बहादुर बच्चे: कोई गुलदार से भिड़ गया तो किसी ने काबू में कर लिया चोर
गणतंत्र दिवस की परेड में ब्रेवरी अवॉर्ड दिए जाते हैं, इस बार 25 बच्चों को चुना गया है.
Advertisement

फोटो - thelallantop
बचपन से 26 जनवरी को टीवी में परेड देखा करता था. कुछ बच्चे होते हैं, जिनको हाथी पर बैठाकर परेड में घुमाया जाता था. बड़ा अच्छा लगता वो हौले-हौले चलते हाथी की पीठ पर बैठकर हाथ हिलाते. बाद में पता लगा उनके वहां तक पहुंचने के पहले भी एक किस्सा होता है. कोई बड़ी बहादुरी का काम करे तब वहां तक पहुंचता है. किसी ने अपनी जान की परवाह न की, किसी की जान बचाई हो.इस साल भी ऐसा होगा. 25 बच्चों को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार मिलेगा. इसमें से 13 लड़के और 12 लड़कियां हैं. 4 बच्चे ऐसे भी हैं, जिन्हें मरणोपरांत पुरस्कार दिया जाएगा. 23 जनवरी को पीएम मोदी इनको सम्मानित करेंगे और फिर गणतंत्र दिवस की परेड में उनको जीप पर बिठाकर घुमाया जाएगा. हाथी की जगह अब जीप ने ले ली है.

तार पीजू की तस्वीर
अरुणाचल प्रदेश की तार पीजू को ये सम्मान मरणोपरांत मिलेगा. आठ साल एक महीने की बच्ची थी, बड़ी होकर आईएएस अफसर बनना चाहती थी. लेकिन एक दिन उसकी दो सहेलियां पानी में डूब रहीं थीं, उन्हें बचाने में देर नहीं की. इस सब में उसकी जान चली गई. हुआ ये था कि 6 मई 2016 को तार पीजू अपनी दो सहेलियों के साथ नदी पार करके फार्म हाउस जा रही थी. सहेलियां अचानक नदी के तेज पानी के बहाव में फंस गईं. नदी में पांच फुट से ज्यादा पानी था, लेकिन तार पीजू अपनी सहेलियों को बचाने पानी में कूद गई. अपनी दोनों सहेलियों को उसने बचा लिया और किनारे पर ले गई. लेकिन खुद नदी के पाने में डूब गई. अस्पताल पहुंचाया गया लेकिन डॉक्टर्स ने उसे मृत घोषित कर दिया.

रोलआपुई की तस्वीर
ऐसे ही मिजोरम की कुमारी रोलआपुई को मरणोपरांत बापू गैधानी अवॉर्ड मिलेगा. वो पिछले साल अपनी सहेलियों के साथ स्कूल की पिकनिक पर गईं थीं. उम्र बस 13 साल की थी, उनकी सहेलियां नदी के पानी में भंवर में फंस गईं. उनको बचाते-बचाते रोलआपुई की जान चली गई. दो घंटे के बाद उनका शव पानी से बाहर निकाला जा सका था.
मिजोरम की ही एच लालरियातपुई भी थीं. 13 बरस की उम्र थी. अपने चचेरे भाई को ढलान से लुढ़कती कार से बचाने की कोशिश करते हुए वो कार के नीचे आ गईं थीं. अब की बार गीता चोपड़ा अवॉर्ड पश्चिम बंगाल की तेजस्विता प्रधान और शिवानी गोड को संयुक्त रुप से दिया जा रहा है. दोनों ने बिना डरे पुलिस और एनजीओ की मदद की थी, और एक इंटरनेशनल सेक्स रैकट का भांडाफोड़ किया था.

अक्षिता और अक्षित
दिल्ली के भी कुछ बच्चे हैं. इनमें मालवीय नगर में दो बहन-भाई रहते थे. बड़ी बहन अक्षिता शर्मा 16 साल की थी तो भाई अक्षित शर्मा 13 साल का. 8 दिसंबर 2015 को स्कूल से घर पहुंचे तो देखा, शक हुआ घर में चोर है. दरअसल उनके घर चोरी करने के लिए दो चोर घुसे थे. रोशनदान से देखने पर दिख भी गए. वो दोनों लड़ गए. और एक चोर को पकड़ भी लिया.

ऐसे ही पीतमपुरा गांव में 16 साल का नमन रहता था, उसके पापा सुल्तान मूवी में भी दिखे थे. एक दिन नहर में एक बच्चे को डूबता देख उसने बारह फुट गहरी नहर में छलांग लगा दी. और उसे बचा लाया.
ऐसे ही किसी बच्चे ने अपने दोस्त को गुलदार से बचाया तो किसी ने खुद को किडनैपिंग से बचाया और एसिड अटैक की कोशिश नाकाम कर दी. किसी ने गौशाला में लगी आग से जानवरों को बचाया, किसी ने पहाड़ी से लुढ़कती बस में ब्रेक लगा कई जानें बचाई, किसी ने अपनी मां को करेंट से. इन बच्चों को एक कमेटी ने चुना है. जिसमें कई मंत्रालयों वाले, एनजीओ और ईसीसीडब्ल्यू के अधिकारी भी थे. इन सभी बहादुर बच्चों को 50 हजार रुपये, प्रशस्ति पत्र और मेडल भी दिया जाएगा. सब की एजुकेशन का खर्च भी कमेटी उठाएगी.
पर अगर आपका भी ये सवाल रहता है कि गीता और संजय चोपड़ा कौन थे, उनके नाम पर ब्रेवरी अवॉर्ड क्यों दिए जाते हैं. तो आपको ये पढ़ना चाहिए. गीता और संजय चोपड़ा : जिनके नाम पर बहादुरी का सबसे बड़ा अवॉर्ड दिया जाता है.
