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एक सांसद, एक कारोबारी और वो वकील: महुआ मोइत्रा पर इल्ज़ाम लगाने वाले कौन हैं?

महुआ मोइत्रा को 8 दिसंबर, 2023 के दिन लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया. लेकिन इस केस की शुरूआत कैसे हुई?

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Nishikant Dubey, Darshan Hiranandani, Jai Anant Dehadrai and Mahua Moitra
बाएं से दाएं: निशिकांत दुबे, दर्शन हीरानंदानी, जय अनंत देहाद्राई और महुआ मोइत्रा
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20 अक्तूबर 2023 (Updated: 9 दिसंबर 2023, 10:38 IST)
Updated: 9 दिसंबर 2023 10:38 IST
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शुक्रवार, 8 दिसंबर को TMC नेता महुआ मोइत्रा (Mahua Moitra) को लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया है. उनकी विश्वसनीयता और जनप्रतिनिधि के रूप मेंं उनका आचरण गंभीर आरोपों के घेरे में है. 

उन पर आरोप लगाए थे कि सदन में सवाल पूछने के लिए उन्होंने पैसे लिए हैं. किससे? रियल एस्टेट ग्रुप ‘हीरानंदानी’ के CEO दर्शन हीरानंदानी से. मामले की जांच के लिए एथिक्स कमिटी बैठी. कमिटी ने अपनी रिपोर्ट तैयार की. 8 दिसंबर को रिपोर्ट संसद में टेबल की गई. और, एथिक्स कमिटी की रिपोर्ट के हवाले से महुआ के निष्कासन का प्रस्ताव भी टेबल किया गया. ध्वनि मत से प्रस्ताव को पास कर दिया गया और बंगाल के कृष्णानगर से आने वाली सांसद महुआ मोइत्रा ‘पूर्व सांसद’ हो गईं.

अब वो क्या करेंगी या कर सकती हैं, इसके लिए ये पढ़िए - महुआ मोइत्रा के पास अब क्या रास्ते बचे हैं?

और, सिलसिलेवार ढंग से ये भी समझते हैं कि इस पूरे मसले में किन-किन के नाम आए? कौन-कैसे इस केस से जुड़ा हुआ है?

निशिकांत दुबे

'कैश फ़ॉर क्वेरी' का ये केस शुरू हुआ गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के एक पत्र से. लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को भेजे गए शिकायती पत्र से. निशिकांत ने लिखा कि उनके पास इस बात के सबूत हैं, कि मुंबई के एक बिज़नेसमैन के कहने पर महुआ मोइत्रा ने लोकसभा में सवाल पूछे. अडानी समूह और प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधने के लिए. सवालों के बदले महुआ को नकद रुपये और गिफ़्ट दिए गए. दो करोड़ रुपये, चुनाव लड़ने के लिए अलग से 75 लाख रुपये और आई-फ़ोन जैसे गिफ़्ट्स.

ये भी पढ़ें - 'महुआ मोइत्रा संसद में सवाल पूछने के लिए पैसे लेती हैं', निशिकांत दुबे के आरोप

विशेषाधिकार का उल्लंघन, सदन की अवमानना और आपराधिक साजिश के आरोपों की तर्ज़ पर निशिकांत ने मांग की: इस मामले में एक जांच कमिटी बनाई जाए और जब तक कमिटी की जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक महुआ की लोकसभा सदस्यता रद्द कर दी जाए. तब महुआ ने कहा था कि उन्हें कोई भी इंक्वायरी मंज़ूर है.

इसी पत्र में दो नाम और आए: जय अनंत देहाद्राई और दर्शन हीरानंदानी.

जय अनंत देहाद्राई

निशिकांत के बकौल, महुआ के ख़िलाफ़ ये सबूत उन्हें एक वकील ने दिए. नाम है जय अनंत देहाद्राई. कथित तौर पर इन सबूतों के लिए उन्होंने बहुत मेहनत की है.

हैं कौन ये?

पेशे से वकील हैं. उनकी लिंक्ड-इन प्रोफ़ाइल पर लिखा है कि उन्होंने पुणे विश्वविद्यालय से ग्रैजुएशन किया, फिर पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय से क़ानून में पोस्ट-ग्रैजुएशन की. तब से उन्होंने पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल नाडकर्णी के अधीन चेंबर जूनियर के रूप में काम किया. बाद में गोवा सरकार के सरकारी वकील बने. अब तो उनकी ख़ुद की फ़र्म है: लॉ चेंबर्स ऑफ़ जय अनंत देहाद्राई. सफ़ेदपोश आपराधिक मामलों, कमर्शियल मुक़दमे और संवैधानिक मुद्दों से जुड़े केस लड़ते हैं. इसके अलावा, अख़बार टाइम्स ऑफ़ इंडिया के लिए 2013 से 2022 तक ‘द इर्रेलेवेंट लॉयर’ नाम से कॉलम लिखते थे. बाक़ी संस्थाओं के लिए भी लिख चुके हैं.

दिल्ली में एक पार्टी के दौरान देहाद्राई और मोइत्रा (फ़ोटो - सोशल मीडिया)

न्यूज़लॉन्ड्री की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, अनंत और महुआ तीन साल तक एक रिश्ते में थे. इस साल की शुरूआत में दोनों अलग हो गए. महुआ ने मानहानि मुक़दमे में भी देहाद्राई का ज़िक्र किया है. उन्हें अपना ‘जिल्टेड एक्स’ बताया. आसान ज़ुबान में, किसी संबंध के ख़राब तरीक़े से ख़त्म होने पर खार खाए हुए संबंधी के लिए इस्तेमाल किया जाता है. मुक़दमे में दर्ज है कि मोइत्रा ने इस साल मार्च और सितंबर में बाराखंभा पुलिस स्टेशन में देहाद्राई के ख़िलाफ़ घुसपैठ और चोरी की दो शिकायतें भी दर्ज की थीं. लेकिन मामले को 'सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाने' का हवाला देकर अक्टूबर में शिकायतें वापस ले लीं. महुआ और अनंत ने मोइत्रा के कुत्ते, हेनरी को लेकर कस्टडी की लड़ाई भी लड़ी थी.

जिस दिन निशिकांत दुबे ने मोइत्रा के निलंबन की मांग की थी, उसी दिन देहाद्राई ने भी TMC सांसद के ख़िलाफ़ केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) में एक हलफ़नामा दायर किया था.

दर्शन हीरानंदानी

इन आरोपों के एक सिरे पर महुआ हैं और उनके पीछे जिसका हाथ बताया जा रहा है, वो हैं हीरानंदानी. दर्शन हीरानंदानी देश की प्रमुख रियल एस्टेट ग्रुप ‘हीरानंदानी ग्रुप’ के CEO हैं. देश के अलग-अलग हिस्सों में ग्रुप के प्रोजेक्ट्स सक्रिय हैं. मुंबई में पवई झील के पास बसी ‘हीरानंदानी सोसायटी’ इसी कंपनी ने बनाई है. '90 और 2000 के दशक की बहुत सारी फ़िल्मों के गाने यहां शूट हुए हैं. रियल एस्टेट के अलावा ये समूह हेल्थ, एजुकेशन, एनर्जी, डेटा सेंटर, क्लाउड कम्प्यूटिंग, लॉजिस्टिक्स और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में भी फैला है.

हालिया विवाद से पहले भी ग्रुप विवादों में रहा है. नवंबर, 2017 में जब ‘पैराडाइज़ पेपर्स’ सामने आए थे, तो इसमें हीरानंदानी ग्रुप का भी नाम आया था. आरोप लगा था कि ग्रुप ने भारत में टैक्स बचाने के लिए बरमूडा में एक फ़र्ज़ी कंपनी बनाई थी. CBI ने कंपनी की तलाशी भी ली थी, FIR भी लिखी थी. फिर 'पैंडोरा पेपर्स' खुलासे के वक़्त भी हीरानंदानी समूह पर आरोप लगा था कि 6 करोड़ अमेरिकी डॉलर के ट्रस्ट का फ़ायदा हीरानंदानी परिवार को मिला, क्योंकि ट्रस्ट में पैसा इसी परिवार ने ही लगाया था. आयकर विभाग ने समूह के 24 'ठिकानों' पर छापे मारे थे.

ये भी पढ़ें - महुआ पर हीरानंदानी के बड़े आरोप, ‘PM मोदी को बदनाम करने के लिए अडानी को..’

हालिया विवाद में एंट्री कैसे हुई? विवादों और टैक्स चोरी के आरोपों से ग्रस्त हीरानंदानी का नाम तो पहले ही निशिकांत ले चुके थे, कि उन्हें अडानी समूह की वजह से ऊर्जा और इंफ़्रास्ट्रक्चर के एक बड़े कॉन्ट्रैक्ट का झटका लगा है. इस वजह से उनका अडानी से पुराना हिसाब है. लेकिन तब हीरानंदानी समूह ने आरोपों को सीधे ख़ारिज कर दिया था. कहा था कि इनमें कोई दम नहीं है और ग्रुप ने हमेशा देश के हित में सरकार के साथ काम किया है, आगे भी करते रहेंगे.

पहले हीरानंदानी ग्रुप ने निशिकांत दुबे के आरोपों को बेबुनियाद बताया था, फिर अगले ही दिन मान गए (फ़ोटो - आजतक)

मगर 19 अक्टूबर को ग्रुप ने (टीवी की ज़ुबान में) ‘विस्फोटक खुलासे’ किए. हीरानंदानी ने दावा किया कि अडानी समूह को घेरने वाले सवाल पूछने के लिए उन्होंने TMC सांसद महुआ मोइत्रा का संसद का लॉग-इन भी इस्तेमाल किया था. निशिकांत के आरोपों को एक तरह से सही बताते हुए मोइत्रा को तोहफ़े देने वाली बात भी दोहराई. लिखा कि महुआ के सरकारी आवास की मरम्मत तक करवाई और उनकी यात्राओं और छुट्टियां का खर्च भी उठाया करते थे.

हीरानंदानी ने ये भी आरोप लगाए हैं कि राजनीति में तेज़ी से तरक्की करने के इरादे से महुआ मोइत्रा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाती थीं. इसी वजह से उन्होंने गौतम अडानी को टारगेट किया. हीरानंदानी के अनुसार, PM-अडानी को टारगेट करने के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी, शशि थरूर, पिनाकी मिश्रा, वरिष्ठ पत्रकार सुचेता दलाल, वकील शार्दुल श्रॉफ़ और पल्लवी श्रॉफ़ ने मोइत्रा की मदद की. इनके अलावा कुछ विदेशी मीडिया संस्थानों का भी ज़िक्र किया.

महुआ मोइत्रा

अब बात वुमन ऑफ़ द आवर की – बंगाल के कृष्णानगर से पूर्व-सांसद महुआ मोइत्रा. पहले इनवेस्टमेंट बैंकर थीं. 2009 में राजनीति में एंट्री ली. पहले यूथ कांग्रेस के साथ जुड़ीं. फिर 2010 में तृणमूल कांग्रेस के साथ जुड़ गईं. पार्टी के महासचिव और राष्ट्रीय प्रवक्ता के तौर पर काम किया. फिर 2016 के विधान सभा चुनाव में नादिया ज़िले की करीमपुर से चुनी गईं. 2019 में विधायकी छोड़ी और 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ा कृषणानगर से. तब से वहां की सांसद हैं.. थीं. संसद के मुखर वक्ताओं मे गिनी जाती हैं. अपने धारदार भाषणों के लिए अक्सर चर्चा में रहती हैं.

अभी उन्हीं भाषणों के चलते वापस चर्चा में हैं. लेकिन भाषणों की धार की वजह से नहीं, उनकी मंशा की वजह से. 

निशिकांत दुबे के आरोपों पर महुआ ने कहा था कु उन्हें किसी भी इंक्वायरी से कोई आपत्ति नहीं. हीरानंदानी के आरोपों को भी महुआ ने बेतुका और बेबुनियाद बताकर ख़ारिज कर दिया था. कहा था कि PM कार्यालय ने दर्शन और उनके पिता को धमकाकर चिट्ठी पर हस्ताक्षर कराए. 

ये भी पढ़ें - PM और अडानी वाले आरोपों पर और क्या बोलीं महुआ मोइत्रा?

महुआ मोइत्रा का कहना है कि भाजपा सरकार अडानी मुद्दे पर उनका मुंह बंद करवाना चाहती है, इसलिए ये सब किया जा रहा है. सांसदी जाने के बाद महुआ ने सदन के बाद मीडिया से बात की. कहा कि इस कंगारू कोर्ट ने जिस तरह से नियमों का दुरुपयोग किया है, उससे पूरे देश के सामने ये बात साबित हो गई है कि अडानी मोदी सरकार के लिए कितने ज़रूरी हैं. देश ने ये भी देख लिया कि एक महिला को परेशान करने के लिए, चुप कराने के लिए सरकार किस हद तक जा सकती है.

वीडियो: निशिकांत दुबे और महुआ मोइत्रा अडानी को लेकर क्यों भिड़े?

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