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हिंदू धर्म से अलग है बौद्ध धर्म, परिवर्तन के लिए चाहिए होगी अनुमति: गुजरात सरकार

संविधान के अनुच्छेद 25(2) के तहत, सिख धर्म, जैन धर्म और बौद्ध धर्म हिंदू धर्म के अंतर्गत ही आते हैं. कई बार ऐसी मांगें उठी हैं कि इन्हें अलग धर्म के तौर पर चिह्नित किया जाए.

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हिंदु धर्म और बौद्ध धर्मियों का ये झगड़ा पुराना है. (सांकेतिक तस्वीर - इंडिया टुडे)
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अक्षय शेलके
11 अप्रैल 2024 (Published: 04:29 PM IST)
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गुजरात सरकार ने धर्म परिवर्तन को लेकर एक सर्कुलर इशू किया है. इसमें सरकार ने ये स्पष्ट किया कि गुजरात धर्म स्वतंत्रता अधिनियम, 2003 (Gujarat Freedom of Religion Act) के तहत बौद्ध धर्म को हिन्दू धर्म से अलग धर्म माना जाएगा. इसका मतलब है कि हिंदू धर्म से बौद्ध धर्म, जैन धर्म या सिख धर्म में परिवर्तित होने वाले लोगों को ज़िला मजिस्ट्रेट से पहले अनुमति लेनी होगी.

कुछ ज़िला मजिस्ट्रेटों ने अधिनियम की गलत व्याख्या की थी और बौद्ध धर्म में परिवर्तन करने वालों को अनुमति की ज़रूरत नहीं है, ऐसा बताया था. इसी के बाद सरकार का ये स्पष्टीकरण आया है.

दरअसल, ये पुराना मसला है. संविधान के अनुच्छेद 25(2) के तहत, सिख धर्म, जैन धर्म और बौद्ध धर्म हिंदू धर्म के अंतर्गत आते हैं. इसके बरक्स कई बार ऐसी मांगें उठी हैं कि इन्हें अलग धर्म के तौर पर चिह्नित किया जाए. मगर कभी हुआ नहीं. तो ऐसे आवेदन, जिनमें हिंदू से बौद्ध या हिंदू से सिख बनने की अनुमति मांगी गई हो, संबंधित कार्यालय उन्हें ऐसे ही निपटा रहे थे. ये कहते हुए आवेदक को ऐसे धर्मांतरण के लिए अनुमति लेने की ज़रूरत नहीं है. इसीलिए ये अस्पष्टता थी कि क्या बौद्ध धर्म स्वीकार करने के लिए मजिस्ट्रेट की पूर्व अनुमति की जरूरत है या नहीं.

ये भी पढ़ें - धर्म परिवर्तन के लिए 'ईश्वर की कृपा' का सहारा लेने पर होगी लंबी जेल

सरकार के सर्कुलर के बाद अब ये स्पष्ट है की हिंदू से बौद्ध धर्म, जैन धर्म या सिख धर्म में परिवर्तित होने वाले लोगों को जिला मजिस्ट्रेट से पूर्व अनुमति लेनी होगी.

गुजरात धर्म स्वतंत्रता अधिनियम 2003 का उद्देश्य बल, प्रलोभन या धोखाधड़ी से धर्म परिवर्तन को रोकना है. इसके लिए धर्म परिवर्तन के लिए आवेदनों में आवेदक की पृष्ठभूमि, धर्म परिवर्तन के कारण और धर्म परिवर्तन समारोह के विवरण जैसी जानकारी शामिल करना आवश्यक है.

गुजरात में दलितों बौद्ध धर्म अपनाते हैं. कई बौद्ध संगठनों ने इस स्पष्टीकरण का स्वागत किया है क्योंकि उनका भी आग्रह रहता है कि बौद्ध को अलग से चिह्नित किया जाए. ताकि यह भ्रम हो और धर्म परिवर्तन के लिए पूर्व अनुमति लेने की उनकी प्रथा बनी रहे. 

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