातचीत को साल 2008-09 में आयकर विभाग ने टेप किया था. सीबीआई के मुताबिक, जांच एजेंसी ने सभी टेपों की जांच-पड़ताल की है, लेकिन उसे ऐसा कोई सबूत नहीं मिला, जिसके आधार पर 14 में से किसी भी मामले में केस दर्ज किया जा सके. ऐसे में CBI ने सभी प्रारंभिक जांचों को बंद करने का फैसला किया है.

Niira Radia Tape केस क्या है?

नीरा राडिया टेप विवाद साल 2008-09 का है. तब नीरा राडिया की उद्योगपतियों, पत्रकारों, सरकारी अधिकारियों और तत्कालीन सरकार में प्रमुख पदों पर बैठे कुछ लोगों के साथ फोन पर हुई बातचीत को रिकॉर्ड किया गया था. इसमें बिजनेसमैन रतन टाटा और मुकेश अंबानी से हुई उनकी बातचीत भी शामिल थी.

दरअसल, तत्कालीन वित्त मंत्री को 16 नवंबर, 2007 को एक शिकायत मिली थी. इस शिकायत में आरोप लगाया गया था कि नीरा राडिया ने महज 9 साल के भीतर ही 300 करोड़ रुपए का कारोबार खड़ा कर लिया है. इसके बाद नीरा राडिया के टेलीफोन की टेपिंग शुरू की गयी थी. सरकार ने कुल 180 दिन तक नीरा राडिया के टेलीफोन की टैपिंग की थी.

आयकर विभाग ने 50 सीलबंद लिफाफों में हजारों टेप अदालत में पेश किए थे. लेकिन, नीरा राडिया के टेलीफोन टैपिंग के कुछ अंश मीडिया में लीक होने के बाद देश की राजनीति में तूफान आ गया था. 

नीरा राडिया कंपनी टाटा समूह और मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के लिए जनसंपर्क का काम किया करती थीं. लेकिन, टेप के सार्वजनिक हो जाने के बाद यह स्पष्ट हो गया था कि वह दरअसल इन कंपनियों के लिए कॉर्पोरेट ब्रोकर का काम कर रही थीं.

Ratan TATA ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका क्यों दायर की है?

रतन टाटा ने 2011 में नीरा राडिया टेप मामले में अपनी निजता का हवाला देते सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. उन्होंने इन टेपों को लीक करने में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी. इस याचिका पर सुनवाई अभी भी जारी है. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच इसकी सुनवाई कर रही है. टाटा ने अपनी याचिका में कहा है कि टेप का लीक होना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मिले जीने के मौलिक अधिकार का उल्लघंन है, जिसमें निजता का अधिकार भी शामिल है.

वीडियो देखें : हिजाब विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में बहस नग्न डांस से होते हुए ईरान तक कैसे पहुंची?

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