अग्निपथ प्रदर्शन: PM मोदी के संसदीय क्षेत्र में बसों पर पत्थरबाजी, रेलवे ट्रैक पर लगाई आग
वाराणसी के पुलिस कमिश्नर ने उपद्रवियों से सख्ती से निपटने की बात कही है.

सेना में भर्ती की नई 'अग्निपथ योजना' के खिलाफ विरोध बढ़ता जा रहा है. शुक्रवार 17 जून की सुबह से ही यूपी में कई जगहों पर प्रदर्शन शुरू हो गए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी युवाओं की भीड़ सड़क पर उतर गई. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, वाराणसी कैंट क्षेत्र के पास स्टैंड में खड़ी बसों में जमकर तोड़फोड़ की गई. प्रदर्शनकारियों ने आती-जाती गाड़ियों और दुकानों को भी क्षतिग्रस्त कर दिया.
कैंट स्टेशन की पटरी पर लगाई आगरिपोर्ट के मुताबिक, वाराणसी के विद्यापीठ विश्वविद्यालय से लेकर कैंट रोडवेज बस स्टैंड तक युवाओं ने विरोध जताया. वाराणसी कैंट स्टेशन की पटरी पर जाकर आग लगाई गई. कई रोडवेज बसों के शीशे टूटे हुए दिखे. प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के लिए पूरे शहर में भारी पुलिस फोर्स भी जुटी हुई है. पुलिस ने कैंट स्टेशन को घेर लिया है. पुलिस छात्रों से बातचीत कर उन्हें वापस भेजने की कोशिश में जुटी है.
वाराणसी के पुलिस कमिश्नर ए सतीश गणेश ने मीडिया को बताया,
"कुछ प्रदर्शनकारियों ने उपद्रव करने का प्रयास किया है, जिन्हें हमारे अधिकारियों ने नियंत्रित कर दिया. कुछ लोगों को चिह्नित भी किया गया है. जो भी बवाल करने वाले लोग हैं, उनके खिलाफ सख्ती से निपटेंगे."
इससे पहले बलिया और फिरोजाबाद में भी 17 जून की सुबह हिंसक प्रदर्शन हुए. छात्रों ने बलिया स्टेशन पर एक खाली पड़ी ट्रेन की बोगियों में आग लगा दी. पुलिस ने बाद में कहा गया है कि छात्रों को वहां से हटाया गया है और आग बुझा दी गई है. फिरोजाबाद में भी प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने बसों में तोड़फोड़ की. सुबह करीब 5 बजे ही प्रदर्शनकारी आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर पहुंचकर प्रदर्शन करने लगे.
प्रदर्शनकारी छात्रों की चिंता क्या है?केंद्र सरकार ने अग्निपथ योजना की घोषणा 14 जून को की थी. इसके तहत सेना में 4 साल के लिए भर्ती की जाएगी. चार साल के बाद सिर्फ 25 फीसदी अग्निवीरों को स्थाई नियुक्ति मिलेगी. योजना के तहत 17.5 साल से 21 साल की उम्र वाले युवा अप्लाई कर सकते हैं. दो दिन से जारी प्रदर्शन के बाद सरकार ने गुरुवार 16 जून को भर्ती होने की अधिकतम उम्र दो साल बढ़ा दी थी. हालांकि, यह सीमा सिर्फ एक बार के लिए यानी 2022 की भर्ती के लिए बढ़ाई गई है.
प्रदर्शनकारी युवाओं का कहना है कि इस योजना में स्थाई नौकरी नहीं है. चार साल बाद 75 फीसदी लोगों की सर्विस खत्म हो जाएगी. दूसरा ये है कि पुरानी भर्ती योजना के तहत सैनिकों को जो पेंशन और स्वास्थ्य बीमा की सुविधा मिलती थी, वो अब इन 75 फीसदी लोगों पर लागू नहीं होगी. इधर सरकार ने एक फैक्ट शीट जारी कर इन सवालों का जवाब देने की कोशिश की है.