ओबामा को शैतान बताने वाले ट्रम्प के दोस्त एलेक्स जोन्स के दावे सिर चकरा देंगे
एलेक्स ज़ोन्स की पूरी कहानी क्या है?

आपको पता है, बराक ओबामा की पत्नी मिशेल ओबामा जो है, वो असल में पुरुष है. सितंबर 2001 में अमेरिका पर जो आतंकी हमला हुआ, उसमें सरकार के लोग शामिल थे. हिलेरी क्लिंटन और बराक ओबामा शैतान के अवतार हैं. उनके शरीर से सल्फ़र की गंध आती है. पानी में एक किस्म का रसायन घुला हुआ है, इस रसायन के कारण मेंढक समलैंगिक बनते जा रहे हैं. और, आपको ये भी मालूम नहीं होगा कि ओक्लोहोमा में तूफान के लिए सीक्रेट हथियार का इस्तेमाल हुआ था.
आपने जो चीजें सुनीं, उनके बारे में आपको पहले से पता था? नहीं पता था, कहां पता था? हमें भी नहीं था. ठीक-ठीक कहें तो अमेरिका की जनता को भी नहीं मालूम था. फिर एक बंदा आया. उसका अपना रेडियो शो चलता था. लाखों-करोड़ों लोग सुनते थे. उसने अपने शो में नई-नई बातें बतानी शुरू कीं. ऐसी बातें, जहां तक आम जनमानस की कल्पना नहीं पहुंचती थी. एकदम खुला मार्केट था. फ़िलिंग द वॉयड. उस समय वॉट्सऐप यूनिवर्सिटी का दौर शुरू नहीं हुआ था. वो लोगों के दिमाग में नई-नई थ्योरीज़ भरने लगा. आबादी का एक बड़ा हिस्सा उसमें यक़ीन भी कर रहा था. इसमें सिर्फ़ आम लोग शामिल नहीं थे. उसके अंधभक्तों में अमेरिका का राष्ट्रपति तक शामिल था. डोनाल्ड ट्रंप उसके शोज़ में शामिल होते थे. खुलेआम उसकी वाहवाही करते थे. उसके कहे को सावर्जनिक मंचों पर दोहराते थे. इतनी बातें बता दीं, ये बताया ही नहीं कि किसकी बात हो रही है?
आपको थ्री इडियट्स का वो सीन याद है, जिसमें लाइब्रेरियन दुबे चतुर रामलिंगम की तरफ इशारा करके कहता है, बोल वो रहे हैं, पर शब्द हमारे हैं. कहा जाता है कि डोनाल्ड ट्रंप के जीवन का लाइब्रेरियन दुबे एलेक्स जोन्स था. बोलते ट्रंप हैं, शब्द जोन्स के होते हैं.
वही एलेक्स जोन्स, जिसने अपने समर्थकों को ये विश्वास दिला दिया था कि लेडी गागा के शो में शैतान को खुश किया जाता है, कि हिलेरी क्लिंटन ने कई बच्चों की हत्या की है, कि उनकी पार्टी के लोग एक पिज्ज़ा स्टोर के बेसमेंट में सेक्स रैकेट चलाते हैं. और ये भी कि सैंडी हुक एलिमेंट्री स्कूल में बच्चों का नरसंहार असल में एक ड्रामा था, अभिनय था. हताहत होने वाले लोगों ने मरने का दिखावा किया था.
तो सवाल ये उठता है कि,
- एलेक्स ज़ोन्स की पूरी कहानी क्या है?
- उसके झूठ का साम्राज्य कहां तक फैला है?
- और, आज हम ये कहानी क्यों सुना रहे हैं?
अंग्रेज़ी का एक शब्द है, कॉन्सपिरेसी थ्योरिस्ट. इसका शाब्दिक अर्थ होता है, षडयंत्र या साज़िश का सिद्धांत रचने वाला. यानी, ऐसा व्यक्ति इस बात में भरोसा करता है और उसका प्रचार-प्रसार करता है कि किसी खास घटना के पीछे अज्ञात लोगों की साज़िश थी. उदाहरण के लिए, हम कोरोना का उदाहरण लेते हैं. महामारी के समय एक अफवाह फैली थी कि आसमान से सुमैया तारा निकलेगा और कोरोना खत्म हो जाएगा. एक ख़बर ऐसी थी कि कोरोना के पीछे 5जी टॉवर्स का हाथ है. या, कोरोना के पीछे अमीर देशों की साज़िश है. वे धरती की आबादी कम करना चाहते हैं.
इन बातों का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं होता. जो लोग इस तरह के झूठों को प्रचारित-प्रसारित करते हैं, लोगों के दिमाग में भरते हैं, उन्हें कॉन्सपिरेसी थ्योरिस्ट कहा जाता है. एलेक्स जोन्स भी वही है. बस उसके दायरे का विस्तार कई गुणा फैला हुआ है. कैसे?
28 फ़रवरी 2017 के दिन जर्मन मैगज़ीन डेर स्पीगल में एलेक्स जोन्स की एक प्रोफ़ाइल पब्लिश हुई. इसको वाइट मीडेक ने लिखा था. आर्टिकल का टाइटल था,
Meet Donald Trump’s Propagandist
अगर इसका मतलब निकालने पर जाएं तो ऐसा भी कह सकते हैं कि डोनाल्ड ट्रंप के गोयबल्स से मिलिए. लेकिन ना तो डोनाल्ड ट्रंप हिटलर हैं और ना ही समय वैसा है. हमने यहां पर गोयबल्स का ज़िक्र ट्रंप के जीवन में जोन्स की अहमियत बताने के लिए किया है.
मैगज़ीन ने उसके बारे में लिखा था,
नहीं, जोन्स कोई आम रेडियो होस्ट नहीं है. इंफ़ोवॉर्स वेबसाइट का ये संस्थापक पिछले 20 बरस से अपनी दुनिया में जी रहा है. उस दुनिया में दोस्तों और दुश्मनों के बीच स्पष्ट लक़ीर खिंची हुई है. उसमें कपट और मिथ्या धारणाएं, साज़िशें और कुछ छिपाने की अकुलाहट है. जोन्स को पूरा यक़ीन है कि दुनियाभर के संभ्रांत गुट बनाकर अमेरिका को बर्बाद करने की योजना बना रहे हैं. वो एलेक्स जोन्स शो में इस बात का हफ़्ते में पांच दिन प्रचार करता है. ये शो ऑस्टिन से प्रसारित होता है. उसका शो सौ से ज़्यादा रेडियो स्टेशनों से ऑन-एयर होता है और उसकी वेबसाइट पर करोड़ों लोग आते हैं.

ये 2017 में एलेक्स जोन्स की हैसियत थी. उस समय अपनी लोकप्रियता के शिखर पर था. इस इंटरव्यू से दो बरस पहले एक और मुलाक़ात हुई थी. एलेक्स जोन्स के स्टूडियो में डोनाल्ड ट्रंप आए थे. ट्रंप राष्ट्रपति चुनाव में अपनी दावेदारी पेश कर रहे थे. दोनों लगभग एक जैसा ही सोचते थे. ट्रंप एलेक्स जोन्स शो में बतौर मेहमान पहुंचे थे. रिकॉर्डिंग के दौरान एक जगह पर ट्रंप ने जोन्स की तारीफ़ में कहा,
‘आपकी लोकप्रियता तो अद्भुत है.’
इस पर जोन्स का जवाब था,
‘आप ऐतिहासिक काम कर रहे हैं. ये जॉर्ज वॉशिंगटन के स्तर का है.’
जॉर्ज वॉशिंगटन अमेरिका के पहले राष्ट्रपति थे. उन्हें अमेरिका का राष्ट्रपिता भी माना जाता है. ट्रंप इस तुलना से अभिभूत हो गए. जोड़ी कायम हो चुकी थी. एलेक्स जोन्स ने ट्रंप को खुलकर सपोर्ट किया. उसने ट्रंप के हर प्लान की तारीफ़ की. उनके समर्थन में रेडियो शोज़ बनाए. अपने शो पर हिलेरी क्लिंटन को हत्यारा, बराक ओबामा को शैतान बताया. ये भी कहा कि क्लिंटन और ओबामा के शरीर से सल्फ़र की बदबू आती है. इसपर ओबामा ने अपना हाथ सूंघकर कैमरे के सामने जोन्स को चिढ़ाया था. ये घटना ज़बरदस्त वायरल हुई. इससे ये भी समझ में आया कि जोन्स की बातों की पहुंच कहां तक है.
फिर आया साल 2017 का. डोनाल्ड ट्रंप चुनाव जीतकर वाइट हाउस पहुंच गए. फिर जोन्स और राष्ट्रपति के बीच एक डायरेक्ट फ़ोन लाइन स्थापित की गई. इसके बाद तो जोन्स का रुतबा सातवें आसमान पर पहुंच चुका था. दुनिया का सबसे ताक़तवर माना जाने वाला शख़्स एलेक्स जोन्स का फ़ैन था. उसे और क्या चाहिए था!

इसका फायदा उठाकर उसने अपना काम और फैला दिया. वो अपने नाम पर प्रोडक्ट्स बेचने लगा. मीडिया रपटों के मुताबिक, उसकी कमाई का एक-तिहाई हिस्सा इन्हीं बिक्रियों से आता था. हद तो तब हो गई, जब कोरोना का प्रकोप फैला. जोन्स ने ये प्रचार किया कि उसके पास एक ऐसा टूथपेस्ट है, जो कोरोना से लोगों की जान बचा सकता है. उसका टूथपेस्ट ख़ूब बिका. बाद में फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) को आगे आकर बिक्री रोकने के लिए कहना पड़ा था.
जोन्स ने बिक्री तो रोक दी. लेकिन उसका झूठ फैलाने का कारोबार बखूबी चलता रहा. उसने कोरोना वैक्सीन्स की आलोचना की. दावा किया कि वैक्सीन लेने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता खत्म हो जाएगी. जब दिसंबर 2021 में ट्रंप ने कोरोना वैक्सीन की तारीफ़ की, तब जोन्स ने उन्हें भी लताड़ लगाई थी. जोन्स ने ट्रंप को ‘धरती का सबसे घटिया इंसान’ बता दिया था.
एलेक्स जोन्स की हालिया कॉन्सपिरेसी मंकीपॉक्स और उसके केस की सुनवाई कर रहे जज को लेकर आई थी. उसने दावा किया था कि कोरोना का टीका लगाने की वजह से लोगों को मंकीपॉक्स हो रहा है. जो जज उसके केस को देख रहा था, उनको बच्चों के यौन शोषण और मानव तस्करी के आरोपों से जोड़ दिया गया था. जोन्स ने अदालत में पहले तो इस बात को नकारा, फिर वकीलों ने उसकी वेबसाइट का एक वीडियो कोर्ट में पेश किया. जोन्स का एक और झूठ सबके सामने खुल गया था.
अब एक नज़र जोन्स के जीवन पर भी डाल लेते हैं.एलेक्स जोन्स फरवरी 1974 में पैदा हुआ था. टेक्सस के रॉकवेल क़स्बे में. बाद में उसका परिवार ऑस्टिन शिफ़्ट हो गया. उसके पिता डेंटिस्ट थे. कॉलेज के दिनों से ही उसे कॉन्सपिरेसी थ्योरीज़ में मज़ा आने लगा था. उसे लगा कि इससे लोगों को अपने अनुसार मोड़ा जा सकता है. उसका मन रम गया. उसे एक लोकल रेडियो स्टेशन में नौकरी भी मिल गई.
फिर आया साल 1993 का. वाको शहर के पास ब्रांच डेविडियन्स नामक धार्मिक मत के समर्थकों और पुलिस के बीच मुठभेड़ हुई. ये मुठभेड़ 51 दिनों तक चली. इसमें 86 लोग मारे गए थे. इस घटना के बाद जोन्स ब्रांच डेविडियन्स के समर्थन में आया. उसने कहा कि ये गुट शांतिप्रिय था. उससे किसी को कोई ख़तरा नहीं था. जोन्स ने उनके लिए चंदा जुटाया और मारे गए लोगों के नाम पर एक नया चर्च बनवा दिया. इस घटना ने उसे ख़ूब प्रसिद्धि दिलाई. उसे नायक की तरह पूजा जाने लगा था.
इसके बाद रेडियो की दुनिया में उसका नाम चमकने लगा था. उसका शो लोकप्रिय होने लगा था. इसकी बदौलत उसने न्यू वर्ल्ड ऑर्डर के नाम पर कॉन्सपिरेसी थ्योरीज़ बांचने लगा. उसके प्रोग्राम को लोग पसंद करने लगे थे. लेकिन रेडियो कंपनी के लिए विज्ञापन बेच पाना मुश्किल हो गया था. इसके चलते उन्होंने जोन्स को नौकरी से निकाल दिया.
तब जोन्स ने अपनी पत्नी केली के साथ मिलकर इंफ़ोवॉर्स की बुनियाद रखी. ये वेबसाइट उसकी कॉन्सपिरेसी थ्योरीज़ के वीडियोज़ बेचा करती थी. उसका काम चल निकला था. उसी दौर में इंटरनेट-बेस्ड कंपनियां फल-फूल रहीं थी. एलेक्स जोन्स ने फ़ैसला किया कि वो इंटरनेट के ज़रिए लोगों तक अपनी बात पहुंचाएगा. तब जाकर उसने एलेक्स जोन्स शो की शुरुआत की. धीरे-धीरे उसने प्रभावशाली लोगों के बीच अपनी पहचान कायम की. ट्रंप से दोस्ती ने उसको नए मुकाम पर पहुंचा दिया.
इस शो के ज़रिए जोन्स ने एक पूरी पीढ़ी को सच्चाई से अपंग कर दिया. अमेरिका में फैली अधिकतर अफवाहों के पीछे उसी का हाथ होता है. चाहे वो 9/11 अटैक को सरकारी साज़िश बताना हो या कोरोना वैक्सीन का विरोध हो, अगर इन अफ़वाहों की जड़ में जाया जाए तो एलेक्स जोन्स का नाम सामने आता है. जनवरी 2021 में जब कैपिटल हिल में दंगे से पहले उसने भी भाषण दिया था. इसमें उसने लोगों को हमले के लिए उकसाया था. इस मामले में भी उसके ऊपर जांच चल रही है.
जोन्स दावा करता है कि ये उसकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है. दावा ये भी कि उसका मिशन सच बताना है, वो कोई बिजनेस नहीं करता. लेकिन ये भी उसकी बातों की तरह सफेद झूठ निकला है. जोन्स महंगी घड़ियां पहनता है. उसके पास लाखों के हथियार हैं. उसने कई और महंगी चीज़ों पर बेतहाशा खर्च किया है. इसे उसके खोखलेपन के एक और सबूत के तौर पर देखा जाता है.
एलेक्स जोन्स के जीवन का सबसे छिछला हासिल क्या है?इसको लेकर लंबी-चौड़ी बहस हो सकती है. लेकिन अगर एक घटना के बारे में पूछा जाए तो वो सैंडी हुक एलिमेंट्री स्कूल में हुआ नरसंहार होगा. दिसंबर 2012 में कनेक्टीकट में एडम लैन्ज़ा नाम के एक लड़के ने 26 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी. मरने वालों में से 20 बच्चे थे. हत्या करने के बाद लैन्ज़ा ने ख़ुद को गोली मार ली. इस घटना को अमेरिका में स्कूल के अंदर हुई मास शूटिंग की सबसे बड़ी घटनाओं में गिना जाता है. इस नरसंहार के बाद अमेरिका में गन रेगुलेशन को लेकर बहस शुरू हुई. बंदूक रखने के अधिकार पर लगाम लगाने की मांग चलने लगी.

इसी समय एलेक्स जोन्स ने अपनी वेबसाइट पर एक नई थ्योरी का प्रचार शुरू किया. उसने दावा किया कि सैंडी हुक की घटना फ़र्ज़ी है. वहां नाटक खेला गया था. गोली मारने वाला और गोली खाने वाले, दोनों ही ऐक्टिंग कर रहे थे. ये सब सरकार की साज़िश है. सरकार गन रेगुलेशन लागू करने के लिए ये साज़िश रच रही है. उसने यहां तक चलाया कि,
Sandy Hook Vampires Exposed
सैंडी हुक के दानवों की पोल खुल गई.
इस अभियान ने पीड़ित परिवारों का जीना मुश्किल कर दिया. इंफ़ोवार्स पर यकीन करने वाले लोग उन्हें परेशान करने लगे. उनका पीछा किया जाने लगा. उन्हें धमकियां मिलने लगीं. कई परिवारों ने अपना लंबा समय छिपकर गुज़ारा.
आख़िरकार, 2018 में 10 परिवारों ने हिम्मत दिखाई. उन्होंने जोन्स पर मुकदमा ठोक दिया. दो मुकदमे टेक्सस और एक कनेक्टीकट में दायर किया गया था. 2019 में जोन्स ने कबूल किया कि शूटिंग की घटना असली थी. लेकिन वो घरवालों के ख़िलाफ़ लगातार झूठ फैलाता रहा. वो कोर्ट में जाने से मना करता रहा. नाराज़ होकर जज ने तीनों मामलों में उसके ख़िलाफ़ फ़ैसला दिया.
आज हम एलेक्स जोन्स की चर्चा क्यों कर रहे हैं?दरअसल, अब उसके झूठ का घड़ा दरकने लगा है. 04 अगस्त को टेक्सस के ऑस्टिन में ज्यूरी ने जोन्स पर लगभग 33 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. ये पैसा सैंडी हुक नरसंहार के पीड़ित परिवारों को जाएगा. याचिका लगाने वालों ने जुर्माने में लगभग 12 सौ करोड़ रुपये मांगे थे. पीड़ित परिवारों का आरोप था कि जोन्स की कॉन्सपिरेसी थ्योरीज़ के कारण उनके जीवन का चैन छिन गया. उसकी अफवाहों ने उनके दुख को गौण करने की कोशिश की थी. सैंडी हुक की घटना के और भी पीड़ितों ने एलेक्स जोन्स पर मानहानि का मुकदमा ठोका है. कईयों में उसकी हार भी हुई है. क्योंकि उसके पास अपने दावे की पुष्टि के लिए ना तो कोई सबूत था ना ही कोई दस्तावेज. भले ही उसे दूसरे मुकदमों में पहले भी हार झेलनी पड़ी हो, लेकिन पहली बार उसको आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा है. ज्यूरी का जुर्माना परिवारों को लगे मानसिक आघात तक ही सीमित है. अभी जोन्स की सज़ा पर फ़ैसला आना बाकी है.
जिस मुकदमे में ज्यूरी ने जोन्स पर जुर्माना लगाया है, वो जुलाई 2022 में शुरू हुआ था. शुरुआत में जोन्स ने ऐसा दिखाने की कोशिश की थी कि उसके अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार का हनन हो रहा है. इसपर पीड़ित परिवारों के वकीलों ने कहा,
‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता आज के दिन भी बरकरार है, लेकिन झूठ की कीमत तो चुकानी पड़ती है.’
दो हफ़्ते की सुनवाई के बाद जोन्स ने माना कि सैंडी हुक की घटना असली थी. उसने लोगों का दिल दुखाने के लिए माफ़ी भी मांगी. मुकदमे के दौरान कई परिवारों को प्राइवेट सिक्योरिटी हायर करनी पड़ी. उन्हें इस बात की आशंका थी कि जोन्स उन्हें नुकसान पहुंचा सकता है.
अब जबकि जोन्स पर अदालत का चाबुक चला, तब जाकर वो अपने एक दावे से पीछे हटा है. लेकिन उसके जितने झूठ पहले से हवा में तैर रहे हैं और जिन्होंने पहले ही नुकसान कर दिया है, उनकी भरपाई कैसे होगी? उसका हिसाब कब होगा?
इस विषाद के बीच प्रख्यात ब्रिटिश उपन्यासकार मैरी शैली की एक पंक्ति याद आती है,
The Beginning is Always Today.
यानी, शुरुआत के लिए आज से अच्छा दिन कुछ भी नहीं है.
एलेक्स जोन्स के तिलिस्म के विघटन की शुरुआत हो चुकी है. नियति की चाबी समय की मुट्ठी में क़ैद है.
जैसा कि मीर तकी मीर कह गए हैं,
इब्तदा-ए-इश्क़ है, रोता है क्या
आगे-आगे देखिए होता है क्या.
पाक फौज़ के बड़े अधिकारीयों की हत्या में किसका हाथ था?