The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • News
  • 18 lakh enterprises closed in ...

7 साल में बंद हुईं 18 लाख फैक्ट्रियां, गईं 54 लाख नौकरियां... ये सरकारी रिपोर्ट पढ़ी क्या?

जुलाई, 2015 से जून, 2016 के बीच विनिर्माण क्षेत्र (Manufacturing Sector) में क़रीब 197 लाख असंगठित फ़ैक्ट्रियां चल रही थीं. अब अक्टूबर, 2022 से सितंबर 2023 के बीच यही संख्या घटकर 178.2 लाख हो गई. माने 18,80,000 फ़ैक्ट्रियां.

Advertisement
18 lakh enterprises closed in 7 years more than 54 lakh people lost their jobs nso survey
सात सालों में 18 लाख फ़ैक्ट्रियां बंद. (फ़ोटो - एजेंसी)
pic
सोम शेखर
25 जून 2024 (Published: 02:31 PM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

राष्ट्रीय सांख्यिकी मंत्रालय (NSO) ने हाल ही में 'असंगठित क्षेत्र के उद्यमों का सालाना सर्वे' जारी किया. इसमें पता चला है कि जुलाई, 2015 से जून, 2016 और अक्टूबर, 2022 से सितंबर, 2023 के बीच भारत में 18 लाख फ़ैक्ट्रियां बंद हुई हैं. इन फ़ैक्ट्रीज़ में काम करने वाले 54 लाख लोगों की नौकरी चली गई.

बिज़नेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट में इस सर्वे की समीक्षा की गई है. इसके मुताबिक़, जुलाई 2015 से जून 2016 के बीच विनिर्माण क्षेत्र (Manufacturing Sector) में क़रीब 197 लाख असंगठित फ़ैक्ट्रियां चल रही थीं. अब अक्टूबर, 2022 से सितंबर 2023 के बीच यही संख्या घटकर 178.2 लाख हो गई. माने 18,80,000 फ़ैक्ट्रियां. 9.3 फ़ीसदी की गिरावट.

जब फ़ैक्ट्रियां बंद होंगी, तो ज़ाहिर है नौकरियां जाएंगी. फ़ैक्ट्रियां बंद होने के साथ 2015-16 में जो वर्क-फ़ोर्स 3.604 करोड़ का था, वो 2022-23 में घटकर 3.06 करोड़ तक आ गया. कुल 54 लाख से ज़्यादा का फ़र्क़.

अब ये कैसी फ़ैक्ट्रियां थीं? छोटे अनिगमित उद्यम (Unincorporated enterprises). ऐसे व्यवसाय, जिनमें मालिक/मालिकों और कारोबार में कोई औपचारिक क़ानूनी फ़र्क़ नहीं है. आम तौर पर छोटे व्यवसाय, अकेले आदमी की कंपनी, पार्टनरशिप और अनौपचारिक क्षेत्र के व्यवसाय शामिल होते हैं.

समझने के लिए शिकंजी की दुकान ले लीजिए. एक आदमी चलाता है, बढ़िया अलग-अलग तरह की सोडा शिकंजी पिलाता है. क़ानूनी नज़रिए ये यहां मालिक और दुकान के बीच कोई अंतर नहीं है. मुनाफ़ा सीधे मालिक की जेब में जाता है. लेकिन अगर क़र्ज़ा चढ़ता है, तो वो भी सीधे मालिक के मत्थे ही आता है. अब ऐसा कारोबार शुरू करना तो आसान होता है, मगर एक बड़ी निगमित कंपनी की तुलना में सुरक्षा कम होती है.

ये भी पढ़ें - Quant Mutual Fund पर 'घपले' के आरोप, SEBI ने की जांच शुरू... 79 लाख निवेशकों का क्या होगा?

भारत के असंगठित क्षेत्र में कुल 10.96 करोड़ लोग काम कर रहे हैं. लेकिन ये तादाद अभी भी महामारी के पहले की तुलना में कम है. जबकि कुछ बिज़नेस रिपोर्टिंग वेबसाइट्स ने जून के दूसरे हफ़्ते में ख़बर दी थी कि अक्टूबर, 2022 से सितंबर, 2023 के बीच 1.17 करोड़ कामगार शामिल हुए हैं. तब भी ये हाल हैं. 

सांख्यिकी पर बनी स्थायी समिति के चेयरपर्सन प्रणव सेन का कहना है कि अनिगमित क्षेत्र आर्थिक झटकों से गंभीर रूप से प्रभावित हुआ है. कहा है,

इसमें कोई संदेह नहीं है कि हाल में लिए गए कुछ नीतिगत फ़ैसलों और लॉकडाउन की वजह से असंगठित क्षेत्र को बुरे झटके लगे हैं. इस क्षेत्र में फ़ैक्रियां बहुत रोज़गार नहीं देती हैं. ज़्यादातर लोगों के पास अपने कारोबार हैं. इसलिए विनिर्माण क्षेत्र में करीब 54 लाख नौकरियां ख़त्म हुई हैं.

श्रमिक अर्थशास्त्रियों का ये भी कहना है कि छोटी और मझली फ़ैक्ट्रीज़ रोज़गार का सबसे बड़ा सोर्स हैं. अगर ये बंद होती रहेंगी, तो पूरी इकोनॉमी संकट में आ सकती है.

वीडियो: भारत के हेल्थकेयर सिस्टम का ऑपरेशन, क्या है सच्चाई?

Subscribe

to our Newsletter

NOTE: By entering your email ID, you authorise thelallantop.com to send newsletters to your email.

Advertisement