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फसल पर ट्रैक्टर चलाने वाले बिहार के किसान की किस्मत बदली, मिला 10 गुना दाम

केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी मदद के लिए हाथ बढ़ाए.

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खबर प्रकाशित होने के बाद समस्तीपुर में सरकारी अमला पहुंचा और किसान की मदद की. फोटो- जहांगीर आलम
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Varun Kumar
16 दिसंबर 2020 (Updated: 16 दिसंबर 2020, 07:26 PM IST) कॉमेंट्स
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समस्तीपुर. बिहार का जिला है. चर्चा में है. वो इसलिए कि एक किसान ने यहां अपनी गोभी की फसल की कीमत ना मिलने पर उसे बर्बाद करने के लिए खेत में ट्रैक्टर चला दिया था. किसान आंदोलन के बीच इंडिया टुडे ग्रुप ने इस खबर को प्रमुखता से दिखाया. लल्लनटॉप ने भी खबर दिखाई. इसका असर हुआ. उस किसान की परेशानी समझ केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मदद का हाथ बढ़ाए. सरकारी अमला भी आगे आया. जिस गोभी को 1 रूपये किलो में भी कोई खरीदने को तैयार नहीं था, उसके लिए 10 रूपये किलो का रेट देकर पूरी गोभी खरीद ली गई है.
जिस किसान ने खड़ी फसल पर ट्रैक्टर चलाया था, उसका नाम है ओमप्रकाश यादव. वह समस्तीपुर के मुक्तापुर गांव के रहने वाले हैं. पहले जान लेते हैं, ओमप्रकाश ने क्या कहा है,
"आपके चैनल के माध्यम से खबर पूरे देश स्तर पर चला, जिससे सरकारी अधिकारी हमारे दरवाजे तक पहुंचे हैं. हमें फोन आया. कॉल पर बोले कि रविशंकर जी के पीए बोल रहे हैं. आपका जो न्यूज़, चैनल पर चला है, वो मंत्री जी देखे और तुरन्त CSC (कॉमन सर्विस सेंटर) को कॉल किए हैं. वो बोले कि जो पेपर मांग रहे हैं, वो देकर रजिस्ट्रेशन करवा लें. अपना जो बचा हुआ फसल है.. वो बेचिये. वो चार टन गोभी हमसे ले रहे हैं. 10 रुपये किलो के भाव में ले रहे हैं."
क्या था पूरा मामला?
ओम प्रकाश यादव ने अपने खेत में गोभी लगाई थी. इस साल गोभी की पैदावार अच्छी हुई, लेकिन किसानों को मंडी में इसका सही दाम नहीं मिल रहा. किसान जब गोभी को मंडी ले जा रहे हैं, तो वहां एक रुपए प्रति किलो का रेट ही मिल पा रहा है. इसी बात से ओम प्रकाश यादव नाराज़ थे. इसी नाराज़गी में उन्होंने गोभी की फसल के एक बड़े हिस्से पर ट्रैक्टर चला दिया. उनका कहना था कि बीज खरीदकर, खेती करने और फसल उगने से लेकर मंडी तक पहुंचाने तक की कीमत भी वसूल नहीं हो पा रही, फायदा मिलना तो दूर की बात है. गांववालों को जब पता चला कि ओम प्रकाश अपनी फसल को खत्म कर रहे हैं, तो लोग खेत में पहुंच गए. गोभी उखाड़-उखाड़कर अपने घर ले जाने लगे. जितना ले जाते बना, लोग मुफ्त में ले गए.
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ओमप्रकाश की फसल को तौल कर भुगतान किया गया. फोटो- जहांगीर आलम

रविशंकर प्रसाद ने ऐसे की मदद
इंडिया टुडे ग्रुप ने इस खबर को प्रमुखता से उठाया.  'लल्लनटॉप' ने भी अपने शब्दों के माध्यम से किसान का दर्द उकेरने की पूरी कोशिश की थी देखिए पूरी रिपोर्ट.
आखिरकार ये कोशिश सफल रही. केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने जब ये खबर देखी तो तत्काल किसान की मदद के लिए हाथ बढ़ाए. फेसबुक पर उन्होंने लिखा,
"अब नरेंद्र मोदी सरकार के नए कृषि कानूनों ने किसान को अपनी फसल कहीं भी बेचने की आज़ादी दे दी है. बिहार का ये किसान जिसे स्थानीय मंडी में मिल रहे दाम से निराश होकर अपनी फसल नष्ट करने पर मजबूर होना पड़ा था, अब स्थानीय दाम से दस गुना अधिक दाम पर दिल्ली में अपनी फसल बेच पाया है."
Ravi Shankar Prasad
रविशंकर प्रसाद ने फेसबुक पर लिखी ये बात

स्थानीय अधिकारियों और लोगों ने बताई पूरी बात
समस्तीपुर के कॉमन सर्विस सेंटर के जिला प्रबंधक विक्रम कुमार शर्मा ने कहा,
"हमें मालूम चला कि मुक्तापुर के किसान ओमप्रकाश जी ने मंडी के कम भाव के कारण अपनी फसल पर ट्रैक्टर चला दिया और बर्बाद कर दिया. चूंकि एक रुपये का भाव इनको मंडी में मिल रहा था. हमने इनका रजिस्ट्रेशन एग्री टैनेक्स के पोर्टल पर किया है. एग्री टेनेक्स अब CSC के माध्यम से इनकी 4 टन गोभी की फसल 10 रुपए किलो के हिसाब से खरीद रही है."
ओमप्रकाश के पड़ोसी चन्द्र प्रकाश गुड्डू ने कहा,
"खेत में हमारे ग्रामीण मित्र चार एकड़ में गोभी लगाए, फसल तैयार किये, मेहनत किये, जब बिक्री का समय हुआ तो रेट था नहीं मंडी में... एक रुपए किलो... खेत से मंडी तक के जाने तक का खर्च नहीं है. गुस्से में आकर ये अपने भाग्य को कोसते हुए फसल पर ट्रैक्टर चला दिया. इसको लल्लनटॉप ने चलाया. इसका असर ये हुआ कि बहुत सारे दूसरे प्रदेश के खरीदार आ गए."
बेंगलुरू के व्यापारियों ने भी हाथ आगे बढ़ाया
बेंगलुरु में खबर देखने के बाद वहां के व्यापारियों ने बेंगलुरू रेलमंडल के डीसीएम से संपर्क किया, और समस्तीपुर के किसानों से गोभी को खरीदने की इच्छा जताई. वहां से शिमला मिर्च और टमाटर, बिहार में भेजने के लिए तैयार हो गए. इसको लेकर बेंगलुरु के डीसीएम ने समस्तीपुर रेलमंडल के डीसीएम प्रसन्न कुमार से संपर्क किया, और वहां के व्यापारियों द्वारा 100 टन गोभी खरीदने की बात बताई.
खबर ने बदली किसान की किस्मत

इंडिया टुडे ग्रुप के रिपोर्टर जहांगीर आलम ने बताया कि 14 दिसंबर को जब वो इस खबर की कवरेज पर पहुंचे थे तो किसान ओमप्रकाश गुस्से और दुख में थे. लेकिन अब जब उनकी फसल के 10 गुना दाम मिले हैं, तो काफी खुश हैं. अब पूरे गांव, पूरे इलाके के किसान उस प्रोसेस को जानना चाहते हैं, जिसके जरिए अपनी फसल को दूसरे इलाकों में बेचा जा सकता है.


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