'और 20 साल वहीं बैठेंगे', जयशंकर के भाषण के बीच विपक्ष पर क्यों भड़के अमित शाह?
विदेश मंत्री जयशंकर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के उन दावों पर दलील दे रहे थे कि व्यापार का लालच देकर अमेरिका ने भारत-पाकिस्तान के बीच सीज़फायर करवाया. तभी विपक्ष के सांसदों ने हंगामा शुरू कर दिया. तब गृह मंत्री अमित शाह ने मोर्चा संभाला.
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विदेश मंत्री एस जयशंकर 'ऑपरेशन सिंदूर' पर संसद में हो रही चर्चा के दौरान लोकसभा में सरकार का पक्ष रख रहे थे. जयशंकर अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के उन दावों पर दलील दे रहे थे कि ‘व्यापार का लालच’ देकर अमेरिका ने भारत-पाकिस्तान के बीच सीज़फायर करवाया. जयशंकर डीटेल्स बता ही रहे थे कि विपक्ष के सांसदों ने हंगामा शुरू कर दिया. जयशंकर कुछ ठिठके पर उन्होंने भाषण जारी रखा. लेकिन विपक्ष के सांसद संतुष्ट नहीं हुए, उनका हंगामा जारी ही रहा. जब ऐसा लगने लगा कि विपक्ष फिलहाल चुप नहीं होने वाला तो जयशंकर के नज़दीक बैठे गृह मंत्री ने मोर्चा संभाला.
अमित शाह ने विपक्ष से कहा,
मेरी एक बात की आपत्ति है. भारत के विदेश मंत्री यहां स्टेटमेंट दे रहे हैं, उस पर भरोसा नहीं है. उनको किसी और देश पर भरोसा है. मैं समझ सकता हूं, उनकी पार्टी में विदेश का महत्व क्या है. लेकिन इसका मतलब ये तो नहीं है कि पार्टी की सारी चीज़ें, यहां सदन में आकर थोपीं जाएं. भारत के विदेश मंत्री पर भरोसा नहीं करेंगे आप? शपथ लिया हुआ व्यक्ति यहां बोल रहा है. वे जिम्मेदार व्यक्ति हैं. इसीलिए ये वहां (विपक्ष) बैठे हैं और 20 साल तक वहीं बैठने वाले हैं.
शाह के हस्तक्षेप के बाद विपक्ष कुछ देर के लिए एकदम शांत हो गया.
ट्रंप के मध्यस्थता के दावों पर क्या बोले जयशंकर?10 मई को भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम हुआ था. तब से आज तक डॉनल्ड ट्रंप दसियों बार यह कह चुके हैं कि उन्होंने ही भारत-पाकिस्तान के बीच सीज़फायर करवाया. उन्होंने दावा किया कि दोनों देशों को व्यापार का लालच दिया गया, जिसके बाद सीज़फायर पर बात बनी. इस पर जयशंकर ने लोकसभा में जवाब दिया,
10 मई को कई देशों ने हमसे संपर्क किया. कुछ देशों ने कहा कि पाकिस्तान संघर्ष रोकने के लिए तैयार है. इस पर हमने अपना स्टैंड क्लियर किया. हमने साफ किया कि अगर पाकिस्तान सीज़फायर करना चाहता है तो उनकी तरफ से पहल की जाए और पाकिस्तान के DGMO की तरफ से अनुरोध किया जाए.
विदेश मंत्री ने कहा कि दो बातें हैं, जिन्हें साफ करना जरूरी है…
“पहली बात तो ये कि सीज़फायर को लेकर अमेरिका से किसी स्टेज पर किसी भी बातचीत में व्यापार को लेकर कोई बात नहीं हुई. दूसरी बात, 22 अप्रैल से लेकर 17 जून तक प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच कोई बात नहीं हुई.”
विदेश मंत्री का इतना कहना भर था कि विपक्ष के सांसदों ने हंगामा शुरू कर दिया. इसके बाद अमित शाह को खड़े होकर जयशंकर के समर्थन में मोर्चा संभालना पड़ा.
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