1968 में गिरा था सेना का विमान, 56 साल बाद मिले 4 शव, नाम भी पता चले
साल 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग के पर्वतारोहियों ने सबसे पहले इस विमान के मलबे की खोज की थी.
1968 में हिमाचल प्रदेश स्थित ‘रोहतांग पास’ के करीब एक विमान हादसा हुआ था. 56 साल बाद हादसे के शिकार हुए भारतीय सेना के चार और जवानों के शव बरामद हुए हैं (Air Force plane crash Himachal Pradesh). सेना के एक दल ने अभियान के तहत हादसे की साइट के आसपास बर्फ से ढके पहाड़ों पर ये शव बरामद किए हैं. सेना ने ‘चंद्रभागा’ नाम से एक बड़ा ऑपरेशन चलाया था, जिसके तहत ये शव मिले हैं.
इंडिया टुडे से जुड़ी शिवानी शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक बरामद हुए चारों शवों की पहचान कर ली गई है. मलखान सिंह (पायनियर) की पहचान उनकी जेब से मिले वाउचर से हुई. जबकि आर्मी मेडिकल कोर के सिपाही नारायण सिंह की पहचान उनके पास से मिली सैलरी बुक से हुई. इलेक्ट्रॉनिक्स एवं मैकेनिकल इंजीनियर्स (EME) कोर के क्राफ्ट्समैन थॉमस चरण की भी पहचान हो गई है. थॉमस को भी उनकी सैलरी बुक से पहचाना गया. चौथे पीड़ित की पहचान सिपाही मुंशी राम के रूप में हुई है.
जानकारी के मुताबिक सेना ने कहा है कि तलाशी अभियान 10 अक्टूबर तक जारी रहेगा.
कई बार सर्च अभियान चलाए गए7 फरवरी, 1968 को चंडीगढ़ से 102 यात्रियों को लेकर उड़ा भारतीय वायु सेना का AN-12 विमान खराब मौसम के कारण दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. दशकों तक विमान का मलबा और पीड़ितों के अवशेष बर्फीले इलाके में दबे रहे. लेकिन सेना का अभियान जारी रहा. तिरंगा माउंटेन रेस्क्यू के प्रतिनिधियों के सहयोग से डोगरा स्काउट्स के नेतृत्व में भारतीय सेना का खोज और बचाव मिशन चलता रहा. ये मिशन 'चंद्रभागा माउंटेन मिशन' का हिस्सा है.
साल 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग के पर्वतारोहियों ने सबसे पहले इस विमान के मलबे की खोज की थी. जिसके बाद भारतीय सेना, विशेष रूप से डोगरा स्काउट्स ने कई अभियान चलाए. साल 2005, 2006, 2013 और 2019 में भी खोज अभियान चलाए गए.
इलाके की खतरनाक परिस्थितियों और खराब टेरेन की वजह से 2019 तक घटनास्थल से केवल पांच शव बरामद किए गए थे. चंद्रभागा मिशन में चार अतिरिक्त शव मिलने के बाद ये संख्या अब नौ हो गई है.
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