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बांग्लादेश सरकार ने हिल्सा मछली बेचने से मना किया, बंगाल की थाली में 'नहीं आएगा' स्वाद! आगे क्या रास्ता?

Bangladesh Government ban hilsa fish export: भारत और बांग्लादेश के बीच हिल्सा कूटनीति महत्वपूर्ण रही है. शुरुआत हुई 1996 में, जब तत्कालीन PM Sheikh Hasina ने गंगा जल बंटवारे की संधि पर हस्ताक्षर करने से ठीक पहले उस समय के पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ज्योति बसु को हिल्सा उपहार में दी थी. लेकिन अब केयरटेकर गवर्मेंट ने ये फ़ैसला लिया है.

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 caretaker government has now banned the export of hilsa
हाल ही में सौरव गांगुली एक कार्यक्रम में हिल्सा मछली पकड़े दिखे थे. (प्रतीकात्मक तस्वीर - PTI/इंडिया टुडे)
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सुशीम मुकुल
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10 सितंबर 2024 (Updated: 10 सितंबर 2024, 12:33 PM IST) कॉमेंट्स
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यूं तो पश्चिम बंगाल की दुर्गा पूजा भारत में बहुत मशहूर है. मशहूर दुर्गा पूजा के दौरान बंगाली घरों से निकलने वाली सरसों के तेल में पकी हिल्सा मछली की खुशबू भी है. लेकिन बताया जाता है कि इस बार हिल्सा की खुशबू में थोड़ी मंदी आ सकती है. कारण, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने इसके निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है (Bangladesh caretaker gov banned export of hilsa). ऐसे में दुर्गा पूजा से पहले पश्चिम बंगाल में हिल्सा की कमी की ख़बरें हैं. बताया जाता है कि इसकी क़ीमतें राज्य में अचानक से बहुत बढ़ गई है. ऐसे में हिल्सा की खुशबू अब बंगाली लोगों की जेब में छेद (महंगाई से) कर सकती है. ये कैसे मिल रही है, कैसे भारत-बांग्लादेश संबंध के लिए रणनीति का काम करती है और आख़िर इस मछली में क्या ख़ास बात है, सब जानेंगे.

बताया जा रहा है कि प्रतिबंध को दरकिनार करते हुए हिल्सा भारत पहुंचने का रास्ता खोज ही लेगी, महंगी दामों पर ही सही. भारत, ख़ासकर पश्चिम बंगाल में त्योहारों के मौसम में हिल्सा की बड़ी खेप भेजने की लंबे समय से परंपरा है. लेकिन इससे उलट बांग्लादेशी इलिश (बंगाल के लोग हिल्सा को इलिश कहते हैं) पर ये प्रतिबंध लगा है. इसे आवामी लीग की नेता और पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने शुरू की थी. इससे पहले बांग्लादेश ने 2012 से 2020 तक हिल्सा के निर्यात पर सामान्य प्रतिबंध लगाया था, लेकिन उसने भारत के लिए अपवाद रखा था. यानी भारत में इसका निर्यात होता था.

निर्यात पर प्रतिबंध

इंडिया टुडे से जुड़े सुशीम मुकुल की रिपोर्ट के मुताबिक़, बांग्लादेश के मत्स्य एवं पशुधन मंत्रालय की सलाहकार फरीदा अख्तर ने भी प्रतिबंध की पुष्टि की है. 5 सितंबर को मीडिया के साथ बातचीत में ने बताया कि सरकार ने प्रतिबंध लगाया, क्योंकि इससे स्थानीय उपभोक्ताओं के लिए पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित हो सके. बता दें, बांग्लादेश दुनिया की लगभग 70% इलिश (हिल्सा मछली) का उत्पादन करता है. ये बांग्लादेश की राष्ट्रीय मछली भी है. वो इसे अपने राष्ट्रीय गौरव का विषय बताते हैं.

इससे पहले 2012 में, बांग्लादेश ने तीस्ता नदी जल-बंटवारा समझौते पर विवाद के कारण निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था. लेकिन शेख हसीना ने निर्यात को सुगम बनाया और 2022 में प्रतिबंध हटा दिया गया. क्योंकि भारतीय बाज़ारों में इसका दाम बहुत ज़्यादा बढ़ गया था. साथ ही, भारत-बांग्लादेश सीमा पर तस्करी में बढ़ोतरी भी. बता दें, हिल्सा की बड़ी खेप दुर्गा पूजा, पोइला बोइसाख (बंगाली नया साल) और जमाई सोष्टी (दामाद के सम्मान में एक अनुष्ठान, जिसके बाद पारिवारिक मिलन और भव्य भोज होता है) से पहले बांग्लादेश से भारत में आती थी.

अब कैसे मिल सकती है?

प्रतिबंध के बावजूद, दिल्ली के मछली बाज़ारों में बांग्लादेश से आई हिल्सा मछलियां मिल रही हैं. कैसे? अब भारत में ओडिशा, म्यांमार और गुजरात से वैकल्पिक आपूर्ति के ज़रिए ही इसकी महंगाई से बचा जा सकता है. CR Park के मार्केट 1 के एक मछली बेचने वाले ने नाम ना बताने की शर्त पर इंडिया टुडे को बताया,

ग़ाज़ीपुर थोक बाज़ार के व्यापारियों ने हमें बताया है कि बांग्लादेश से हिल्सा अब म्यांमार के रास्ते आ रही है. इससे हिल्सा की कीमतें बढ़ गई हैं. हम बांग्लादेश से आई हिल्सा मछली अब 2,200 से 2,400 रुपये प्रति किलो की दर से बेच रहे हैं. कुछ महीने पहले इसकी कीमत 1,800 से 2,000 रुपये प्रति किलो थी.

इस मछली में क्या ख़ास है?

बंगाली व्यंजनों में हिल्सा का बड़ा महत्व माना जाता है. इसे 'मछलियों का राजा' भी कहा जाता है. ये सीमा के दोनों तरफ़ बहुत सराही भी जाती है. बांग्लादेश से होकर बहने वाली गंगा नदी की सहायक नदी पद्मा में ये ज़्यादातर पाई जाती है. हिल्सा अपने असाधारण स्वाद और बनावट के लिए प्रसिद्ध है. ये हर ख़ास मौक़े पर बंगालियों की मेज़ की शोभा बढ़ाती है. इंटरनेशनल कलेक्टिव इन सपोर्ट ऑफ फिशवर्कर्स के मुताबिक़, पद्मा की हिल्सा सभी किस्मों में सबसे स्वादिष्ट होती है. इस किस्म में भरपूर वसा और मोटा रसदार मांस इसे अलग बनाता है. पद्मा इलिश की मांग सिर्फ पश्चिम बंगाल में ही नहीं है; नई दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, झारखंड और बिहार के बाज़ारों में भी होती है.

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हिल्सा कूटनीति से भारत-बांग्लादेश संबंध मजबूत

हिल्सा कूटनीति भारत और बांग्लादेश के बीच एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक रणनीति रही है. ये मछली दोनों देशों के बीच सद्भावना और दोस्ती का प्रतीक भी बनी. बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना इसकी अगुआ थीं. बांग्लादेश के रिप्रेजेंटेटिव्स ने कई मौक़ों पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी समेत कई भारतीय नेताओं को हिल्सा उपहार में दी है. ये प्रथा 1996 में शुरू हुई, जब हसीना ने गंगा जल बंटवारे की संधि पर हस्ताक्षर करने से ठीक पहले पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री ज्योति बसु को हिल्सा उपहार में दी थी. 2019 में, बांग्लादेश ने दुर्गा पूजा 'उपहार' के रूप में भारत को 500 टन हिल्सा के निर्यात की अनुमति दी थी. हालांकि, इस साल अचानक रोक (वो भी दुर्गा पूजा के पहले) से ऐसा लगता है कि हिल्सा कूटनीति अब उलट गई है. हालांकि, कहा जा रहा है कि कोई भी प्रतिबंध हिल्सा प्रेमी भारतीयों को इससे मछली से दूर नहीं रख सकता. भले ही कुछ ज़्यादा पैसे क्यों न खर्चने पड़े.

वीडियो: Rahul Gandhi के जन्मदिन पर Tejashwi Yadav ने कौन सी 'मछली डील' फिक्स की?

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