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इन ऊंटों के मरने से किसी को फर्क नहीं पड़ता क्योंकि ऊंट गाय नहीं हैं

2014 में राजस्थान सरकार ने ऊंट को राज्य पशु बनाया था.

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सुमेर रेतीला
2 अगस्त 2016 (Updated: 2 अगस्त 2016, 02:42 AM IST) कॉमेंट्स
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आपने डूबते सूरज के साथ धोरों पर चलते रंग-बिरंगे कपड़ों से सजे ऊंट देखे हैं. राजपथ पर रिपब्लिक डे पर निकलती ऊंटों वाली झांकी देखी है. जिसका गूगल ने भी डूडल बनाया था. लेकिन एक और तस्वीर है. अमानवीयता की. ऊंटों की तस्करी की.
(Photo: Google)
(Photo: Google)

मांस के लिए राजस्थान से तस्करी करके हैदराबाद ले जाए गए 85 ऊंटों को पिछले दिनों एक एनजीओ की हेल्प से बचाया गया था. उन ऊंटों को वापिस राजस्थान लाया गया है. वापिस लाए गए ऊंटों में से एक ऊंट की मौत हो गई है. बाकि ऊंट भी बहुत ही थके हुए, घायल और बीमार हैं. उनकी हालत बहुत खराब है.
(Photo: People For Animals Hyderabad)
(Photo: People For Animals Hyderabad)

ऊंट राजस्थान का राज्य पशु है. लेकिन राजस्थान की बीजेपी सरकार से जब एनजीओ द्वारा बचाए गए इन ऊंटों को वापस लाने के लिए बोला गया तो सरकार ने कहा कि हम यह नहीं कर पाएंगे. राज्य के पशुपालन मंत्री प्रभुलाल सैनी ने कहा था कि उन्हें वापस ले आना, उनके लिए स्पेस उपलब्ध करवाना, और तस्करों के खिलाफ कार्रवाई करना बहुत ही मुश्किल है.
(Photo: People For Animals Hyderabad)
(photo: People For Animals Hyderabad)

एनजीओ के सूत्रों ने टेलीग्राफ इंडिया को बताया कि ये ऊंट मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के निर्वाचन इलाके झालावाड़ से ले जाए गए थे. इस शनिवार को ऊंट तेलंगाना के रंगारेड्डी इलाके से वापस राजस्थान के सिरोही लाए गए हैं. इन ऊंटों को तस्करों से एनजीओ पीपुल फॉर एनिमल्स ने बचाया था.
ये ऊंट वापस 21 ट्रकों में भरकर लाए गए. जिनका 14 लाख रुपए खर्चा आया. ये सारा पैसा डोनेशन से इकट्ठा किया गया था. एनजीओ के लोगों ने बताया कि सरकार ने कुछ भी हेल्प नहीं की. ज्यादातर पैसा हैदराबाद में रहने वाले राजस्थान के जैन लोगों से मिला. अभी इन ऊंटों की देखभाल और उपचार के लिए एनजीओ ने सिरोही में एक ट्रीटमेंट कैंप लगाया है.

2014 में राजस्थान सरकार ने ऊंट को राज्य पशु बनाया था. राजस्थान में ऊंट काटने, उनको खरीदने-बेचने और अवैध ट्रांसपोर्टेशन पर रोक लगी हुई है. ऊंट मारने पर पांच साल के लिए जेल भेजा जा सकता है. राजस्थान में ऊंटपालन के लिए एक कम्यूनिटी भी है राईका नाम की. उरमूल नाम की एक संस्था भी है. जिसने ऊंट पालन को बढ़ावा देने व ऊंट से रिलेटेड उत्पादों को लोगों तक पहुंचाने के लिए राजस्थान में काम किया है. उनकी बनाई ऊंटनी के दूध की आइसक्रीम खूब फेमस हुई.
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यह तस्करी की कोई पहली घटना नहीं है. इससे पहले भी कई बार तस्करी के लिए ले जाए जा रहे ऊंट छुड़ाए गए है. राज्य के बाहर ऊंट का मीट 280 रुपए किलो के आस-पास बिकता है. अभी जो ऊंट छुड़ाए गए हैं उन्हें 1300 से ज्यादा किलोमीटर तक पैदल चलाकर ले जाया गया था.
अमानवीयता की हद होती है. हर पशु तो पशु होता है ना. चाहे वो गाय हो, कुत्ता हो या ऊंट. एक मरी हुई गाय की खाल उतारने पर लोग जान लेने पर उतारू हो जाते हैं, लेकिन यहां 85 ऊंटों को बहुत ही बुरे तरीके से तस्करी करके काटने के लिए ले जाया जा रहा था. इस पर न तो लोगों की भावनाएं आहत हुईं और न ही सरकार को फर्क पड़ा.

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