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क्या मोहम्मद जुबैर को बिना नोटिस गिरफ्तार किया गया? क्या कहता है पुलिस का रिमांड लेटर?

मोहम्मद जुबैर पर धार्मिक भावनाओं को भड़काने का आरोप है.

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Mohammed Zubair
ऑल्ट न्यूज की को-फाउंडर मोहम्मद जुबैर (फोटो ट्विटर- Mohammed Zubair/Twitter)
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साकेत आनंद
28 जून 2022 (Updated: 29 जून 2022, 02:08 PM IST) कॉमेंट्स
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फैक्ट-चेकर और ऑल्ट न्यूज के को-फाउंडर मोहम्मद जुबैर को गिरफ्तारी के बाद एक दिन की पुलिस रिमांड में भेजा गया है. दिल्ली की एक अदालत ने जुबैर की जमानत याचिका खारिज कर दी. हालांकि कोर्ट ने जुबैर की कानूनी सहायता के लिए उनके वकील को दिन में एक बार 30 मिनट के लिए मिलने की इजाजत दी है. दिल्ली पुलिस ने सोमवार 27 जून की रात जुबैर को उनके एक पुराने ट्वीट के लिए गिरफ्तार किया था. उन पर धार्मिक भावनाओं को भड़काने का आरोप है.

इंडिया टुडे से जुड़े अरविंद ओझा के मुताबिक, रिमांड कॉपी में कहा गया है कि जुबैर के वकील को उनकी गिरफ्तारी के बारे में जानकारी दी गई थी. वहीं जुबैर की ओर से उनके वकील ने कोर्ट में बताया कि उन्हें नोटिस नहीं दिया गया था. आरोपी की तरफ से ये भी बताया गया कि ट्वीट चार साल पुराना है और गिरफ्तारी उन्हें परेशान करने के लिए की गई है.

जुबैर को नोटिस दिया गया- पुलिस

इसके जवाब में जांच अधिकारी ने कोर्ट में बताया कि CrPC की धारा-41(A) के तहत जुबैर को नोटिस भेजा गया था और जांच में शामिल होने का कहा गया था. अधिकारी ने कहा कि आरोपी ने पूछताछ के दौरान अधिकतर सवालों के जवाब देने से इनकार कर दिया. यहां तक कि उन्होंने पेपर पर साइन करने से भी इनकार किया. उन्होंने कोर्ट को बताया कि जुबैर जांच में सहयोग नहीं कर रहे थे.

रिमांड कॉपी के मुताबिक मेडिकल रिपोर्ट में पुष्टि हुई कि जुबैर के शरीर पर कोई चोट के निशान नहीं हैं और उन्होंने हिरासत में किसी तरह की हिंसा की शिकायत नहीं की है. इससे पहले 27 जून को ऑल्ट न्यूज के को-फाउंडर प्रतीक सिन्हा ने भी आरोप लगाया था कि गिरफ्तारी से पहले नोटिस नहीं दिया गया था. उन्होंने कहा था कि बार-बार अनुरोध करने पर भी एफआईआर की कॉपी नहीं दी जा रही है.

क्यों हुई जुबैर की गिरफ्तारी?

पुलिस के मुताबिक, जुबैर के खिलाफ आईपीसी की धारा-153 (दंगा करने के इरादे से किसी को उकसाना) और 295 (ए) (किसी समुदाय की धार्मिक भावनाओं का अपमान करना) के तहत केस दर्ज किया गया है. जिस ट्वीट के लिए उन्हें गिरफ्तार किया गया, उसे जुबैर ने मार्च 2018 में पोस्ट किया था. उन्होंने ट्विटर पर एक तस्वीर शेयर की जो 1983 में आई ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म 'किसी से ना कहना' का स्क्रीन शॉट था. तस्वीर में हनुमान होटल लिखा दिख रहा है. इसी को शेयर करते हुए अपने ट्वीट में जुबैर ने लिखा था, 

"2014 से पहले: हनीमून होटल. 2014 के बाद: हनुमान होटल".

इसी महीने एक ट्विटर यूजर ने दिल्ली पुलिस को टैग कर इस ट्वीट के खिलाफ कार्रवाई करने की अपील की थी. इसी पर कार्रवाई करते हुए दिल्ली पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया है. FIR में लिखा है कि जुबैर ने एक विशेष समुदाय की धार्मिक भावनाओं का अपमान करने के इरादे से ये पोस्ट किया था.

इस बीच एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने जुबैर की गिरफ्तारी की निंदा की है. उसने दिल्ली पुलिस से जुबैर को तुरंत रिहा करने की मांग की है. गिल्ड ने ये भी कहा है कि जुबैर और उनकी वेबसाइट ऑल्ट न्यूज ने पिछले कुछ सालों में फेक न्यूज के खिलाफ तथ्यात्मक रूप से शानदार काम किया है.

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