कौन हैं वो पांच जज जो अयोध्या मामले में फैसला सुनाने जा रहे हैं?
चीफ जस्टिस गोगोई के अलावा और कौन-कौन हैं बेंच में
Advertisement

ऐतिहासिक फैसला सुनाने वाले जजों में शामिल हैं: जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एसए बोबड़े, जस्टिस एसए नज़ीर, चीफ़ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (बाएं से दाएं)

अयोध्या भूमि विवाद पर पढ़िए दी लल्लनटॉप की टॉप टू बॉटम कवरेज.
इस पूरे फैसले में जिन पांच जजों की बेंच फैसला लेने वाली है, उसमें शामिल हैं- चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबड़े, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण, और जस्टिस एसए नज़ीर. अब चूंकि सुप्रीम कोर्ट के जज हैं, और देश का सबसे हाई-प्रोफाइल मुकदमा सुन रहे हैं तो, ज़ाहिर है, कि कानूनी जीवन बड़ा होगा. इन जजों के हिस्से में कई ऐसे मामले आए हैं जिन्होंने लोगों का ध्यान काफी खींचा. कौन हैं ये जज? कहां से आये हैं? और कानूनन इनका यश क्या है? सब पढ़िए यहां.
# चीफ जस्टिस रंजन गोगोई

गोगोई का कार्यकाल 17 नवंबर 20 19 को ख़त्म होने वाला है. इनके बाद जस्टिस बोबड़े चीफ जस्टिस बनेंगे. (तस्वीर: इंडिया टुडे)
कहां के हैं?असम के डिब्रूगढ़ से. इनके पिता केशब चंद्र गोगोई दो महीने के लिए असम के मुख्यमंत्री रहे थे.
कानूनी इतिहास क्या है?दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन और लॉ की डिग्री लेने के बाद गुवाहाटी हाई कोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की. साल 2001 में वहां के परमानेंट जज बनाए गए.2010 में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट आए जज के पद पर. अगले साल यानी 2011 में वहां के चीफ जस्टिस बनाए गए.
सुप्रीम कोर्ट कब जॉइन किया?अप्रैल 2012 में. और भारत के चीफ जस्टिस बने अक्टूबर 2018 में. दीपक मिश्रा के जाने के बाद.
बड़े फ़ैसले कौन से थे?1.अपने एक फैसले में उन्होंने कलकत्ता हाई कोर्ट जज चिन्नास्वामी स्वामीनाथन कर्णन को अदालत की अवमानना के आरोप में जेल भेज दिया था. कर्णन पहले ऐसे सर्विंग हाई कोर्ट जज बने जिन्हें जेल भेजा गया. इन्होंने 20 जजों पर करप्शन के आरोप लगाए थे और पीएम मोदी को चिट्ठी लिखी थी. इसमें उन सभी जजों के नाम दिए गए थे, लेकिन उनके खिलाफ सुबूत उपलब्ध नहीं कराए गए. इस के बाद छह महीने उन्होंने जेल में काटे.
2.2018 में इनके द्वारा दिए गए ऑर्डर ने लोकपाल एक्ट में किसी भी तरह की तकनीकी कमी के न होने की बात कही, और सरकार के लोकपाल को लेकर ढुलमुल रवैये पर नाराज़गी जाहिर की. कहा कि जब चार साल पहले लोकपाल एक्ट पास हो चुका है, तो अभी तक लोकपाल की नियुक्ति क्यों नहीं हुई है.
17 नवम्बर को रिटायर होंगे, उसके पहले सबरीमाला रीव्यू, राफेल का मुद्दा, आरटीआई के दायरे में चीफ जस्टिस को लाने जैसे मुद्दों पर फैसला सुनाने वाले हैं.
# जस्टिस शरद अरविन्द बोबड़े

जस्टिस बोबड़े अगले CJI बनेंगे. (तस्वीर: इंडिया टुडे)
कहां के हैं?नागपुर से. इनके पिता अरविंद बोबड़े महाराष्ट्र के एडवोकेट जनरल रह चुके हैं.
कानूनी इतिहास क्या है?नागपुर यूनिवर्सिटी से बीए और एलएलबी की डिग्री हासिल की. 1978 में बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र में शामिल हुए. अपर न्यायाधीश के रूप में 29 मार्च 2000 को बॉम्बे हाईकोर्ट की खंडपीठ का हिस्सा बने. एसए बोबड़े मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस रह चुके हैं.
सुप्रीम कोर्ट कब जॉइन किया?अप्रैल 2013 में
बड़े फ़ैसले कौन से थे?1.जस्टिस बोबड़े उस बेंच का हिस्सा थे, जिसने आदेश दिया कि आधार कार्ड न रखने वाले किसी भी भारतीय नागरिक को सरकारी फायदों से वंचित नहीं किया जा सकता.
2.मई, 2018 में जब कर्नाटक में चुनाव हुए और किसी को बहुमत नहीं मिला, तो राज्यपाल ने बीएस येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के लिए बुलाया. कांग्रेस इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची. रात 2 बजे से सुनवाई शुरू हुई और फैसला येदियुरप्पा के पक्ष में आया. येदियुरप्पा के पक्ष में फैसला देने वाली बेंच में शामिल थे जस्टिस बोबड़े.
# जस्टिस धनञ्जय यशवंत चंद्रचूड़

जस्टिस चंद्रचूड़ को उनकी टू द पॉइंट टिप्पणियों के लिए जाना जाता है.
कहां के हैं?मुंबई. इनके पिता यशवंत चंद्रचूड़ देश के सबसे ज्यादा लंबे समय तक पद पर रहने वाले चीफ जस्टिस थे.
कानूनी इतिहास क्या है?दिल्ली यूनिवर्सिटी से LLB करने के बाद हारवर्ड लॉ स्कूल से LLB करने गए. 1998 में बॉम्बे हाई कोर्ट ने उन्हें सीनियर एडवोकेट का पद दिया. 2000 में बॉम्बे हाई कोर्ट के जज बने. और 2013 तक रहे. उसके बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बने और तीन साल तक उस पद पर रहे.
सुप्रीम कोर्ट कब जॉइन किया?मई 2016 में.
बड़े फ़ैसले कौन से थे?1.2018 में नवतेज जौहर वर्सेज यूनियन ऑफ इंडिया केस में जिस बेंच ने समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया था, उस बेंच में जस्टिस चंद्रचूड़ भी मौजूद थे. उन्होंने धारा 377 को समय के हिसाब से भ्रमित और गुलामी वाला बताया था जो बराबरी, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, जीवन, और निजता के मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन करता है.
2.2018 में ही केरल के हदिया विवाह मामले में सुनवाई करते हुए उसके धर्म और जीवनसाथी के चुनाव को सही बताते हुए फैसला दिया था. हदिया ने अपना धर्म बदलकर मुस्लिम शफीन जहान से शादी की थी. इसके बाद उसके घरवालों ने आरोप लगाया था कि हदिया का ब्रेनवॉश किया गया है. चंद्रचूड़ ने कहा था कि एक बालिग़ का उसकी शादी या धर्म को लेकर लिया जाने वाला फैसला उसके निजी अधिकारों के तहत आता है.
# जस्टिस अशोक भूषण

जस्टिस अशोक भूषण ने RTI एक्ट में FIR के कागज़ात देने के बाबत दिए गए जजमेंट में अहम भूमिका निभाई थी.
कहां के हैं?जौनपुर, उत्तर प्रदेश से. बीए करने के बाद कानून की पढ़ाई शुरू की. इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से.
कानूनी इतिहास क्या है?1979 में उत्तर प्रदेश बार काउंसिल का हिस्सा बने और इलाहाबाद हाई कोर्ट में प्रैक्टिस करने लगे. 2001 में इलाहाबाद हाई कोर्ट के परमानेंट जज बन गए. 2014 में केरल हाई कोर्ट के जज बने. उसके बाद वहां के चीफ जस्टिस बने.
सुप्रीम कोर्ट कब जॉइन किया?मई 2016 में.
बड़े फ़ैसले कौन से थे?1.2017 में इनकी मौजूदगी वाली डिविजन बेंच ने एक पेटीशन को खारिज किया, जिसमें सिविल सर्विसेज एग्जाम में शारीरिक रूप से अक्षम कैंडिडेट्स के लिए कोशिशों की संख्या सात से बढ़ाकर दस करने की मांग की गई थी. जस्टिस भूषण ने कहा था कि फिजिकली हैंडीकैप्ड अपने आप में एक कैटेगरी है.
2.2015 में इनकी मौजूदगी वाली केरल हाई कोर्ट की डिविजन बेंच ने आदेश दिया कि पुलिस को FIR की कॉपी लगानी होगी. अगर उसकी मांग RTI में की जाती है तो. इसमें छूट तभी मिलेगी अगर संबंधित अथॉरिटी ये निर्णय ले कि FIR को RTI एक्ट से छूट मिली हुई है.
# जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर

जस्टिस नज़ीर तीन तलाक पर सुनवाई कर रही बेंच में मौजूद थे.
कहां के हैं?बेलूवाई, कर्नाटक
कानूनी इतिहास क्या है?मंगलुरु के लॉ कॉलेज से कानून की डिग्री लेने के बाद कर्नाटक हाई कोर्ट, बेंगलुरु में प्रैक्टिस शुरू की. वहां के एडिशनल जज के पद पर नियुक्ति हुई. उसके बाद परमानेंट जज बने.
सुप्रीम कोर्ट कब जॉइन किया?कर्नाटक हाई कोर्ट से सीधे उन्हें 2017 में सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया. वो किसी हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बने बिना सुप्रीम कोर्ट जाने वाले तीसरे जज थे.
बड़े फ़ैसले कौन से थे?1.ट्रिपल तलाक मामले में इनकी बेंच ने ट्रिपल तलाक (तलाक-ऐ-बिद्दत) को गैरकानूनी घोषित करने का फैसला दिया. पांच जजों की इस बेंच में दो जजों ने ट्रिपल तलाक को बनाए रखने के पक्ष में निर्णय दिया, और तीन ने विपक्ष में. नज़ीर ने फैसला दिया था कि तीन तलाक बनाए रखना चाहिए.
2.दिसंबर 2017 . ये उन 9 जजों की बेंच का हिस्सा थे जिस बेंच ने कहा था कि निजता का अधिकार यानी Right to privacy नागरिक का एक मौलिक अधिकार है.
इन जजों की लिस्ट में जस्टिस बोबड़े के अगले CJI बनने की तैयारी है. 18 नवम्बर को शपथग्रहण है.
वीडियो: अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस के समय इंटेलिजेंस ब्यूरो क्या कह रहा था?