The Lallantop
Advertisement

कोरोना संकट में सरकार ने जिसे कभी नहीं माना, वो कम्युनिटी ट्रांसमिशन है क्या?

क्या ओमिक्रॉन भी कम्युनिटी ट्रांसमिशन की स्टेज पर पहुंच गया है?

Advertisement
Img The Lallantop
प्रतीकात्मक तस्वीर. (साभार- पीटीआई)
31 दिसंबर 2021 (Updated: 31 दिसंबर 2021, 16:12 IST)
Updated: 31 दिसंबर 2021 16:12 IST
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
देशभर में ओमिक्रॉन के संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र और दिल्ली में देखने को मिले हैं. वायरस के ट्रांसमिशन की रफ्तार को देखते हुए कई मेडिकल एक्सपर्ट ने आशंका जताई है कि राजधानी में ओमिक्रॉन कम्युनिटी ट्रांसमिशन की स्टेज पर पहुंच गया है. हाल ही में दिल्ली सरकार ने भी ये बात कही. उसने बताया कि दिल्ली में ओमिक्रॉन (Omicron) के 60 (अब ये संख्या ज्यादा होगी) ऐसे मामले मिले हैं जिनका विदेश यात्रा का कोई इतिहास नहीं है. इसके अलावा कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग से पता चला कि ये लोग किसी ऐसे व्यक्ति के सम्पर्क में भी नहीं आए थे जिसने हाल के समय में कोई विदेश यात्रा की हो. दिल्ली सरकार के अलावा केंद्र सरकार के आपदा प्रबंधन विभाग ने भी कम्युनिटी ट्रांसमिशन की आशंका जताई है. तमाम आशंकाओं के बीच 31 दिसंबर को दिल्ली में कोरोना वायरस के 1313 नए मामले दर्ज़ किए गए, जो पिछले 7 महीनों में सबसे ज़्यादा हैं. इससे एक दिन पहले 30 दिसंबर को दिल्ली सरकार ने बताया कि हाल में कोरोना के 115 नए मामलों में से 46 प्रतिशत ओमिक्रॉन से जुड़े थे. साफ है दिल्ली में एक बार फिर कोरोना वायरस कम्युनिटी लेवल पर ट्रांसमिट होना शुरू हो गया है. चिंता ये है कि ये स्थिति जल्दी ही नेशनल लेवल पर भी देखने को मिल सकती है. कम्युनिटी ट्रांसमिशन क्या है? हिंदी में कहें तो सामुदायिक प्रसार. और विश्व स्वास्थ्य संगठन की परिभाषा में कहें तो,
कम्युनिटी ट्रांसमिशन ऐसी स्थिति है, जब बड़ी संख्या में कोरोना (या किसी भी वायरस) के मामलों में संक्रमण के सोर्स का पता ना चल पाए, या रैंडम टेस्ट के सैंपलों में ज्यादातर मामले पॉज़िटिव पाए जाएं.
आसान शब्दों में समझें तो कम्युनिटी ट्रांसमिशन ऐसी स्थिति है जब ये पता लगाना मुश्किल हो जाता है कि वायरस असल में फैल किस सोर्स के जरिये रहा है. यानी इस स्टेज में केवल संक्रमितों का पता चलता है, ना कि इस बात का उनमें वायरस फैलने की शुरुआत कहां से हुई. कोरोना वायरस के उदाहरण से ही समझें तो इसके ट्रांसमिशन का एक प्रमुख कारण विदेशी हवाई यात्रा है. दूसरे देशों से संक्रमित हुए लोग भारत आए और उनके संपर्क में आने वाले लोग भी वायरस की चपेट में आ गए. अगर वायरस को इसी स्टेज में रोक दिया जाए, मतलब इन लोगों से आगे ना फैलने दिया जाए, तो इसे आसानी से कंट्रोल किया जा सकता है. लेकिन अगर किसी भी वजह से वायरस इन लोगों के जरिये उन लोगों में पहुंच जाए जो इन संक्रमितों को नहीं जानते, तब कम्युनिटी ट्रांसमिशन का खतरा बढ़ जाता है. क्योंकि ये नए संक्रमित नहीं बता पाएंगे कि उनमें वायरस कहां से आया और अनजाने में उसे और आगे बढ़ा देंगे. विशेषज्ञों की राय वापस दिल्ली लौटते हैं. न्यूज़ चैनल NDTV ने केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के हवाले से बताया है कि दिल्ली के कोरोना पॉज़िटिव मामलों में 50 प्रतिशत ओमिक्रॉन के हैं. इसको बेहतर समझने के लिए हमने पोस्ट ग्रैजूएट इन्स्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, चंडीगढ़ में काम करने वाले डॉ अकशत से बात की. उनके मुताबिक़ ओमिक्रॉन का कम्युनिटी ट्रांसमिशन हो रहा है या नहीं, अभी कह पाना मुश्किल है. वो कहते हैं,
कम्युनिटी ट्रांसमिशन पॉज़िटिविटी रेट पर निर्भर करता है. भारत में दूसरी लहर के दौरान कम्युनिटी ट्रांसमिशन हुआ था. फ़िलहाल पॉज़िटिविटी रेट 1 प्रतिशत के आसपास है. ऐसे में अभी नहीं कहा जा सकता की ओमिक्रॉन की कम्युनिटी ट्रांसमिशन की स्थिति है. लेकिन ये सब इस पर भी निर्भर करता हैं कि कितनी टेस्टिंग हो रही है. और टेस्टिंग इस वक़्त काफ़ी कम है. मुंबई में पॉज़िटिविटी रेट 7 प्रतिशत से ज़्यादा है. इस वजह से कम्युनिटी ट्रांसमिशन की शंका को पूरी तरह से खारिज़ भी नहीं किया जा सकता.
हालांकि, आधिकारिक तौर पर अब तक सरकार या उसकी किसी भी संस्था ने ये नहीं माना है कि भारत में कम्युनिटी ट्रांसमिशन कभी भी हुआ है. इसका मतलब उनके मुताबिक़ कम्युनिटी ट्रांसमिशन ना तो पहली लहर के दौरान हुआ था, ना ही दूसरे लहर के दौरान. हालांकि, मेडिकल एक्सपर्ट और साइंटिस्ट लगातार इसे स्वीकारते रहे हैं. कोरोना वायरस की दूसरी लहर के दौरान इंडियन पब्लिक हेल्थ एसोसिएशन, इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्रिवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन और इंडियन एसोसिएशन ऑफ एपिडेमियोलॉजिस्ट्स ने संयुक्त रूप से एक बयान जारी किया था. इसमें कहा गया था,
ये उम्मीद करना गलत होगा है कि इस व्यापक स्तर पर फैली COVID-19 महामारी को ख़त्म किया जा सकता है. ये बात साफ़ है कि कम्युनिटी ट्रांसमिशन पहले से ही देश की बड़ी आबादी को अपनी चपेट में ले चुका है.
सरकार के दावे और सच्चाई अब थोड़ा पीछे चलते हैं. केंद्र सरकार ने कहा था कि वो मेट्रो शहरों के सारे पॉज़िटिव मामलों की जीनोम सीक्वेंसिंग करवा रही है. इस बात की पड़ताल करने के लिए हमने दिल्ली के ICMR सर्टिफ़ाइड माइक्रो केयर लैब के मालिक शत्रुघन से बात की. वो बताते हैं कि सभी पॉज़िटिव मामलों की जीनोम सीक्वेंसिंग नहीं की जा रही है. उन्होंने कहा कि जीनोम सीक्वेंसिंग पॉज़िटिव मरीज़ के CT वैल्यू पर निर्भर करता है. शत्रुघन कहते हैं,
जैसे ही कोई भी पॉज़िटिव केस आता है, हम सरकार को इसकी जानकारी दे देते हैं. जैसा कि हमने अब तक देखा है, जिन मामलों में CT वैल्यू 20 से कम है, उन मामलों की जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए सरकार हमें ICMR लैब को सैंपल भेजने को कहती है.
इसके बाद शत्रुघन ने बताया कि जिन मामलों में 25 या 30 तक CT वैल्यू आ रहा है, सरकार उनका जीनोम सीक्वेंसिंग नहीं करवा रही है.

thumbnail

Advertisement

Advertisement