अक्षय कुमार ने ये पढ़ा होता तो इतिहास की किताबों पर सवाल नहीं उठाते
अक्षय कुमार ने भारतीय राजाओं की कहानी को स्कूल में न पढ़ाए जाने का मुद्दा उठाया है. तथ्य क्या हैं, जान लीजिए.

‘भारत की स्कूली किताबों में सिर्फ मुगलों का महिमा मंडन किया गया है.’ ये जुमला व्हाट्सऐप से निकलकर अब और भी जगहों पर आपको सुनने को मिलने लगा है. इसी कड़ी में एक्टर अक्षय कुमार ने भी ऐसी ही मिलती जुलती बात कह डाली, अब इससे बवाल मचा हुआ है. क्या कहा अक्षय कुमार ने? और उसके पीछे की सच्चाई कितनी है? आइए सब विस्तार से जानते हैं.
दरअसल अक्षय कुमार अपनी आने वाली फिल्म ‘सम्राट पृथ्वीराज’ के प्रमोशन में लगे हुए हैं. इसी कड़ी में वो समाचार एजेंसी ANI को इंटरव्यू दे रहे थे. इसी दौरान उन्होंने अपने राजाओं की कहानी को स्कूल में न पढ़ाए जाने का मुद्दा उठाया. उन्होंने इंटरव्यू में कहा
‘हमारे राजाओं के बारे में हमारी इतिहास की किताबों में लिखने वाला कोई नहीं है. मैं शिक्षा मंत्री से इस बात की अपील करता हूं कि इस विषय पर संज्ञान लें, और देखें कि क्या इसे बदला जा सकता है. मैं ऐसा नहीं कह रहा कि हमें मुगलों के बारे में पता नहीं होना चाहिए. लेकिन हमारे राजाओं के बारे में भी बराबरी से पता होना चाहिए.’
अब जैसे ही यह क्लिप सोशल मीडिया में वायरल हुई, इसपर बखेड़ा खड़ा हो गया, लोग अक्षय कुमार को स्कूल जाने की सलाह देने लगे.
कांग्रेस की डॉक्टर शमा ने ट्वीट किया
मुझे लगता है कि अक्षय ने कनाडा में अपना स्कूल पूरा किया था. भारत के स्कूल में एनसीईआरटी की इतिहास की किताबों में भारतीय राजाओं पर पर्याप्त बातें थीं.
पत्रकार साहिल जोशी ने लिखा
मुझे यकीन है कि अक्षय ने अपने स्कूल के दिनों में कुछ भी नहीं पढ़ा है. विशेष रूप से इतिहास.
ये तो था पूरा मामला. कि अक्षय ने क्या कहा, कब कहा. उसपर लोगों का क्या रिएक्शन आया. लेकिन अब बात तथ्य की करते हैं. अब हम ये जानने कि कोशिश करेंगे कि क्या वाक़ई अक्षय कुमार जो बात क्लेम कर रह हैं वो सही है?
इसके लिए हमने सोचा कि इस दावे पड़ताल की जाए. तो नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग माने NCERT की इतिहास की किताबें खंगाल डालीं.
हमने क्लास 6 की किताब खोली. किताब की शुरुआत एक सवाल के साथ होती है. ये सवाल है कि "हम क्यों पढ़ें इतिहास?" इसके जवाब कुछ ऐसे दिया गया है,
"इतिहास का अध्ययन हम सिर्फ अतीत को समझने के लिए नहीं करते. इतिहास हमें कुछ योग्यताएं और कौशल विकसित करने में भी मदद करता है. अतीत की दुनिया में समाने के लिए, एक ऐसी दुनिया के लोगों को समझने के लिए, जिनका जीवन हमसे भिन्न था, नए तरीके सीखने पड़ते हैं. जब हम ये करते हैं तो हमें अपना दिमाग खोलना पड़ता है और वर्तमान की छोटी-सी दुनिया से बाहर निकलना पड़ता है. ये एक शुरुआत होती है दूसरे लोगों के क्रियाकलाप और सोचने के तरीकों को समझने के लिए. इसलिए, अपने कंधे झटकने के पहले तुम स्वयं से एक सवाल पूछोः क्या मैं ये जानना चाहता हूं कि मैं कौन हूं? क्या मैं ये समझना चाहता हूं कि समाज कैसे चलता है? मैं जिस दुनिया में हूं क्या उसे मैं जानना चाहता हूं? अगर तुम चाहते हो तो तुम्हें जरूरत होगी ये जानने की कि हमारा समाज कैसे विकसित हुआ और कैसे हमारे अतीतों ने हमारे वर्तमान को रूप प्रदान किया."
संदेश से ये समझ आता है कि हमें इतिहास में बिना लाग-लपेट झांक कर देखना होगा कि तब क्या हुआ जिससे हमारा आज बना.
अब आते हैं अक्षय कुमार की कही बात पर. तो हमने NCERT की इतिहास की किताबें खंगाली, क्लास 7 की इतिहास की किताब में हमें ‘दिल्ली के शासक’ चेप्टर मिला. जिसकी तालिका में अलग से राजपूत वंश का पाठ दिया हुआ है. जिसमें नीचे तोमर वंश और चौहान वंश का भी ज़िक्र मिलता है.
क्लास 7 की इतिहास की किताब आगे पढने पर हमें ‘राजपूत और शूरवीरता की परम्पराएं’ वाली हेडिंग का एक पाठ भी मिलता है. इसके साथ ही हमें चोल वंश के बारे में भी विस्तार से एक अध्याय मिला.
किताब को और बारीकी से पढ़ने पर मराठा, चौहान, जाट, राजाओं और उनके वंश के बारे में भी कई रिफ्रेंस मिलते हैं. जिसनें शिवाजी, पृथ्वीराज चौहान और जयपुर के राजा जयसिंह जैसे राजाओं का भी ज़िक्र है.

साफ है कि स्कूलों की इतिहास की किताबों में सिर्फ मुगल नहीं, बल्कि मराठा, अशोक, राजपूत और अन्य राजाओं और राजवंशों को विस्तार से कवर किया गया है. तो कुल जमा बात ये समझ आती है कि अक्षय कुमार की बात एकदम तथ्य से हटकर है. जहां हमारी किताबों में मुगलों का ज़िक्र मिलता है वहीं ‘हमारे राजाओं’ का भी ज़िक्र किया गया है. लेकिन अक्षय कुमार का ‘हमारे राजाओं’ कहने से क्या मुराद है. ये एक अलग शैक्षणिक बहस को जन्म दे सकता है.
दी सिनेमा शो: सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड के बाद मुंबई पुलिस ने सलमान खान की सिक्योरिटी क्यों बढ़ा दी