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क्या है पुरी हेरिटेज कॉरिडोर प्रोजेक्ट, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से इनकार कर दिया?

इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य है पुरी का एक हेरिटेज साइट के रूप में पुनर्विकास करना. इसकी कुल अनुमानित लागत 3200 करोड़ रुपये है.

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Jagannath temple Puri
जगन्नाथ मंदिर, पुरी (फोटो- पीटीआई)
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साकेत आनंद
3 जून 2022 (Updated: 3 जून 2022, 10:40 PM IST) कॉमेंट्स
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सुप्रीम कोर्ट ने ओडिशा के जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Temple) के आसपास निर्माण कार्यों पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. ये निर्माण कार्य पुरी हेरिटेज कॉरिडोर योजना (Puri heritage corridor project) के तहत किए जा रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने निर्माण कार्यों के खिलाफ दायर जनहित याचिका (PIL) को 'पब्लिसिटी इंटरेस्ट लिटिगेशन' बता दिया. साथ ही याचिकाकर्ताओं पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी ठोका. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने कहा कि ऐसी याचिकाओं पर तुरंत रोक लगाने की जरूरत है क्योंकि इनसे अदालत का समय बर्बाद होता है. कोर्ट ने मामले में गुरुवार, 2 जून को ही फैसला सुरक्षित रख लिया था.

जगन्नाथ मंदिर के आसपास कॉरिडोर बनाने के खिलाफ मामला उड़ीसा हाई कोर्ट में भी है. याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि मंदिर के आसपास खुदाई और निर्माण कार्य से मंदिर को खतरा है. हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से 20 जून तक जवाब मांगा है. 22 जून को अगली सुनवाई होनी है. साथ ही कोर्ट ने आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) को आदेश दिया था कि मंदिर के आसपास निर्माण कार्यों से अगर किसी तरह का नुकसान हो रहा हो तो इसके आकलन के लिए सर्वे करे. हाई कोर्ट में फिलहाल मामला जारी है, उससे पहले समझते हैं कि ये पूरा प्रोजेक्ट क्या है.

क्या है पुरी हेरिटेज कॉरिडोर प्रोजेक्ट?

ये योजना पहली बार 2016 में सामने आई थी. हालांकि इसकी औपचारिक रूप से शुरुआत दिसंबर 2019 में हुई. इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य है पुरी का एक हेरिटेज साइट के रूप में पुनर्विकास करना. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, फरवरी 2020 में ओडिशा विधानसभा में प्रोजेक्ट के पहले चरण के लिए सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित हुआ था. इसके बाद श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (SJTA) ने प्रोजेक्ट के आर्किटेक्चरल डिजाइन प्लान को अनुमति दी. इसकी कुल अनुमानित लागत 3200 करोड़ रुपये है.

प्रोजेक्ट कई चरणों में पूरा किया जाना है. इसमें शहर के पुनर्विकास के लिए 22 योजनाएं शामिल हैं. पहले चरण के काम के लिए 800 करोड़ रुपये को मंजूरी दी गई थी. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक इस प्रोजेक्ट के तहत जिन जगहों का पुनर्विकास होना है, उनमें श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन बिल्डिंग, 600 लोगों की क्षमता का श्रीमंदिर रिसेप्शन सेंटर, जगन्नाथ कल्चरल सेंटर, इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर, मल्टीलेवल कार पार्किंग शामिल हैं. इसके अलावा भी कई भवन, पुरी लेक, मार्केट को रीडेवलप किया जाना है.

प्रोजेक्ट पर विवाद क्यों?

करीब 800 साल पुराना जगन्नाथ मंदिर पुरातात्विक धरोहर घोषित है, जिसका संरक्षण ASI करती है. प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल एवं अवशेष कानून यानी AMASR एक्ट के तहत नेशनल मॉन्यूमेंट्स अथॉरिटी (NMA) किसी भी पुरातात्विक महत्व की जगहों के आसपास विकास कार्यों के लिए हेरिटेज इम्पैक्ट असेसमेंट स्टडी की मंजूरी देता है. ये असेसमेंट स्टडी 5 हजार वर्गमीटर क्षेत्र के इलाके तक लागू होती है. जगन्नाथ मंदिर 43,301 वर्ग मीटर में फैला हुआ है.

NMA ने पिछले साल सितंबर में मंदिर के आसपास 75 मीटर के प्रतिबंधित जोन में कुछ निर्माण कार्यों को मंजूरी दे दी. इसमें एक क्लॉकरूम, एक शेल्टर होम, तीन टॉयलेट, एक इलेक्ट्रिकल रूम और एक पेवमेंट बनाए जाने थे. ये मंजूरी इस आधार पर दी गई कि जन सुविधाएं निर्माण कार्य के तहत नहीं आती हैं. साथ ही प्रोजेक्ट का निर्माण एएसआई के निरीक्षण में होगा.

ASI ने जताई आपत्ति

निरीक्षण के बाद ASI के डायरेक्टर जनरल वी विद्यापति ने प्रोजेक्ट को लेकर चिंता जताई. 9 मई को उड़ीसा हाई कोर्ट से कहा कि संभावना है कि कॉरिडोर के लिए खुदाई कार्यों में पुरातत्व अवशेषों को नुकसान पहुंच सकता है. --ASI ने बताया कि प्रतिबंधित और रेगुलेटेड इलाकों में निर्माण कार्य बिना जरूरी अनुमति के हो रहा है. आजतक से जुड़े संजय शर्मा के मुताबिक ASI ने हलफनामे में कहा था,

“परिसर में मेघनाद पछेरी मंदिर के पास तीस फुट तक खुदाई की गई है. इससे मंदिर की बुनियाद को खतरा हो सकता है. मंदिर को 1975 में पुरातात्विक धरोहर घोषित किया जा चुका है. राज्य सरकार कैसे खुदाई और निर्माण कर रही है? मेघनाद पछेरी पुरी के प्रसिद्ध और ऐतिहासिक धरोहर श्री जगन्नाथ मंदिर का अविभाज्य हिस्सा है.”

हालांकि राज्य सरकार ने कोर्ट में कहा था कि निर्माण कार्य एनएमए की मंजूरी के तहत चल रहा है. इससे पहले फरवरी में एएसआई ने राज्य सरकार को लिखा कि वो पुरी श्रीमंदिर के आसपास प्रोजेक्ट की समीक्षा करे.

एएसआई के अलावा कई और संगठनों-समूहों ने निर्माण कार्यों पर आपत्ति जताई. इसमें पुरी के वकील एसोसिएशन, स्थानीय लोग, सिविल सोसायटी भी शामिल हैं. उनका आरोप है कि मंदिर के 75 मीटर के दायरे में जेसीबी जैसी भारी मशीनों का इस्तेमाल हो रहा है. बीजेपी सांसद भुबनेश्वर अपराजिता सारंगी ने इस मुद्दे को संसद में भी उठाया था. उन्होंने कहा था कि ASI द्वारा काम रोकने को लेकर राज्य सरकार को पत्र लिखा गया था, इसके बावजूद निर्माण कार्य जारी है.

सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार की दलील

कुछ याचिकाकर्ता इस प्रोजेक्ट पर आपत्ति जताते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए. याचिकाकर्ताओं की ओर से सीनियर वकील महालक्ष्मी पवनी ने कहा कि जगन्नाथ मंदिर के आसपास प्रतिबंधित क्षेत्र में अवैध निर्माण किया जा रहा है. बताया कि ये प्राचीन स्मारक अधिनियम की धारा-20A का उल्लंघन है, जो संरक्षित स्मारकों के 100 मीटर तक निर्माण कार्य पर रोक लगाती है. उन्होंने कहा था कि कोर्ट इसे जरूरी मानते हुए निर्माण कार्य बंद कर इसकी जांच का आदेश दे.

इस पर ओडिशा सरकार ने कहा कि निर्माण कार्य नियमों के मुताबिक है और आम श्रद्धालुओं के हित में है. राज्य सरकार की ओर से वकील जनरल अशोक कुमार पारीजा ने कहा कि लाखों लोग हर साल रथ यात्रा के मौके पर इस छोटे शहर में आते हैं. उन्होंने बताया कि हजारों श्रद्धालु रोज यहां दर्शन करने आते हैं. उनके लिए ही जरूरी सुविधाओं का निर्माण हो रहा है, कोई निजी निर्माण कार्य नहीं हो रहा है.

वीडियो: ओवैसी ने जगन्नाथ मंदिर पर किया बड़ा दावा, मुगलों और अशोक पर क्या कह दिया?

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