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  • Uttarakhand government is applying Bhojan Mantra before mid day meal, which is not a Bhojan Mantra in first place

जिसे 'भोजन मंत्र' कहकर बरसों से पढ़ाया जा रहा है, वो भोजन मंत्र है ही नहीं!

फर्जीवाड़ा उपनिषदों के साथ भी हुआ है.

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मुबारक
10 जुलाई 2018 (Updated: 10 जुलाई 2018, 02:40 AM IST)
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उत्तराखंड के स्कूलों में अब बच्चे दोपहर के खाने से पहले 'भोजन मंत्र' पढ़ेंगे. राज्य के 18,000 स्कूलों में पढ़ने वाले 12 लाख बच्चों के लिए ये निर्देश जारी किया गया है. साथ ही सभी स्कूलों के रसोईघरों में दीवारों पर ये मंत्र लिखा जाएगा. जैसा कि चलन है त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार के इस निर्णय के बाद कंट्रोवर्सी भी हो रही है. कुछ लोग इसे स्कूलों का भगवाकरण मान रहे हैं, तो कुछ सरकार को स्कूलों की बदहाली पर ध्यान देने का ताना दे रहे हैं. कह रहे हैं कि असल मुद्दों से ध्यान न भटकाएं. ये सब सर्कस अपनी जगह है लेकिन हम आपको एक और चीज़ बताना चाहते हैं. जिस 'भोजन मंत्र' पर इतना ग़दर मचा हुआ है वो असल में 'भोजन मंत्र' है ही नहीं. वो तो गुरु-शिष्य की सम्मिलित प्रार्थना है. गुरुकुल परंपरा का हिस्सा रही है. सच बताएं तो हमें भी ये पता नहीं था. हम तो इस मंत्र का अर्थ खोज रहे थे. हमें ये बताया संस्कृत के विद्वान प्रोफ़ेसर अर्कनाथ चौधरी ने. 'भोजन मंत्र' कहा जाने वाला श्लोक कुछ इस तरह है -

ॐ सह नाववतुसह नौ भुनक्तुसह वीर्यं करवावहैतेजस्विनावधीतमस्तुमा विद्‌विषावहै

ॐ सह नाववतु - हमारी साथ-साथ रक्षा करें.सह नौ भुनक्तु - हमारा साथ-साथ पालन करें.सह वीर्यं करवावहै - हम दोनों को साथ-साथ पराक्रमी बनाएं.तेजस्विनावधीतमस्तु - हम दोनों का जो पढ़ा हुआ शास्त्र है, वो तेजस्वी हो.मा विद्‌विषावहै - हम गुरु और शिष्य एक दूसरे से द्वेष न करें.

प्रोफ़ेसर अर्कनाथ ने इस श्लोक को हमें स्टेप बाय स्टेप समझाया. हम आपको समझाते हैं. सह का अर्थ होता है साथ-साथ. प्रोफ़ेसर अर्कनाथ ने बताया कि ये वस्तुतः भोजन मंत्र है ही नहीं. इस प्रार्थना को किसी बाबा ने चला दिया और चल पड़ा. भोजन का इससे कोई लेना देना नहीं है. बरसों से इसे भोजन मंत्र के नाम पर पढ़ाया जा रहा है. इसमें कहीं भी खाने का ज़िक्र नहीं है. Krishna-yajurveda-2 ये मंत्र कृष्ण यजुर्वेद से आया है. वहां से इस मंत्र को कई उपनिषदों ने उठाया है. जैसे श्वेताश्वतर उपनिषद, कठ उपनिषद, इशा उपनिषद और केना उपनिषद. हर जगह वही अर्थ है जो ऊपर बताया गया है. ये प्रार्थना मंत्र है, भोजन मंत्र नहीं. बाकी किसी श्लोक, मंत्र या आयत की भाषा पर राजनीति करना टुच्चा काम है. हमें इसमें नहीं पड़ना.
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