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भारत-पाक एकसाथ आज़ाद हुए, फिर पाकिस्तान एक दिन पहले आज़ादी का जश्न क्यों मनाता है?

14 अगस्त पाकिस्तान के लिए इतना खास कैसे हो गया.

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बाईं तरफ़ भारत का झंडा, दाहिनी तरफ़ पाकिस्तान का झंडा. नीचे बस एक जानकारी.
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सिद्धांत मोहन
14 अगस्त 2020 (Updated: 14 अगस्त 2020, 02:34 PM IST) कॉमेंट्स
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15 अगस्त- भारत का स्वतंत्रता दिवस. और 14 अगस्त- पाकिस्तान का स्वतंत्रता दिवस. लेकिन आपका वो कनफ़्यूजन जो है कि दोनों देश एक्के दिन आज़ाद हुए थे, फिर दो अलग-अलग दिन छुट्टी क्यों मनाई जाती है. हम उसका जवाब देने आए हैं. तो कारण ये है कि भारत से अलग एक राष्ट्र बनाने की जो मंज़ूरी पाकिस्तान को दी गयी थी, वो दी गयी थी 14 अगस्त को. अब सुनिए कथा. भारत के धार्मिक आधार पर विभाजन की बात बहुत दिनों से चल रही थी. मुस्लिम लीग के नेता मुहम्मद अली जिन्ना ने मांग रखी कि भारत से अलग एक इस्लामिक राष्ट्र की नींव रखी जाए. इसको लेकर जिन्ना और इंडियन नेशनल कांग्रेस के बीच लम्बा गतिरोध चलता रहा था. ब्रिटिश राज चालू था. 3 जून, 1947. ब्रिटिश राज ने ऐलान कर दिया कि उन्होंने ब्रिटिश इंडिया का दो राष्ट्रों में बंटवारा स्वीकार कर लिया है. ठीक है भइया. बात आगे बढ़ी. ब्रिटिश वायसरॉय माउंटबेटन ने कहा कि जिस दिन दूसरे विश्वयुद्ध में जापान ने सरेंडर का ऐलान किया था, यानी 15 अगस्त को, उसी दिन शक्ति का हस्तांतरण होगा. लेकिन एक दिन पहले यानी 14 अगस्त को पाकिस्तान को शक्ति का हस्तांतरण करने का फ़ैसला लिया. मतलब सब पावर अब आपके हाथ. दो अलग-अलग दिन चुनने का मतलब था कि माउंटबेटन दोनों जगहों पर समारोह में हिस्सा ले सकें.  हुआ भी यही. 14 अगस्त को आज़ाद पाकिस्तान का जन्म हो गया. कराची में मुहम्मद अली जिन्ना ने पहले गवर्नर जनरल पद की शपथ ली.  लेकिन डेट में झोल बहुत दिनों तक चला. जिस क़ानून यानी इंडिया इंडिपेंडेन्स ऐक्ट, 1947 के तहत दोनों देश आज़ाद हुए थे, उसमें दोनों की आज़ादी और दोनों देशों के जन्म वाला दिन 15 अगस्त लिखा था. और आज तक वही लिखा है. लेकिन राष्ट्र के नाम पहले संदेश में जिन्ना ने 14 अगस्त नाम लिया. और तो और, पाकिस्तान में यादगार के तौर पर जब पहली बार जुलाई, 1948 में डाक टिकट जारी किए गए, आज़ादी की तारीख़ 15 अगस्त ही लिखी थी. लेकिन बाद के बरसों में 14 अगस्त प्रचलन में आ गया. और एक और कारण. 14 अगस्त, 1947 को रमज़ान का 27वां रोज़ा था, इसलिए ज़्यादा पाक मौक़ा भी था. तो 14 अगस्त को चिह्नित करने की एक और वजह है.  बाक़ी और क्या - मेरा भी वतन, तेरा भी वतन.
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