BJP की इनकम 134% बढ़कर 2410 करोड़ हुई, लेकिन कांग्रेस का जानकर गश खा जाएंगे
चुनाव आयोग को बीजेपी-कांग्रेस ने लेखा-जोखा दिया है.
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बीजेपी की सालाना इनकम में 60 फीसदी सिर्फ इलेक्टोरल बॉन्ड से आया है. इसे लेकर विपक्ष ने बीजेपी को घेरना भी शुरू कर दिया है. कांग्रेस की भी इलेक्टोरल बॉन्ड से अच्छी खासी कमाई हुई है. फोटो: India Today
कांग्रेस का चिट्ठा चुनाव आयोग की वेबसाइट के मुताबिक, कांग्रेस ने अपनी ऑडिट रिपोर्ट में बताया कि 2018-19 में उसकी इनकम 918 करोड़ रुपए रही. ये 2017-18 की 199 करोड़ रुपए की इनकम से 361 फीसदी ज़्यादा है. पार्टी ने 2018-19 में 470 करोड़ रुपए का खर्च घोषित किया. कांग्रेस को इलेक्टोरल बॉन्ड से 383 करोड़ रुपए मिले, जो 2017-18 में मिले 5 करोड़ रुपए से काफी ज़्यादा है. किस मद में कितना पैसा बीजेपी ने 1 अप्रैल, 2018 से 31 मार्च, 2019 तक इनकम और खर्च का जो हिसाब दिया, उसके मुताबिक उसे फी और सब्सक्रिप्शन से 1.89 करोड़ रुपए, स्वेच्छा से योगदान के मद में 2,354 करोड़ रुपए (इलेक्टोरल बॉन्ड से मिली रकम भी शामिल), बैंकों से मिले ब्याज से 54 करोड़ रुपए मिले. आजीवन सहयोग निधि से 24.64 करोड़ रुपए, अलग-अलग मोर्चों से 68 लाख रुपए, बैठकों से 93 लाख रुपए, इलेक्टोरल बॉन्ड से 1450.89 करोड़ रुपए और दूसरे मदों से 876.87 करोड़ रुपए मिले. कांग्रेस की ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक, पार्टी को 2018-19 में 383 करोड़ रुपए, कंपनियों से 20.62 करोड़, इलेक्टोरल ट्रस्ट और फाउंडेशन से 94.6 करोड़ रुपए, जबकि दूसरे डोनर्स से 2.38 करोड़ रुपए मिले. पार्टी ने बताया कि 2018-19 में उसका चुनावी खर्च करीब 309 करोड़ रुपए रहा, जिसमें 57 लाख रुपए चुनाव से पहले सर्वे पर, जबकि प्रचार पर 78 करोड़ रुपए खर्च किए. इलेक्टोरल बॉन्ड क्या होते हैंBJP karey toh Bhagwan aur karey toh shaitan- “Transparent” BJP’s income doubles to ₹2410 cr/ ₹ 1450 cr from Dhoka Bonds alone! https://t.co/TW9b3hfr1G
BJP income doubles to Rs 2,410 crore, Congress' up 4.5 times to Rs 918 crore https://t.co/TqURcOslTw via @timesofindia — Mahua Moitra (@MahuaMoitra) January 10, 2020
इलेक्टोरल बॉन्ड एक तरह से प्रॉमिस नोट होते हैं. इसमें कोई भी व्यक्ति, कॉरपोरेट और संस्थाएं बॉन्ड खरीदकर पार्टियों को चंदे के रूप में देती हैं, पार्टी बॉन्ड को बैंक में भुनाकर पैसे हासिल करती है. केंद्र सरकार ने 2018 में इसकी शुरुआत की थी. कहा गया था कि इससे फंडिंग में पारदर्शिता बढ़ेगी. 2 जनवरी, 2018 को मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में इसके लिए नोटिफिकेशन जारी किया गया. इलेक्टोरल बॉन्ड फाइनेंस एक्ट 2017 के तहत इसे लाया गया. ये बॉन्ड साल में चार बार- जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर में जारी किए जाते हैं. कोई भी बैंक की ब्रांच में जाकर या उसकी वेबसाइट पर जाकर इसे खरीद सकता है. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की 29 शाखाओं को इलेक्टोरल बॉन्ड जारी करने और उसे भुनाने के लिए अधिकृत किया गया. ये शाखाएं मुंबई, नई दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई, गांधीनगर, चंडीगढ़, पटना, रांची, गुवाहाटी, भोपाल, जयपुर और बेंगलुरु की हैं. अब तक इलेक्टोरल बॉन्ड के 12 चरण पूरे हो चुके हैं. केंद्र सरकार ने अगले चरण के बॉन्ड की बिक्री का ऐलान कर दिया है. पहले चरण की बिक्री 10 मार्च, 2018 में की गई थी. आम चुनाव में कम से कम एक फीसदी वोट पाने वाली पार्टियां ही इस बॉन्ड से चंदा हासिल कर सकती हैं. इलेक्टोरल बॉन्ड पर बवाल जारी है केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) ने केंद्र सरकार से कहा है कि इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम के तहत चंदा देने वालों का नाम उजागर करें. सात जुलाई, 2017 को वेंकटेश नायक ने इनफॉर्मेशन ऐक्ट (RTI) के तहत डोनेशन करने वालों की जानकारी मांगी थी. उन्होंने सेंट्रल पब्लिक इनफॉर्मेशन ऑफिसर और इकनॉमिक अफेयर्स डिपार्टमेंट से ये सूचना मांगी थी. उन्हें कोई जवाब नहीं मिला. इसके बाद उन्होंने अगस्त 2017 में एप्लीकेशन डाला. इसे RBI, फाइनेंशियल सर्विसेज डिपार्टमेंट, चुनाव आयोग को ट्रांसफर करने का आदेश दिया. इसके बाद उन्होंने जनवरी, 2018 में CIC में एप्लीकेशन डाली. पिछले महीने दिसंबर में प्रशांत भूषण ने इलेक्टोरल बॉन्ड पर रोक लगाने की एप्लीकेशन डाली थी. सुप्रीम कोर्ट इस पर विचार करने पर सहमत हो गया है. प्रशांत भूषण ने कहा था, 'इस स्कीम से पार्टियों के लिए अनियंत्रित कॉरपोरेट डोनेशन और भारतीयों और विदेशियों से अज्ञात डोनेशन के दरवाज़े खुल गए हैं, जिसका देश के लोकतंत्र पर बुरा प्रभाव पड़ेगा.'While the economy is suffering, BJP’s income grew by whooping 135 percent to Rs 2410 crore in 2018-19, reports Free Press Journal..https://t.co/G1jidSUY7i
— Deepika Singh Rajawat (@DeepikaSRajawat) January 10, 2020
अर्थात: इलेक्टोरल बॉन्ड से फंडिंग ने बीजेपी और कांग्रेस की कमाई पर पर्दा डाल दिया