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एथलीट युवती पर हमला हुआ, मामला इतना बढ़ा कि पूरे समुदाय को घुटनों के बल बैठकर माफी मांगनी पड़ी

Marwari groups के प्रतिनिधियों ने Assam के कैबिनेट मंत्री Ranoj Pegu की मौजूदगी में ये माफ़ी मांगी. इससे पहले, प्रतिबंधित उग्रवादी समूह ULFA(I) द्वारा 'बाहरी लोगों' के ख़िलाफ़ धमकी भी दी थी. आख़िर पूरा मामला है क्या?

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threat against “outsiders” by the proscribed militant group ULFA(I)
मामले में BNS और POCSO एक्ट के प्रावधानों के तहत दो लोगों को गिरफ़्तार किया गया है. (फ़ोटो - इंडिया टुडे ग्रुप)
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हरीश
21 अगस्त 2024 (Updated: 21 अगस्त 2024, 02:28 PM IST) कॉमेंट्स
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असम (Assam) के शिवसागर ज़िले में एक 17 साल की युवती पर कथित हमले के बाद पूरे शहर में माहौल खराब हो गया. स्थानीय लोगों के गुस्से के बीच प्रतिबंधित उग्रवादी समूह ULFA(I) ने गैर-असमिया लोगों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. उन्हें धमकियां दी जाने लगीं. बीते 19 अगस्त को इलाके में विरोध प्रदर्शन भी हुए. इस दौरान उन दुकानों को बंद करा दिया गया जिनके मालिक गैर-असमिया थे. पूरा मामला असमिया बनाम ग़ैर-असमिया (Assamese vs Outsiders Row) हो गया. फिर, स्थिति और ना बिगड़े इसे लेकर प्रशासन हरकत में आया. मामला ठंडा तब हुआ जब मारवाड़ी समूहों के प्रतिनिधियों ने 'माफ़ी' मांगी, वो भी सबके सामने घुटनों के बल बैठकर. इस दौरान राज्य के एक कैबिनेट मंत्री भी उपस्थित थे. पुलिस ने जानकारी दी है कि मामले में BNS और POCSO एक्ट के प्रावधानों के तहत दो लोगों को गिरफ़्तार भी किया गया है.

पूरा मामला क्या है?

युवती पर कथित हमला 13 अगस्त को हुआ था. वो आर्म रेसलर भी है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक़, आरोपियों की पहचान मारवाड़ी समुदाय के स्थानीय व्यापारियों के रूप में हुई. इसके बाद पुलिस ने दो आरोपियों को BNS और POCSO एक्ट के प्रावधानों के तहत गिरफ़्तार किया. जब ये जानकारी फैली, तो इस मुद्दे ने शहर में ग़ैर-असमिया निवासियों और ख़ासकर ग़ैर-असमिया कारोबारियों के ख़िलाफ़ स्थानीय लोगों में ग़ुस्सा भड़क गया.

इसे लेकर 19 अगस्त को 30 असमिया राष्ट्रवादी संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान ऐसे लोगों के दुकानों के शटर गिरा दिए गए, जो ग़ैर असमिया थे. विरोध प्रदर्शनों के बाद 20 अगस्त को एक बैठक आयोजित की गई. इसमें असमिया राष्ट्रवादी समूहों के साथ-साथ मारवाड़ी समूहों के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया. अध्यक्षता की राज्य के कैबिनेट मंत्री रनोज पेगू (शिवसागर जिले के संरक्षक मंत्री भी) ने.

शर्तें मानी गईं

प्रदर्शनकारियों की मांग थी कि उनसे घुटने टेककर माफ़ी मांगी जाए. इस बैठक में हुआ भी यही. मारवाड़ी समूह के प्रतिनिधियों ने मंत्री पेगु के सामने घुटने पर बैठकर सार्वजनिक माफ़ी मांगी और पान-तमुल (सुपारी) भेंट की. बैठक में ज़िला प्रशासन के प्रतिनिधि, प्रदर्शनकारी संगठन और मीडिया, सब मौजूद थे. बताया गया कि असमिया राष्ट्रवादी संगठनों ने तीन और प्रमुख मांगें उठाई थीं. मसलन- ज़िले में ग़ैर-स्थानीय लोगों को ज़मीन की बिक्री पर रोक लगाने के लिए एक कानून लाया जाए, ग़ैर असमिया लोगों के दुकानों के होर्डिंग्स पर उनके प्रतिष्ठानों का नाम 'बड़े अक्षरों' में असमिया लिपि में लिखा जाए और ग़ैर-असमिया दुकान वाले ये सुनिश्चित करें कि उनके दुकानों में काम करने वाले 90% लोग 'स्वदेशी' यानी असम के युवा हों.

इंडियन एक्सप्रेस की अपनी रिपोर्ट में बैठक में मौजूद और 'माफ़ी मांगने' वाले लोगों में से एक विनोद अग्रवाल के हवाले से बताया है कि मारवाड़ी समूह ने सारी शर्तें मान ली हैं. रिपोर्ट में बताया गया है कि ये मुद्दा सुलझ गया है. अब ऐसी कोई घटना नहीं होगी. साथ ही युवती के परिवार को 2 लाख रुपये देने पर सहमति बनने की भी जानकारी मिली है. वहीं, बैठक के बाद मंत्री पेगू ने वहां मौजूद रिपोर्टर्स को बताया,

समूहों ने स्थानीय लोगों के भूमि, रोजगार और भाषा के अधिकारों के बारे में बात की. इस पर सरकार भी मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के नेतृत्व में काम कर रही है. दोनों समूहों के बीच ग़लतफहमी दूर हो गई है.

इससे पहले, क्षेत्रीय पार्टी रायजोर डोल के नेता और शिवसागर के विधायक अखिल गोगोई ने विरोध प्रदर्शन को अपना 'पूर्ण समर्थन' दिया था. उन्होंने कहा कि अगर असम के लोग असम में सुरक्षित नहीं हैं, तो वे कहां सुरक्षित रहेंगे?

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ULFA(I) की धमकी

बीते दिनों इसे लेकर ULFA(I) ने बाहरी लोगों को धमकियां भी दी थीं. विरोध प्रदर्शन का एक चेहरा श्रींखल चालिहा था. ये वीर लचित सेना नाम के एक कट्टरपंथी असमिया राष्ट्रवादी समूह का नेता है. ये समूह राज्य में काम करने वाले गैर-असमिया लोगों के साथ टकराव के लिए चर्चा में रहा है. 19 अगस्त को गुवाहाटी के एक BJP नेता गौरव सोमानी ने दिसपुर पुलिस स्टेशन में चालिहा के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज कराई थी.

उन्होंने आरोप लगाया कि एक बैठक में चलिया के द्वारा दिए गए बयान “असम में रहने वाले मारवाड़ी, भोजपुरी, बंगाली और अन्य समुदायों के ख़िलाफ़ जहर उगलने” के बराबर थे. इसके तुरंत बाद ULFA(I) ने कथित तौर पर जारी एक बयान में मांग की गई कि सोमानी शिकायत वापस लें. इसमें 'बाहरी लोगों' के लिए 'नतीजा देख लेने' की धमकी दी गई. इसके बाद सोमानी ने 20 अगस्त को अपनी शिकायत वापस ले ली थी.

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